बिहार के जहानाबाद में कुछ बच्चे खाना न मिलने के कारण लॉकडाउन में मेंढक खाने को मजबूर हैं। वामपंथी मीडिया पोर्टल स्क्रॉल ने ‘newsd’ नाम के यूट्यूब चैनल की एक वीडियो शेयर करते हुए यह दावा किया। जिसके बाद वहाँ के जिलाधिकारी ने खुद इस दावे की जाँच की और इन अफवाहों का खंडन करके स्क्रॉल के प्रोपगेंडे को ध्वस्त किया।
बिहार सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग ने जानकारी साझा की कि वीडियो द्वारा किए गए दावों की जाँच करने पर, यह पाया गया कि बच्चों के घरों में पर्याप्त भोजन इकट्ठा था और इनमें से किसी के पास मेंढक पकड़ने या खाने का कोई कारण नहीं था। उन्होंने कहा कि इस वीडियो को कुछ लोगों ने जिला प्रशासन की छवि धूमिल करने के लिहाज से बनाया था।
मेंढक पकड़ कर बच्चों द्वारा खाये जाने की खबर की पड़ताल की जांच में पता चला कि उनके घर में पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री पहले से ही उपलब्ध है। कुछ गैर जिम्मेदार लोगों ने मेंढक खाते हुए बच्चों का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर @DMJehanabad की छवि धूमिल करने की कोशिश की। pic.twitter.com/AUyGqmQiUN
— IPRD Bihar (@IPRD_Bihar) April 19, 2020
इस स्पष्टीकरण के बाद पीआईबी फैक्ट चेक की टीम ने भी स्क्रॉल द्वारा शेयर की गई वीडियो को फर्जी और असत्यापित बताया। इसके अलावा बिना तथ्यों की जाँच परख के निराधार दावे करने पर पीआईबी ने लिखा, “स्क्रॉल- एक प्रमुख मीडिया चैनल ने जहानाबाद में बच्चों के मेंढक खाने को लेकर झूठा दावा किया कि उनके पास खाने को कुछ नहीं है। इसके बाद वीडियो वायरल हुआ। मगर डीएम जहानाबाद की जाँच में ये दावा झूठा पाया गया और ये भी पता चला कि इन बच्चों के घरों में खाने को पर्याप्त सामग्री थी।”
Claim: Scroll -a prominent media portal has claimed children in Jehanabad, Bihar are eating frogs as they have no food at home. The video has since gone viral.#PIBFactCheck: The claim is false as inquired by Jehanabad DM, there is sufficient food in the homes of the children pic.twitter.com/GwXlSCVwHD
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 20, 2020
बता दें कि डीएम की ओर से की गई पड़ताल के बाद स्क्रॉल को अपनी रिपोर्ट को अपडेट करना पड़ा और उन्होंने ये भी बताया कि उनके झूठ का पर्दाफाश डीएम की पड़ताल के बाद हुआ।
गौरतलब है कि इससे पहले एनडीटीवी ने भी अरुणाचल प्रदेश को लेकर एक ऐसी झूठी खबर फैलाई थी। अपनी खबर में एनडीटीवी ने दावा किया था कि वहाँ पर लोग सांप का शिकार करके उसे खाने पर मजबूर हैं क्योंकि उनके पास चावल खाने को नहीं है। उन्होंने अपनी बात को सही साबित करने के लिए सोशल मीडिया पर कई वीडियो भी पोस्ट की, जिसमें वहाँ के अनुसूचित जनजाति के लोग 12 फीट का किंग कोबरा लेकर पोज दे रहे हैं। इस वीडियो को लेकर दावा किया कि उन्होंने किंग कोबरा का खाने के लिए शिकार किया।
बाद में केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने इस खबर के लिए एनडीटीवी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि किंग कोबरा एक संरक्षित प्रजाति है और उसका सेवन करने के लिए कोई जनजाति उसका शिकार नहीं करती। इसके अलावा रिजिजू व अरुणाचल सरकार ने एनडीटीवी पर झूठी खबर फैलाने का भी आरोप लगाया। साथ ही स्पष्ट किया कि वहाँ चावल की कोई कमी नहीं है।
Dear @ndtv please don’t make stories without verification! I’m dead against hunting and killing of animals so is the State Govt. But to say that there’s no rice left for the people leading to killing of cobra is rubbish! No one hunts snakes for consumption in Arunachal Pradesh. https://t.co/s07bX1rbEq
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) April 20, 2020