Saturday, July 27, 2024
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बॉलीवुड के ‘पाक’ कलाकार: संवेदना मौत से नहीं, ‘मस्जिद में मौत’ पर जागती है

कमाने-खाने के लिए भारत का सहारा चाहिए, लेकिन संवेदनाएँ प्रकट करते समय दोहरा रवैया! शक होता है कि अगर न्यूजीलैंड में यह हमला मस्जिद में न होकर किसी और जगह होता तो भी शायद ये लोग सेल्फी-सेल्फी ही खेल रहे होते।

साल 2019 में न्यूजीलैंड के लिए 14 मार्च का दिन बिलकुल वैसा ही था जैसा भारत के लिए 14 फरवरी का दिन था। अंतर केवल यह था कि वहाँ इबादत करने आए आम लोगों ने अपनी जान गवाई और यहाँ भारत ने अपने सैनिकों को खोया। जाहिर है दुख दोनों ही घटनाओं पर सबको बराबर हुआ और होना भी चाहिए। पूरे विश्व में इन दोनों हमलों को लेकर लोगों में रोष देखने को मिला। बावजूद इसके कुछ लोगों ने मज़हब और मुल्क की आड़ में अपनी भावनाओं पर ऐसी महीन रेखा खींची कि न चाहते हुए भी इन दोनों वाकयों में ऐसे लोगों की ‘सोच का फेर’ दिखने लगा।

ये लोग कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान के ही कुछ वो कलाकार हैं, जिन्हें भारत में आकर नाम, पैसा, शोहरत, प्यार सब हासिल हुआ। लेकिन बात जब आतंक से जुड़ी तो वह कर्मभूमि के एहसानों को भूल गए, और अपने देश या मज़हब परस्त होने का सबूत दे डाला। न्यूजीलैंड हमले पर खुलकर बोलने पर वाले अली ज़फर, माहिरा खान जैसे कलाकार पुलवामा पर चुप्पी साधे हुए थे। हैरानी की बात है कोई शख्स इतना मज़हब या देश परस्त कैसे हो सकता है कि कर्मभूमि से ही एहसान फरामोशी पर उतर आए।

हम उनके न्यूजीलैंड हमले पर दुख जाहिर करने पर सवाल नहीं उठा रहे। उठाएँगे भी क्यों? हम केवल जानना चाहते हैं कि पुलवामा पर उनके चुप रहने के क्या कारण हैं? क्या कारण है कि उनकी ‘कर्मभूमि’ की रक्षा पर तैनात सैनिकों पर हुए इतने बड़े हमले से उनका दिल नहीं पसीज़ा लेकिन न्यूजीलैंड हमले पर वो एकदम से भावुक हो उठे?

यहाँ हम आपको कुछ उन पाकिस्तानी कलाकारों के ट्विटर अकॉउंट में फर्क़ दिखा रहे हैं, जिसके कारण यह सवाल पैदा हुआ।

अली ज़फर

न्यूजीलैंड हमले के बाद पाक कलाकार अली जफर ने ट्वीट किया, “नमाज के वक्त बेगुनाह मुस्लिमों को मौत के घाट उतारते हुए शख्स का वीडियो देखा, जिसने मुझे सबसे ज्यादा परेशान किया, यह बात दिमाग में आ रही है कि अब विश्व इसे हिंसक कार्रवाई कहेगा या आतंकी।” बॉलीवुड फिल्में देखने वाला शायद ही कोई ऐसा होगा जो अली ज़फर को नहीं पहचानता हो।

न्यूजीलैंड में विश्व के ज्ञान पर सवाल उठाने वाला अली 14 फरवरी को ट्विटर पर अपना फोटोशूट शेयर कर रहा था, सूखे मेवों के साथ अपने दोस्त को उर्दू की किताब भेजने के लिए शुक्रिया बोल रहा था, वीडियो अपलोड कर रहा था। लेकिन पुलवामा पर उसने कुछ नहीं बोला। 18 तक भी चुप रहा। 19 को उसने पुलवामा पर अपना मुँह खोला – ‘पाकिस्तान पीएम के पावरफुल स्पीच’ और ‘पाकिस्तान करेगा जवाबी कार्रवाई’ – वाले ट्वीट को रिट्वीट करके।


14 फरवरी वाले दिन अली जफर के ट्वीट का स्क्रीनशॉट और दाहिने सबसे नीचे 19 फरवरी को इमरान खान के ‘पावरफुल स्पीच’ रिट्वीट

