COVID-19 की दूसरी लहर बहुत तेज है और अधिकतर राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। पर ऐसा क्यों है कि महाराष्ट्र सरकार के संक्रमण रोकने के प्रयास शुरू से ही असफल दिखाई देते रहे हैं?
चलते-चलते कोरोना तक पहुँचे हैं। एक वर्ष पहले से किसी आशा में बैठे थे। विशेषज्ञ को लाकर चैनल पर बैठाया। वो बोला; इतने बिलियन संक्रमित होंगे। इतने मिलियन मर जाएँगे।
पश्चिम बंगाल में चुनाव समाप्ति की ओर बढ़ रहे हैं। इस दौरान हिंसा की कई घटनाएँ सामने आई है। क्या नतीजों के बाद दशकों पुराना राजनीतिक हिंसा का दौर थमेगा?
गिद्धों की पाँत फिर से वैसे ही बैठ गई है। फिर से हेडलाइन के आगे प्रश्नवाचक चिन्ह के सहारे वक्तव्य दिए जा रहे हैं। नेताओं द्वारा फ़र्ज़ी प्रश्न उठाए जा रहे हैं। शायद फिर उसी आकाँक्षा के साथ कि भारत कोरोना के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई हार जाएगा।