Friday, April 26, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्देबोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होएः दिल्ली में CM केजरीवाल के 'मैं...

बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से होएः दिल्ली में CM केजरीवाल के ‘मैं हूॅं ना’ पर मजदूरों की बेबस भीड़ क्यों भारी

समस्या यह है कि एक राज्य से शुरू होने वाले ऐसे पलायन का असर अन्य राज्यों में रहने वाले प्रवासी मज़दूरों पर भी हो सकता है। ऐसे में आवश्यकता है उस विश्वसनीय बयान की जो मज़दूरों में विश्वास जगाए रखे और उन्हें पलायन से रोके।

देश के लगभग सभी राज्यों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर फैल रही है। हर राज्य अपनी आवश्यकता के अनुसार धारा 144, रात का कर्फ़्यू, लॉकडाउन या सीमित लॉकडाउन की घोषणा कर रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने सबसे पहले इस तरह की घोषणा की और उसके बाद मध्य प्रदेश और दिल्ली ने भी सीमित कर्फ़्यू की घोषणा की। संक्रमण के फैलने की तेज़ी को देखते हुए नागरिक भी सचेत हो रहे हैं और संक्रमण से बचने के उपाय कर रहे हैं। यह अलग बात है कि बिना मास्क के बाहर निकलने वाले लोग अब भी दिखाई दे रहे हैं।

दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा के बाद लोग भारी मात्रा में बाहर आए और शराब की दुकानों पर भीड़ लग गई। ऐसी भीड़ के वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। त्रासदी यह है कि इस कठिन समय में शराब की दुकानों पर होने वाली भीड़ और वहाँ बोली जाने वाली बातें ही नागरिकों के लिए थोड़ी देर के लिए ही सही, दुःख भूलने का कारण बन रही है। शराब ख़रीदने वालों में से कई लोग अपनी गंभीर बातों से लोगों को हँसा देते हैं।

दिल्ली की जनता इस मुश्किल समय से जूझने की कोशिश कर ही रही थी और जब लोगों को लग रहा था कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष मज़दूरों का पलायन शायद देखने को न मिले तब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो जारी कर दिया, जिसमें उन्होंने मज़दूरों से अपील करते हुए ‘मैं हूँ ना’ के शाहरुख़ खान स्टाइल में कहा: सरकार आपका पूरा ख़याल रखेगी। मैं हूँ ना। मुझ पर भरोसा रखिए।

लगा उनकी इस अपील से जैसे जादू हो गया। शाम होते-होते लोगों ने आनंद बिहार बस अड्डे के फ़ोटो और वीडियो शेयर करने शुरू कर दिए जिसमें बस अड्डे पर दिल्ली से बाहर जाने की कोशिश करने वालों की भारी भीड़ दिखाई दे रही थी। समझ में नहीं आया कि जब सरकार द्वारा लगाया गया लॉकडाउन बहुत कम समय के लिए एक सामान्य कदम था तो यह वीडियो जारी करने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी? क्या मुख्यमंत्री केजरीवाल को दिल्ली की जनता पर भरोसा नहीं है कि उन्हें सरकार द्वारा उठाया गया सामान्य कदम समझ में नहीं आएगा? या फिर पिछले साल उनके और उनकी सरकार द्वारा जो कुछ किया गया उसे जनता भुला नहीं पाई है?

हम यदि पिछले दस दिनों में मुख्यमंत्री केजरीवाल के बयान देखें तो उनकी वजह से कई विषय पर केवल भ्रम ही फैला है। उन्होंने बार-बार कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में बेड की कमी नहीं है। उनकी यह बात उस ऐप के आँकड़ों पर आधारित है जो दिल्ली सरकार ने जारी किया है। पर यहाँ सच्चाई ऐप द्वारा दिखाए जा रहे आँकड़ों से भिन्न है। लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में बेड वैसे ही नहीं हैं पर फ़ोन करने पर प्राइवेट अस्पताल भी बेड ख़ाली न होने का दावा कर रहे हैं। फिर केजरीवाल जी ने दिल्ली में ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर तीन दिन के अंदर ही दो बार भ्रामक बातें की। उन्होंने पहले कहा कि दिल्ली में ऑक्सीजन का पूरा स्टॉक है और किसी तरह की दिक्कत होने नहीं दी जाएगी। फिर उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन की कमी है।

भ्रामक बयान देना अरविंद केजरीवाल के लिए नई बात नहीं है। प्रवासी मज़दूरों में भ्रम की स्थिति पैदा करके उन्हें बसों में भरकर उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर छोड़ने वाली बात को अभी मात्र एक वर्ष ही हुए हैं। उन्हीं दिनों मज़दूरों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के दिल्ली सरकार के दावों पर कई हलकों में बहस भी हुई थी और उन्हें झूठा भी बताया गया था। सबको याद है कि कैसे सरकार के परिवहन विभाग ने कथित तौर पर मैसेज वायरल करवा मज़दूरों को भागने के लिए विवश कर दिया था

मुख्यमंत्री केजरीवाल के भ्रामक बयानों से बनने वाली अनिश्चित भविष्य की तस्वीर और सरकार द्वारा मज़दूरों के हितों की रक्षा के लिए ईमानदार कोशिश न करने की आशंका से प्रवासी मज़दूरों का पलायन पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी होने का ख़तरा बना हुआ है। समस्या यह है कि एक राज्य से शुरू होने वाले ऐसे पलायन का असर अन्य राज्यों में रहने वाले प्रवासी मज़दूरों पर भी हो सकता है। ऐसे में आवश्यकता है उस विश्वसनीय बयान की जो मज़दूरों में विश्वास जगाए रखे और उन्हें पलायन से रोके।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

नहीं होगा VVPAT पर्चियों का 100% मिलान, EVM से ही होगा चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सारी याचिकाएँ, बैलट पेपर की माँग भी...

सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की माँग से जुड़ी सारी याचिकाएँ 26 अप्रैल को खारिज कर दीं। कोर्ट ने बैलट पेपर को लेकर की गई माँग वाली याचिका भी रद्द कीं।

‘मुस्लिमों का संसाधनों पर पहला दावा’, पूर्व PM मनमोहन सिंह ने 2009 में दोहराया था 2006 वाला बयान: BJP ने पुराना वीडियो दिखा किया...

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2009 लोकसभा चुनावों के समय 'मुस्लिमों का देश के संसाधनों पर पहला हक' वाला बयान दोहराया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe