यूपोरियन थिंक टैंक ने कहा कि पाकिस्तान के पिछले रवैये की तरह ही पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों के सच्चे दोस्त नहीं हैं। वे बस उनके लिए धोखा करते हुए विरोध और गुस्से का दिखावा कर रहे हैं।
कट्टरपंथी जमीयत नेता फजलुर रहमान ने सरकार के खिलाफ 27 अक्टूबर को मार्च का किया ऐलान। कहा, "यह जंग तब तक जारी रहेगी जब तक इमरान ख़ान की सरकार चली नहीं जाती। पूरे देश से लोगों का जनसैलाब मार्च में भाग लेने आ रहा है और फ़र्ज़ी शासक इसमें एक तिनके की तरह डूब जाएँगे।"
पीटीआई नेता ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में छात्राओं के बीच बॉंटे बुर्के। कहा इससे छेड़छाड़ से बचेंगी। पिछले दिनों प्रांतीय सरकार ने स्कूलों में बुर्का अनिवार्य करने का आदेश जारी किया था। हालॉंकि विवाद होने पर इसे वापस ले लिया था।
यहाँ तक कि जब चौधरी को उनका वह ट्वीट दिखा दिया गया, जिसमें उन्होंने "50 से अधिक देशों" के UNHRC में पाकिस्तान के समर्थन का दावा किया था, तो भी उन्हें समझ नहीं आया कि उसमें गलत क्या है। "मैंने जो कहा, उस पर मैं कायम हूँ। इसमें इतनी हैरत की क्या बात है? आप किसका एजेंडा चला रहे हो?"
पाकिस्तानी सेना देश के बजट का 17-22% लेती है। बावजूद इसके कि वह खुद 100 अरब डॉलर के आर्थिक साम्राज्य की मालिक है, जो बैंकिंग, सीमेंट, रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में पसरा हुआ है। हाल ही में उसने सरकार से खनन, तेल और गैस का काम भी अपने हाथों में ले लिया है।
वीडियो में दिखाया गया है कि स्थानीय पुलिस उन चार नाईयों को हिरासत में लेकर उनसे 5,000 रुपए का जुर्माना वसूलने के बाद चेतावनी के साथ रिहा कर देती है। साथ ही चेतावनी भी दी कि अगर उन्होंने गैर इस्लामिक तरीके से दाढ़ी आगे भी काटी तो अंजाम और बुरा होगा।
संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अली मोहम्मद ने विपक्षी सांसद के इस प्रस्तावित बिल का विरोध किया। मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान एक इस्लामिक रिपब्लिक है जहाँ सिर्फ मुस्लिम ही राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन सकता है।
विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि खान आर्थिक संकट से गुजर रहे देश को समस्याओं से बाहर निकाल पाने में असफल हैं। पार्टी ने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए आजादी मार्च निकालने की घोषणा की है।
हमलावर पुलिस मुख्यालय में ही कार्यरत था और बताया जा रहा है कि हमलावर ने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया था। फ़िलहाल, हमलावर को पुलिस ने गोली मारकर ढेर कर दिया।
कोर्ट के इस आदेश पर पाकिस्तानन के एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि कोर्ट ने कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल के ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती वारंट जारी किया है। यह कोर्ट ने नहीं किया है। पाक सेना चाहती है और हम सब जानते हैं कि न्याय व्यवस्था कितनी स्वतंत्र है।