30 जून को इस्लामी भीड़ ने पुरानी दिल्ली के हौज काजी इलाके के लाल कुआँ स्थित एक दुर्गा मंदिर में तोड़-फोड़ की। विवाद की शुरुआत पार्किंग को लेकर झगड़े से हुई जो जल्द ही हेट क्राइम में तब्दील हो गई। इसमें कोई शक नहीं कि उस रात और उसके बाद जो कुछ हुआ उसका खामियाजा केवल हिन्दुओं को भुगतना पड़ा। हिंसा में शामिल सभी लोग समुदाय विशेष थे। इसके बावजूद ऑनलाइन फैक्ट-चेकिंग का दावा करने वाली FactChecker.in ने अपने Hate Crime Watch डेटाबेस में समुदाय विशेष को भी इस घटना का पीड़ित बताया है।
What happened: Muslim mob vandalise temple in Delhi, pelt stones at Hindu houses, shout slogans like Allahu Akbar & Naara e Takbeer@FactCheckIndia: Muslim is still the victim. Tension flared because of right-wing outfits
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) July 9, 2019
Such jokers pic.twitter.com/lhRjeItQVt
फैक्टचेकर ने दावा किया है कि इलाके में तनाव 2 जुलाई को बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद की बाइक रैलियों से फैली। उन्होंने दुसरे मजहब के लोगों को हेट क्राइम पीड़ितों की श्रेणी में रखा है और हिन्दुओं को कथित तौर पर साजिशकर्ता बताया है, जबकि मंदिर पर हमला कर मूर्तियों को तोड़ा गया। वास्तविकता यह है कि 30 जून को दुर्गा मंदिर में तोड़-फोड़ के बाद से ही तनाव चरम पर था। लेकिन, उनका कहना है कि सुरक्षा बलों की मौजूदगी से बाजार में हालात सामान्य हो रहे थे। जबकि, प्रत्यक्ष तौर पर हिंसा नहीं होने का मतलब हालात सामान्य होना नहीं है।
मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध कोई हेट क्राइम नहीं होने पर भी फैक्टचेकर ने उन्हें इस मामले में पीड़ितों में शामिल किया है, जबकि इस हिंसा में उनके शामिल होने को लेकर कोई संदेह नहीं है। यह बताता है कि कैसे एजेंडे के तहत फैक्टचेकिंग वेबसाइटें मुस्लिमों को पीड़ित दिखाने के लिए काल्पनिक नैरेटिव गढ़ कर प्रोपेगंडा फैलाती हैं।
ऑपइंडिया नियमित तौर पर फैक्टचेकर के हेट क्राइम वॉच के संदिग्ध पहलुओं को उजागर करता रहता है। स्वराज्य पत्रिका की स्वाति गोयल शर्मा ने भी कई मौकों पर इस नैरेटिव को उजागर किया है। कई मौकों पर फैक्टचेकर ने जानबूझकर तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा ताकि अपने डेटाबेस में मुस्लिम पीड़ितों की संख्या बढ़ा सके। इसके लिए उसने उन मामलों को भी शामिल किया जहाँ पीड़ित और अपराधी दोनों ही मुस्लिम थे।
इस संस्थान ने कुछ ऐसे मामलों को भी हेट क्राइम डेटाबेस में महज इसलिए शामिल कर रखा है, क्यूँकि कथित तौर पर पीड़ित मुस्लिम और गुनहगार हिन्दू थे, जबकि बाद में ये मामले गलत साबित हो चुके हैं। फैक्टचेकर वालों के हिसाब से पुलवामा आतंकी हमला हेट क्राइम नहीं था, जबकि आतंकवादी ने खुद ‘गौ-मूत्र पीने वालों’ पर हमला करने की बात कही थी। यह दूसरी बात है कि दुराग्रही एजेंडे और संदेहास्पद ट्रैक रिकॉर्ड के बावजूद फैक्टचेकर को हाल ही में उसके ‘हेट क्राइम डेटाबेस’ के लिए अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है।