बंगाल से छपने वाला अखबार होने के बावजूद ममता के शासन में यह पेपर भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, हर जिले में हो रहे मजहबी दंगों और तमाम अपराधों से जलते बंगाल पर चुप्पी साध लेता है। ऐसे तमाम मौकों पर इनकी बुद्धि घास चरने चली जाती है और बेहूदे हेडलाइन सुझाने वाले एडिटरों की रीढ़ की हड्डी गायब हो जाती है। इनका सारा ज्ञान हेडलाइन में अपनी जातिवादी घृणा, हिन्दुओं से धार्मिक घृणा आदि में ही बहता रहता है।
हिन्दू विरोधी दंगों के दौरान ताहिर का घर मुख्य केंद्र बनकर उभरा है। वहॉं हिंदू घसीटकर लाए गए और उनकी निर्मम हत्या की गई। यूपी के अमरोहा से आया ताहिर कैसे बन गया दंगाइयों का सरगना?
इस्लामी आतंकियों ने अशोक रैना सहित सभी हिंदुओं को बस से नीचे उतरने के लिए कहा। उन आतंकियों ने अन्य यात्रियों को कहा कि सिर्फ पूछताछ करेंगे, यकीन दिलाने के लिए पैगंबर और कुरान की शपथ भी खाई। लेकिन ऐसा किया नहीं। सभी 6 हिंदुओं को बस से उतारने के बाद...
जिस शांति का किरदार दिखाया गया, वो सरला भट्ट का है। सरला नर्स थीं और फिल्म में शांति को भी नर्स दिखाया गया है। मगर इसमें ये नहीं दिखाया कि कैसे आतंंकवादियों द्वारा सरला का सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर बढ़ई की आरी से उसके शरीर को तीन हिस्सों में चीर कर सरे बाजार घुमाया गया।
यहाँ पर सवाल उठता है कि केजरीवाल ने ऐसा क्यों कहा कि वोट देने से पहले पुरुषों से अवश्य चर्चा करें? क्या उनको आज की नारी पर भरोसा नहीं है? क्या वो पढ़ी-लिखी-समझदार नहीं है? क्या वो भला-बुरा देखकर समझ नहीं सकती? क्या महिलाओं में इतनी समझदारी नहीं है कि वो अपनी समझ से वोट दे सकें?
ताइवान और हॉन्ग कॉन्ग पर कब्जा करके चीन एक ग्रेटर चीन का सपना देख रहा था। मगर दोनों जगहों की जनता ने लोकतंत्र समर्थक उम्मीदवारों को जीत दिलाकर चीन के अरमानों पर पानी फेर दिया। यहाँ के मतदाताओं ने हॉन्ग कॉन्ग की तरह ही चीन के ‘एक देश दो सिस्टम’ की राजनीतिक व्यवस्था को खारिज कर दिया है।
जब तक जनता ने चिदंबरम की पार्टी की योजनाओं और झूठे वादों को बिना कोई सवाल किए, बिना कोई जाँच-पड़ताल किए आँख मूँदकर माना, तो समझदार... लेकिन जैसे ही जनता ने सच्चाई को देख-समझकर, देश हित को जान कर फैसला लेना शुरू किया वो बेवकूफ! तिहाड़ी से आने के बाद शायद...
जातिगत भेदभाव के आरोपों में घिरे प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार जॉंच पूरी होने तक माखनलाल यूनिवर्सिटी के कैंपस में प्रवेश नहीं कर पाएँगे। लेकिन, उससे पहले छात्रों के साथ जो कुछ हुआ वह हतप्रभ करने वाला था। पीड़ित छात्रों की जुबानी सुनिए उस रात की प्रताड़ना।