पाकिस्तानी आकाओं व अधिकारियों ने ग्रिल्स को बताया कि भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों की नज़रों से बचना उनके लिए सबसे कठिन चुनौती है। पाकिस्तान के आतंकी आकाओं ने बताया कि आसपास के क्षेत्र में कभी भी 'सर्जिकल स्ट्राइक' नामक तूफ़ान आ जाया करता है, जिसके कहर से बचना काफ़ी मुश्किल है।
ऑपइंडिया तीखी-मिर्ची सेल की ख़ुफ़िया रिपोर्ट्स की मानें तो इन आतंकियों को उत्तर प्रदेश पुलिस की निगरानी में मात्र 'ठाँय-ठाँय' के ही स्वर से जन्नत-ए-फ़िरदौस की पहली यात्रा ट्रायल के तौर पर करवाई जाएगी।
पाकिस्तान आर्मी प्रवक्ता ने कल शाम एक ट्वीट किया है, जिसमें वो कश्मीर को किसी भी तरीके से वापस लेने की बात करते हुए नजर आ रहे हैं। हालाँकि, गफूर द्वारा अभी यह स्पष्टीकरण देना बाकी है कि उन्होंने ये ट्वीट भाँग के नशे में किया था या घोड़े की लीद फूँक कर....
कॉन्ग्रेस को भय है कि समर्थन करने में मुस्लिम वोट बैंक से हाथ धोना पड़ सकता है और विरोध करने में हाल ही में अपनाया गया ताजातरीन हिंदुत्व खतरे में पड़ सकता है इसलिए बेहतर है कि इस सब चर्चा से ऊपर उठकर नेहरू जी के नाम का कलमा पढ़ा जाए।
उमर अब्दुल्ला हों या फिर शेहला रशीद, सोशल मीडिया पर अफवाहों और मनगढ़ंत मुद्दों पर अपने प्रलापों की वजह से अक्सर चर्चा में बने रहने वाले इन सभी का कारगिल विजय की वर्षगाँठ पर सन्नाटे में चले जाना तो यही दर्शाता है कि इनकी खुशियाँ और प्राथमिकताएँ अन्य नागरिकों से भिन्न हैं।
चंद्रयान 2 के लैंडिंग साइट के नाम का खुलासा हो गया है। सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी जी इस लैंडिंग साइट को 'राजीव गाँधी गड्ढा केंद्र' रखने वाले हैं। हालाँकि, इस नाम पर आखिरी मुहर अभी लगनी बाकी है।
मोदी जिस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए चँदा मामा की सैर का श्रेय लेते हुए लहरिया लूटने की सोच रहे हैं, वो तकनीक भी नेहरू जी द्वारा स्थापित (फ़िलहाल गुप्त) राजीव गाँधी टेलीपोर्टेशन अनुसन्धान संस्थान की ही देन है। नेहरू ने ही माउंटबेटेन के साथ मिलकर आग का आविष्कार किया था। लेकिन गोदी मीडिया आपको...
अदालत ने आपत्तिजनक पोस्ट लिखने वाले उस युवक को अगले एक साल तक कानपुर के हर गली-मोहल्ले में 'विमल' बाँटने की सजा सुना दी है और साथ ही उन्हें 'बोलो जुबाँ केसरी' के नारे भी लगाने होंगे।
गाँव-नगर में ढिंढोरा पिटवाने का राज-आदेश दे दिया गया कि युवराज नाराज हैं और कई दिनों से "कॉन्गलेच के छोना बाबू थाना नहीं था रहे।" तमाम विश्लेषकों के माथे बल पड़ गया। राजनीति के गलियारों में हलचल मच गई।
इस बार जिस दृढ़निश्चय के साथ राहुल गाँधी अपने इस्तीफे के फैसले पर अड़े हुए हैं, उससे भाजपा और तमाम गाँधी परिवारविरोधी शक्तियों में निराशा की लहर छाई हुई है।