Friday, October 18, 2024
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जयन्ती मिश्रा

‘हिंदू बहनों’ पर हुए अत्याचार पर नारीवादी Pak मलाला चुप भी है और ब्लॉक भी कर रही – दोहरेपन की हद है यह

मलाला का न्यूज़ीलैंड के मुद्दे पर दुख प्रकट करना और रवीना और रीना पर शांत हो जाना दिखाता है कि इंसान कितना ही प्रोग्रेसिव क्यों न हो जाए, लेकिन उसके भीतर मज़हब, और मज़हब का डर हमेशा जिंदा रहता है।

बॉलीवुड के ‘पाक’ कलाकार: संवेदना मौत से नहीं, ‘मस्जिद में मौत’ पर जागती है

हम उनके न्यूजीलैंड हमले पर दुख जाहिर करने पर सवाल नहीं उठा रहे। उठाएँगे भी क्यों? हम तो जानना चाहते हैं कि पुलवामा पर उनके चुप रहने के क्या कारण हैं? 'कर्मभूमि' की रक्षा पर तैनात सैनिकों पर हुए हमले से जिनका दिल नहीं पसीज़ा वो न्यूजीलैंड हमले पर एकदम से भावुक हो उठे! कैसे?

सागरिका जी! आपके ‘लिबरल’ होने का मलतब ‘दक्षिणपंथियों’ का आतंकवादी होना नहीं है… समझिए वरना देर हो जाएगी!

इस हमले पर कल से हर कोई शोक मना रहा है जो दर्शाता है कि मानवता अब भी लोगों में बरकरार है। लेकिन शायद तथाकथित लिबरलों को इससे कोई लेना-देना नहीं हैं। तभी उन्होंने इस ऐसे मामले पर भी अपना एंगल मेंटेन कर लिया।

भारत के सोलर और वृक्षारोपण से धरती पर बढ़ी हरियाली, ट्रम्प अपना ठेंगा रख सकते हैं अपने पास

भारत आज पेड़ लगाने के मामले में विश्व के सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा है। केवल 24 घंटों में ही भारत में 5 करोड़ पेड़ लगाए जाते हैं। हाल ही में NASA की रिसर्च और नेचर सस्टेनेबिलिटी में छपे लेख के अनुसार आज के समय की तस्वीर और 1990 के मध्य के समय की तस्वीर को साथ देखा गया

कॉन्ग्रेसी नेशनल हेराल्ड की ‘पत्तलकारिता’: BSP से चुनाव लड़ चुके पुजारी को जोड़ दिया RSS और BJP से, कांड हुआ दुबई में

प्रभाकर पर इल्जाम है कि उन्होंने अपनी पूँजी को बढ़ाने के लिए एक शाही परिवार के नाम का इस्तेमाल किया है लेकिन नेशनल हेराल्ड ने इस ख़बर को जो एंगल देकर पेश किया उसमें साफ़ है कि वह विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस की छवि को धूमिल करने के लिए प्रयासरत है।

पाकिस्तानी मीडिया की कवरेज में दिखा INDIA का खौफ़

पाकिस्तान मीडिया फिलहाल इस समय पर जोरो-शोरों से प्रमाण देने पर तुला हुआ है कि उसे शांति और अमन चाहिए... शायद पाकिस्तान इस बात को अच्छे से जानता है कि अब भारत किसी भी कीमत पर चुप नहीं रहने वाला है।

#बालाकोट: हूरों के चक्कर में मारे गए थे 300 जेहादी… वो भी 188 साल पहले

सैयद अहमद शाह ने राजा रणजीत सिंह द्वारा अज़ान और गौतस्करी पर प्रतिबंध लगाने की बात सुनकर जिहाद की घोषणा कर दी थी। जिस समय पर बरेलवी बालाकोट पहुँचा उस समय उसके साथ 600 जिहादी थे और पेशावर के हज़ारों पठानों द्वारा भी उसे समर्थन दिया जा रहा था।

पहली महिला डॉक्टर: आनंदी गोपाल ने आज के दिन कहा था दुनिया को अलविदा

आज महिलाओं के लिए आनंदी एक मानक है। उनके संघर्षों और उनके जीवन के अहम बिंदुओं को समय-समय पर याद करते रहना इसलिए भी जरूरी है ताकि शिक्षा को लेकर जागरुकता फैले।