स्व-घोषित फै़क्ट-चेकिंग पोर्टल Alt-News के सह-संस्थापक हैं प्रतीक सिन्हा और उनके इस झूठ के कारोबार को बढ़ावा देने में उनके सहयोगी हैं ज़ुबैर, जो ट्विटर पर @zoo_bear नाम से एकाउंट चला कर प्रतीक सिन्हा की झूठ की खेती को सींचने में सहयोग करते हैं। यह अक्सर इस्लामी कट्टरपंथियों की मदद से सोशल मीडिया पर मौजूद राष्ट्रवादी यूज़र्स के ख़िलाफ़ हमलावर रहते हैं। एक बार फिर उन्होंने साम्प्रदायिक हिंसा को उकसाने के लिए फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाईं।
इस बार @zoo_bear ने एक ‘क्रॉप्ड वीडियो’ शेयर किया। जिसमें उसने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में गोंडा के विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कुछ सदस्यों ने पुलवामा आतंकी हमले के ख़िलाफ़ विरोध रैली में देश विरोधी नारे लगाए। ज़ुबैर (@zoo_bear) ने अपने फॉलोअर्स से उसी ‘क्रॉप्ड वीडियो’ को री-ट्वीट करने का आग्रह किया, ताकि सांप्रदायिक द्वेष को भड़काया जा सके और इस फ़र्ज़ी ख़बर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाया जा सके।
VHP Nationalists seen raising Anti National slogans ‘Hindustan Murdabad’
— Zoo Bear (@zoo_bear) February 19, 2019
Nationalist anchors have promised to highlight this on prime time tomorrow if this tweet gets more than 1K RTs. @TajinderBagga ji pls help ?? pic.twitter.com/ZZgnLztRJz
हालाँकि, गोंडा पुलिस ने जल्द ही ज़ुबैर के दावों को ख़ारिज करते हुए एक बयान जारी किया। पुलिस ने स्पष्ट किया कि इस तरह के ‘भारत-विरोधी नारे’ नहीं लगाए गए। गोंडा पुलिस ने अपने बयानों में कहा कि VHP के विरोध प्रदर्शन से जुड़े वीडियो का इस्तेमाल ‘भ्रष्ट’ उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है और कहा कि इस तरह के नारे आयोजन के दौरान नहीं लगाए गए थे।
#spgonda जनपद गोंडा में विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप पर गोंडा में लगे देश विरोधी नारे शीर्षक से प्रसारित वीडियो के संबंध में खण्ड़न। @News18UP @dgpup @adgzonegkr @gorakhpurpolice @Igrangelucknow @bastipolice @bahraichpolice @balrampurpolice @noidapolice pic.twitter.com/mcTKLdx80J
— Gonda Police (@gondapolice) February 19, 2019
#FakeNews
— Priya Kulkarni (@priyaakulkarni2) February 20, 2019
Zubair Bhai stop faking. Will you make your own story on Alt News ? ?
Gondapolice released this statement.@MODIfiedVikas @OpIndia_com @rahulroushan @UnSubtleDesi @desimojito @pokershash @Being_Humor @manashsarma343 @iAnkurSingh @vivekagnihotri pic.twitter.com/DQt1Wk6sHy
— Gonda Police (@gondapolice) February 20, 2019
गोंडा पुलिस ने इस फ़र्ज़ी ख़बर के दावों को ग़लत साबित करने के लिए घटना के वीडियो को भी पोस्ट किया। वीडियो में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि ज़ुबैर के दावों के उलट, VHP सदस्यों ने पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ मानते हुए उसके ख़िलाफ़ नारे लगाए गए थे न कि भारत के विरोध में।
गोंडा पुलिस द्वारा जारी स्पष्टीकरण के बावजूद, स्व-घोषित फै़क्ट चेकर Alt-News के सहयोगी एकाउंट (@zoo_bear) ने अपने फैलाए गए झूठे ट्वीट को न तो डिलीट किया और न ही अपने इस कृत्य के लिए कोई माफ़ी ही माँगी।
यह पहली बार नहीं है जब Alt-News के गिरोह ने ऐसा अपराध किया हो। हाल ही में, एक यूज़र ‘स्क्विंट नियॉन’ (जिसका ट्विटर हैंडल @squintneon है) को लगातार ऑनलाइन जिहादियों से धमकियाँ दी जा रही थी कि अब वो उसे पहचान सकते हैं और वो उसे छोड़ेंगे नहीं। स्क्विंट नियॉन ने लगातार ऐसे इस्लामी ज़िहादियों को एक्सपोज़ किया था, जिसके कारण, अब उसकी पहचान सार्वजनिक होने पर उसे ये आंतकी विचारों वाले लोग ढूँढ रहे हैं। मुहम्मद ज़ुबैर नाम के सहयोगी के साथ प्रतीक सिन्हा ने डॉक्सिंग करते हुए जानबूझकर स्क्विंट नियॉन को इन ऑनलाइन जिहादियों के समक्ष ला दिया। Alt-News ने न केवल सोशल मीडिया पर नियॉन के विवरणों की जानकारी दी, बल्कि उसके जीवन को दाँव पर लगाने का भी काम किया।