मावरा होकेन

बॉलीवुड फिल्म ‘सनम तेरी कसम’ से पहचान हासिल करने वाली मावरा होकेन का भी हाल कुछ अली जैसा ही रहा। पुलवामा पर चुप्पी बांधे रखने वाली ने मावरा ने न्यूजीलैंड हमले पर लिखा, “जुम्मा मुबारक, प्यार, अमन, शांति, सम्मान और सहनशीलता होनी चाहिए, इस हमले से आहत हूँ, अगर कोई भी शख्स इबादत की जगह हमला करता है तो वह किसी भी धर्म का कैसे हो सकता है।”

इबादत की जगह आतंक पर सवाल उठाने वाली यही मावरा 15 फरवरी को भी जुम्मा मुबारक बोल रही थी, प्रेम के सौंदर्य का बखान कर रही थी, खूबसूरत तस्वीरें डाल रही थी। लेकिन पुलवामा पर…


15 फरवरी के दिन इस तरह मावरा ने किया जुम्मा मुबारक, 17 फरवरी को मौत पर वो ‘एक्सप्रेसिव’ नहीं थी लेकिन 15 मार्च को अचानक से शब्द मिल गए!

माहिरा खान

रईस की लीड हिरोईन और पाकिस्तानी कलाकारों में एक नाम माहिरा का भी है, जिसे भारत ने बड़ी पहचान दी। माहिरा को उरी हमले के बाद पाकिस्तान वापस भेज दिया गया था, जिसके कारण कुछ तथाकथित सेकुलरों ने विरोध में आवाज़ें भी उठाई थीं। उसी माहिरा ने न्यूजीलैंड पर गहरा दुख व्यक्त किया और मारे गए लोगों के परिजनों के लिए दुआएँ भी माँगीं।

ऐसे में कमाल की बात यह है कि माहिरा ने पुलवामा हमले वाले दिन ट्विटर से अपने फैंस को इंस्टाग्राम पर लाइव होने की सूचना दी थी। जबकि पुलवामा में वीरगति को प्राप्त हुए जवानों पर एक शब्द भी उससे नहीं लिखा गया।

माहिरा का ट्वीट 14 फरवरी से लेकर 15 मार्च तक : पुलवामा पर चुप रहने वाली अचानक से एक्टिव हो गई

हैरानी होती है ऐसे लोगों पर जिन्हें कमाने-खाने के लिए भारत का सहारा चाहिए, लेकिन संवेदनाएँ प्रकट करने के लिए दोहरा रवैया अपनाते हैं। ऐसे लोगों पर शक होता है कि अगर यह न्यूजीलैंड का हमला मस्जिद में न होकर किसी और जगह होता तो भी शायद इनके ट्विटर अकॉउंट पर केवल सेल्फी और इनके इवेंट्स की जानकारी ही होती। ‘पाक’ कलाकारों पर बरती जाने वाली सख्ती पर कुछ लोगों की आवाज़े हर मौक़े पर बुलंद होती हैं, लेकिन वो भूल जाते हैं कि जिस प्रेम के चलते वो इन कलाकारों के समर्थन में अपनों के विरोध पर आ खड़े हुए हैं, वही कलाकार ऐसे मौक़ों पर अपनी वास्तविक प्रवृति का सबूत दे देते हैं।

इससे पहले एक पोस्ट में हम आपको पाकिस्तान के गायक और भारतीय राजनयिक की हवाई यात्रा पर हुई बातचीत का किस्सा बता चुके हैं, जिसमें गायक ने भारतीय राजनयिक को पाकिस्तानी समझते हुए भारत में होने वाले उनके दौरों पर बात करते हुए भारत के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसी माहौल में वो ‘काफ़िर’ भारतीय लोगों पर खूब बरस भी रहे थे, साथ ही उन्होंने कहा था कि एक ‘मोमिन’ होने के नाते वो भारत देश के काफ़िरों की सिर्फ शराब, शबाब और पैसा पसंद करते हैं और इसमें उन्हें कोई परेशानी नहीं होती।

हवाई सफ़र से उतरने के बाद जब राजनयिक ने उन्हें बताया कि वो पाकिस्तानी नहीं बल्कि भारतीय राजनयिक हैं तो गायक ने फ़ौरन उनसे माफ़ी माँगी और गिड़गिड़ाए भी। लेकिन राजनयिक की सिफ़ारिश पर उस गायक को तुरंत ही ब्लैक लिस्ट कर दिया गया था।

सोचिए! जिन पर आफत आने पर ‘हम कलाकारों की कोई जाति नहीं होती’ जैसे बातें बोलते हैं, वही समय आने पर कैसे अपनी हकीक़त से खुद ही पर्दा उठा देते हैं।

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