Saturday, November 16, 2024
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अनुपम कुमार सिंह

भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

‘मुस्लिमो, दलितों के इस विरोध-प्रदर्शन से सीखो’ – रामभक्त रविदास के नाम पर हिंसा फैलाने वालो, उन्हें पढ़ो तो सही

संत रविदास मंदिर पर राजनीति कर रहा चंद्रशेखर वही व्यक्ति है, जिसने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बुद्ध मंदिर की माँग की थी। "अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी" लिखने वाले संत रविदास अगर आज ज़िंदा होते तो उनके नाम पर राजनीति करने वाले और दलितों को 'राम अमंदिर आंदोलन' से दूर रहने की सलाह देने वाले चंद्रशेखर को अपना भक्त तो नहीं ही मानते।

चिदंबरम और अमित शाह का फर्क: एक 9 साल पहले डटा था, दूसरा आज भागा-भागा फिर रहा

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में जुलाई 22, 2010 को अमित शाह को सीबीआई ने 1 बजे पेश होने को कहा। समन सिर्फ़ 2 घंटे पहले यानी 11 बजे दिया गया था। फिर 23 जुलाई को पेश होने को कहा गया और उसी दिन शाम 4 बजे चार्जशीट दाखिल कर दी गई।

वॉर होगा ही नहीं, हम तो शांति की बात करते हैं… और नेहरू ने ठुकरा दी थी CDS के गठन की सलाह

नेहरू को माउंटबेटन ने आगाह किया था कि युद्ध हो सकता है। लेकिन उन्होंने उस चेतावनी को नज़रअंदाज कर CDS का गठन नहीं किया। बाद में वह इस भावना से ग्रसित हो गए कि सेनाध्यक्ष उनकी कुर्सी हथिया लेगा। आज मोदी ने सेना की वर्षों पुरानी माँग पूरी कर दी।

…क्योंकि वामपंथ का कोई लोकतंत्र नहीं होता: हॉन्गकॉन्ग के प्रदर्शनकारियों को आतंकी बता कर नहीं बच सकता चीन

जम्मू कश्मीर पर UN की बैठक बुलाने वाला चीन हॉन्गकॉन्ग पर UN की रिपोर्ट को ग़लत बताता है। लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों को आतंकी बताता है। उन्हें अपनी सेना का धौंस दिखा रहा है। जबकि हॉन्गकॉन्ग की 71% जनता चीनी कहलाने में गर्व महसूस नहीं करती।

370 तो गियो लेकिन J&K में तिरंगा सुरक्षित हाथों में, आँखें फाड़ कर देखो महबूबा कंधे की ज़रूरत किसे है

महबूबा मुफ़्ती ने कहा था कि अगर अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ की गई तो J&K में कोई तिरंगे को कंधा देने वाला भी नहीं बचेगा। पिछले 3 साल में 700 आतंकियों को कन्धों की ज़रूरत पड़ चुकी है, वो भी चार-चार। समय बदल गया है। ब्लैकमेलिंग का ज़माना गया।

प्रियंका गाँधी के गुर्गों पर चुप्पी जायज है, क्योंकि पीड़ित पत्रकार ने सेनाध्यक्ष को जनरल डायर नहीं कहा था

प्रियंका गाँधी कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार से आती हैं, उनकी जगह अगर कोई भाजपा वार्ड सदस्य के साले के फूफे की बहन का भतीजा होता तो न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट में भी इस पर एकाध लेख लिखा जा चुका होता कि कैसे भारत की 'राइट विंग हिंदुत्व पार्टी' ने मीडिया की स्वतंत्रता पर ग्रहण लगा दिया है और देश में पत्रकारों को खतरा है।

Man Vs Wild: इमरान ने बेयर ग्रिल्स को बुलाया, स्वागत में चीनी बम के साथ खड़े थे लश्कर के आतंकी आका!

पाकिस्तानी आकाओं व अधिकारियों ने ग्रिल्स को बताया कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों की नज़रों से बचना उनके लिए सबसे कठिन चुनौती है। पाकिस्तान के आतंकी आकाओं ने बताया कि आसपास के क्षेत्र में कभी भी 'सर्जिकल स्ट्राइक' नामक तूफ़ान आ जाया करता है, जिसके कहर से बचना काफ़ी मुश्किल है।

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद की हु-तू-तू: लाखों मधुमक्खियाँ भी अपनी रानी चुनने में इतने नखरे नहीं करतीं

देश की सबसे पुरानी पार्टी में अध्यक्ष पद पर इतनी माथापच्ची तब हो रही है जब राहुल गॉंधी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के तत्काल बाद इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। मान-मनौव्वल से भी वे नहीं माने और तीन जुलाई को अपना इस्तीफा सार्वजनिक कर दिया। इसके बाद वयोवृद्ध मोतीलाल वोरा को अंतरिम अध्यक्ष बनाने की खबर आई जिसे वोरा ने खुद नकार दिया।