सोशल मीडिया एक खबर वायरल हो रही है कि अमेठी के मुंशीगंज इलाके में 121 लोगों की मौत हो गई है। यह खबर शुक्रवार (6 अक्टूबर) को ‘4बजे’ नामक एक यूट्यूब चैनल से प्रकाशित हुई है। खबर का आधार संजय गाँधी अस्पताल के कुछ कथित कर्मचारियों के बयान को बनाया गया है।
वीडियो के अनुसार, अस्पताल के कर्मचारियों का दावा है कि बेहतर इलाज न मिल पाने के चलते पिछले कुछ समय में 121 मरीजों की जान चली गई है। इस खबर को अमेठी के जिलाधिकारी (DM) ने झूठा बताया है। इसके साथ ही उन्होंने अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
संजय गाँधी अस्पताल अमेठी के मुंशीगंज इलाके में स्थित है। इसी सप्ताह एक महिला मरीज की मौत में लापरवाही की शिकायत होने के बाद स्थानीय प्रशासन ने इस अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। हालाँकि इलाहबाद हाईकोर्ट ने प्रशासन के इस आदेश को निरस्त कर दिया है। इस अस्पताल में ईलाज शुरू हो चुका है।
यह अस्पताल संजय गाँधी मेमोरियल ट्रस्ट (एसजीएमटी) द्वारा चलाया जाता है। इस अस्पताल की अध्यक्षा कॉन्ग्रेस सुप्रीमो सोनिया गाँधी हैं। इसी मामले की कवरेज के दौरान चैनल ‘4 बजे’ ने संजय गाँधी अस्पताल के एक कथित कर्मचारी सौरभ मिश्रा से बातचीत की।
सौरभ ने दावा किया कि प्रशासन द्वारा संजय गाँधी अस्पताल बंद करवाए जाने के बाद आसपास के 121 लोगों की बेहतर इलाज के अभाव में मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग लखनऊ के रास्ते में मर रहे हैं। दूसरों को समय पर दवाएँ नहीं मिल रही हैं। यहाँ तक कि रुई के फाहे और पत्तियाँ भी नहीं हैं।”
मिश्रा के अलावा ‘4 बजे’ ने अस्पताल के ही एक अन्य कर्मचारी उमाशंकर पांडेय से भी बातचीत की। उमाशंकर ने दावा किया था कि नेहरू-गाँधी परिवार के खिलाफ भाजपा की नफरत की भावना की वजह से अस्पताल का लाइसेंस निलंबित किया गया है।
उमाशंकर ने आगे कहा, “स्मृति ईरानी (अमेठी की सांसद) को इस बात से गुस्सा है कि अस्पताल के साथ ‘गाँधी’ नाम जुड़ा है। अब वे (भाजपा वाले) छोटे कर्मचारियों के रोजगार को नुकसान पहुँचाना चाहते हैं।” इसी इंटरव्यू आधार पर लोगों ने अमेठी में 121 से अधिक लोगों की मौत की बात कह डाली।
कॉन्ग्रेस पार्टी के तरफ़दार शांतनु सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) ने लिखा, “राहुल गाँधी और गाँधी परिवार से नफरत में स्मृति ईरानी और उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने 121 लोगों की जान ले ली, क्योंकि संजय गाँधी अस्पताल का कामकाज बंद करवा दिया गया था।”
हालाँकि, बाद में शांतनु ने अपना ट्वीट डिलीट कर लिया। शांतनु के अलावा भी कई अन्य लोगों ने भी 121 मरीजों की मौत के दावे को वायरल किया।
flesh alive passed the sell by date.The max sucking power of her throat and lungs it's all down hill from here,1.6 B Indian slaves being treated like animals.Shame on dirty Indian politics/politicians.Feku &Gang should be hanged, not worth living on planet earth.Sooner the better
— Rakesh Dhody (@rakesh_dhody) October 6, 2023
DM ने किया खंडन
इलाज के अभाव में 121 लोगों की मौत के दावों का अमेठी के जिलाधिकारी (DM) राकेश कुमार मिश्रा ने शुक्रवार (7 अक्टूबर) को खंडन किया। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, “एकदम भ्रामक एवं गलत बात कही जा रहीं है। किसी की मृत्यु नहीं हुई हैं। जनपद अमेठी के सभी सरकारी चिकित्सालयों में दवा आदि की कोई कमी नहीं है। तथ्य के विपरीत जनस्वास्थ्य के बारे में अफवाह फैलाने के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।”
एकदम भ्रामक एवं गलत बात कही जा रही है। किसी की मृत्यु नहीं हुई हैं। जनपद अमेठी के सभी सरकारी चिकित्सालयों में दवा आदि की कोई कमी नहीं है। तथ्य के विपरीत जनस्वास्थ्य के बारे में अफवाह फैलाने के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाएगी ।
— DMAmethi (@DmAmethi) October 6, 2023
विवाद की वजह
इस पूरे मामले की शुरुआत 15 सितंबर 2023 को 22 वर्षीया दिव्या नाम की महिला की मौत के बाद हुई। दिव्या के परिजनों ने संजय गाँधी अस्पताल के CEO अवधेश शर्मा, डाक्टर सिद्दीकी, डॉक्टर मोहम्मद रज़ा और डॉक्टर शुभम द्विवेदी के खिलाफ IPC की धारा 304-A (गैर इरादतन हत्या) के तहत 17 सितंबर को FIR दर्ज करवाई थी।
पीड़िता के घर वालों ने किडनी में पथरी के लिए हुए ऑपरेशन में जरूरत से ज्यादा एनेस्थीसिया दिए जाने का आरोप लगाया था। बेहतर इलाजे के लिए दिव्या को लखनऊ के मेदांता में रेफर किया गया था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका था। ऑपइंडिया के पास FIR कॉपी मौजूद है। दिव्या के घर वालों ने संजय गाँधी अस्पताल के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शन में आरोपित कर्मचारियों को जेल भेजने और पीड़ित परिजनों को मुआवजे की माँग शामिल थी। स्थानीय प्रशासन ने पीड़ितों की शिकायत पर अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। हालाँकि बुधवार (4 अक्टूबर) को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने जिला प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी और अस्पताल की सेवाएँ फिर से शुरू करने का आदेश दिया था।