Alt-News के संस्थापक प्रतीक सिन्हा सोशल मीडिया पर राष्ट्रवादी यूज़र्स की निजी सूचनाओं को कॉन्ग्रेस और इस्लामी कट्टरपंथियों तक पहुँचाने का काम करते हैं। इससे पहले, एक ट्विटर उपयोगकर्ता ने गोपनीयता भंग करने के लिए सिन्हा के ख़िलाफ़ मुक़दमा भी दर्ज़ कराया था और व्यक्तिगत छवि को नुक़सान पहुँचाने के एवज़ में 5 करोड़ रुपए का दावा भी ठोका था।
इससे पहले प्रतीक सिन्हा ने अपनी स्टॉकर टेन्डेन्सी का परिचय देते हुए (जिस पर अगर सिन्हा ने लग़ाम नहीं लगाई तो यह ख़तरनाक आपराधिक जुर्म में भी तब्दील हो सकती है) राहुल रौशन (Rahul Roushan) से जुड़ी निजी जानकारियों को पब्लिक कर दिया था। टार्गेटिंग और स्टॉकिंग की सीमा लाँघते हुए प्रतीक सिन्हा ने उनकी पत्नी के साथ-साथ मात्र दो-माह छोटी बच्ची से जुड़ी निजी जानकारियाँ भी पब्लिक कर दी थीं।
ज़ुबैर नाम का यह शख्स और प्रतीक सिन्हा इस घृणित कार्य में अब ‘अकेले’ ऐसे व्यक्ति नहीं हैं, जिन्होंने ऐसी आपराधिक प्रवृत्ति प्रदर्शित की है। ट्रोल स्वाति चतुर्वेदी ने एक पुस्तक लिखी है, जिसमें कई व्यक्तियों की निजी जानकारी को शामिल किया गया है। इस पुस्तक में उन सबको ‘ट्रोल्स’ के रूप में लेबल किया गया है, जो प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन करते हैं।
स्वाति चतुर्वेदी, OpIndia (English) की सह-संस्थापक को डॉक्स करते हुए, उनकी व्यक्तिगत जीवन के पीछे पड़ गईं थीं।
बज़फीड (BuzzFeed) के एक अन्य तथाकथित पत्रकार, प्रणव दीक्षित ने भी एक महिला को ऑनलाइन स्टॉक किया था। चूँकि वो उनसे असहमत थीं, इसलिए प्रणव दीक्षित ने उसका लिंक्डइन प्रोफ़ाइल ढूँढा और एक ईमेल लिखकर उसके नियोक्ताओं से पूछा कि क्या वे जानते हैं कि उनका एक कर्मचारी उनसे असहमत है। फिर भी कमाल की बात ये है कि ये सभी धुरंधर गोपनीयता के चैंपियन हैं।
अभी तक कुछ तथाकथित पत्रकार ही उन लोगों को परेशान करते थे, जो उनसे असहमत होते। लेकिन शायद इतना ही काफ़ी नहीं था! तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन (Derek O’Brien) भी अपने संसदीय विशेषाधिकार का फ़ायदा उठाते हुए, उन ट्विटर यूज़र्स को ज़लील करने लगे जो उनसे असहमत थे।
फ़ेक-न्यूज़ फैलाने के लिए स्व-घोषित फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट Alt-News अरुंधति रॉय द्वारा वित्त पोषित है। उन्हें अक्सर झूठ बोलते हुए पकड़ा भी गया है, जिसके लिए शायद ही वो कभी ख़ुद को सही साबित कर पाई हों।
हाल ही में, उन्होंने पत्रकार बरखा दत्त के फ़ैक्ट-चेक के क्लिप्ड वीडियो की माँग की। लेकिन दिलचस्प रूप से, उन बिंदुओं को छोड़ दिया, जहाँ वास्तव में घाटी में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का संदर्भ था। Alt-News ने आर्मी से सेवानिवृत्त प्रमुख का भी फैक्ट चेक किया, लेकिन बिना सोचे-समझे आर्मी चीफ़ के पक्ष को नज़रअंदाज़ कर दिया। इसके बाद Alt-News ने एक फ़ेक इमेज का फैक्ट चेक करके उसे प्रसारित किया, वो भी बिना सही जानकारी दिए। Alt-news के सह-संस्थापक बड़ी आसानी से झूठ फैला कर अपना मंतव्य सिद्ध कर लेते हैं। ऐसा ही उन्होंने कर्नाटक चुनाव से ठीक पहले भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा की एक फ़ेक इमेज साझा करके की थी।
कई युवाओं द्वारा भारत-विरोधी नारे लगाने की ख़बरों को ख़ारिज करने के लिए वेबसाइट ने कुछ अजीबो-गरीब मंबो-जंबो सा विश्लेषण किया। जबकि बिहार के डीजीपी ने Alt-News के दावों को एक सिरे से ख़ारिज कर दिया। हैरान कर देने वाली बात यह है कि Alt-News के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा के चेहरे पर एक शिकन भी देखने को नहीं मिलती जब वो अपने फै़क्ट-चेक के फ़र्ज़ी होने के तथ्य से अवगत हो जाते हैं।
Alt-News और इसके सहयोगियों ने अतीत में भी बिना किसी सबूत के एक प्रत्यक्षदर्शी की बातों को ख़ारिज़ कर दिया क्योंकि यह उनके कथन के अनुकूल था। उनके द्वारा खुदरा FDI पर बीजेपी के रुख़ के बारे में और ख़ुद OpIndia.com के बारे में भी झूठ फैलाया गया।