उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की की हत्या और कथित सामूहिक बलात्कार का मामला विपक्षी दलों के लिए भाजपा सरकार पर हमला करने का एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। मामले में बलात्कार के बारे में अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लड़की के साथ रेप नहीं हुआ था, मगर इस दावे के विपरीत आज (अक्टूबर 4, 2020) वामपंथी पोर्टल ‘द वायर’ ने एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट पब्लिश की। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा तैयार किए गए मामले पर एक मेडिको-लीगल एग्जामिनेशन रिपोर्ट पुलिस वर्जन को गलत ठहराती है।
द वायर ने 54 पन्नों की रिपोर्ट को एक्सेस किया है और इसके आधार पर उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि पीड़िता के साथ बलात्कार किया गया था। लेकिन हम आपको बता दे, पोर्टल द्वारा एक्सेस की गई रिपोर्ट में तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया है। मेडिकल रिपोर्ट के कई दूसरे हिस्सों को अनदेखा किया गया है, जिसमें किसी भी यौन हमले का उल्लेख नहीं है।
द वायर ने लिखा, “JNMCH द्वारा किए गए पीड़िता की MLC रिपोर्ट के सेक्शन 16 में डॉक्टर के रिकॉर्ड के अनुसार, घटना के दौरान पीड़ित की योनि के अंदर पेनिस गया था। अगले कॉलम में, डॉक्टरों ने कहा कि पेनिट्रेशन ‘पूरा’ था।” लेकिन यह तथ्य लोगों को गुमराह करने के अलावा और कुछ भी नहीं है, क्योंकि सेक्शन 16 में जिस कंटेंट के बारे में कहा गया है, इसमें डॉक्टरों द्वारा किए गए किसी भी मेडिकल परीक्षण का उल्लेख नहीं है। इसमें केवल पीड़ित द्वारा दिए गए बयानों का ही उल्लेख है।
बता दें यह सेक्शन ‘Details provided by the survivor’ के अंतर्गत आता है और सेक्शन 16 को “Details of the Act” टाइटल दिया गया है। इसलिए इसमें केवल वही बातें रिकॉर्ड की जाती है जो पीड़ित द्वारा घटना के बारे में बताया जाता है। द वायर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ये बातें डॉक्टर की तरफ से कही गई है, मगर ऐसा नहीं है।
रिपोर्ट में आगे ‘Orifice penetrated’ के बारे में कहा गया है कि यह पूरी तरह से हुआ था और पेनिस के माध्यम से हुआ था। हालाँकि आगे के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया गया, क्योंकि पीड़िता को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था, वह बेहोश हो गई थी।
इसका उल्लेख रिपोर्ट में ही किया गया है, जिसे वायर ने अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। अब सवाल उठता है कि यदि ये डॉक्टरों द्वारा किए गए अवलोकन थे, तो उन सवालों के जवाब भी होने चाहिए। मगर ऐसा नहीं है। इससे यह साफ होता है कि सेक्शन 16 में घटना को लेकर केवल पीड़िता का ही बयान है। इसमें उन डॉक्टरों की राय नहीं है जिन्होंने पीड़िता का इलाज किया था। वायर ने पीड़िता के बयानों को डॉक्टरों का बयान बताते हुए लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की।
गौरतलब है कि घटना के कुछ दिनों बाद सामने आए एक वीडियो में भी पीड़िता की माँ ने सिर्फ हमले का जिक्र किया था। उस समय माँ ने भी किसी भी तरह के बलात्कार का आरोप नहीं लगाया था।
हालाँकि बलात्कार की पुष्टि करने वाली पीड़िता का बयान मामले के संदर्भ में बहुत ही सांकेतिक है, लेकिन रिपोर्ट इसकी पुष्टि नहीं करती है, जैसा कि वायर ने दावा किया है। रिपोर्ट के कई अन्य बिंदु भी ध्यान देने योग्य हैं, जिससे पता चलता है कि रिपोर्ट बलात्कार के आरोप के बारे में निर्णायक नहीं है, और जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती, निष्कर्ष पर आने से बेहतर है कि इंतजार कर लिया जाए। रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं जिनके बारे में वायर ने अपने पूरी रिपोर्ट में कहीं भी उल्लेख नहीं किया है।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के तहत जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की शुरुआत में कहा गया है कि मरीज को 14 सितंबर को एडमिट किया गया था। इसमें कहा गया, “मुखबिर द्वारा आरोप लगाया गया था कि जब मरीज खेत में कुछ काम कर रही थी तो एक अज्ञात शख्स ने गर्दन में दुपट्टा फँसा कर उसे पीछे से घसीटा था।”
मुखबिर लड़की के पिता ओम प्रकाश थे। इससे पता चलता है कि इस घटना के पहले आधिकारिक रिकॉर्ड में बलात्कार का उल्लेख नहीं था। इसमें कहा गया कि लड़की पर एक शख्स ने हमला किया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लड़की को तब होश आया जब उसे अस्पताल लाया गया था।
रिपोर्ट में दर्ज की गई पीड़िता की फिजिकल कंडीशन का विस्तृत अवलोकन गर्दन पर चोट के निशान का उल्लेख करता है, जो पिता के बयान से मेल खाता है कि उसका गला घोंटा गया था। रिपोर्ट में इस सेक्शन में किसी भी यौन हमले का उल्लेख नहीं किया गया है।
22 सितंबर को जब पीड़िता की हालत काफी नाजुक हो गई थी तो अस्पताल ने एक मजिस्ट्रेट से उसका बयान रिकॉर्ड करने के लिए कहा। इसी समय पहली बार बलात्कार का आरोप लगाया था और साथ ही एक से अधिक हमलावरों की भी बात कही गई थी। 22 सितंबर को दर्ज की गई रिपोर्ट में उसके पिता का बयान है, जिसमें लिखा गया है, “मुखबिर द्वारा कथित रूप से, पीड़िता के साथ उसी गाँव के चार ज्ञात व्यक्तियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया गया था, जब वह 14 सितंबर 2020 को सुबह 9:00 बजे बुलगढ़ी गाँव के खेतों में कुछ काम कर रही थी।
इस तरह एक हफ्ते में ही पिता का बयान “एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा गला घोंटना” से चार ज्ञात व्यक्तियों द्वारा यौन उत्पीड़न” में बदल गया। यह काफी महत्वपूर्ण बदलाव है।
नए आरोप लगाए जाने के बाद, यौन उत्पीड़न के लिए एक फोरेंसिक एग्जामिनेशन की गई, जिसके डिटेल्स रिपोर्ट में है। फॉरेंसिक जाँच के ‘Details provided by the survivor’ सेक्शन के रिपोर्ट में हमलावरों के रूप में उसी गाँव के संदीप, रामू, लवकुश और रवि का नाम है। इसके अलावा वायर की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें पेनिस द्वारा वेजाइनल पेनिट्रेशन (vaginal penetration) का भी उल्लेख है। हालाँकि इसमें इस बात का जिक्र नहीं है कि चारों बलात्कार में शामिल थे या नहीं।
बलात्कार के मामलों को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण कारक अल्ट्रा वायलेट लाइट के तहत पीड़ित के शरीर की जाँच है। लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्ट्रा वायलेट लाइट के तहत जाँच नहीं की गई थी, क्योंकि शरीर को कई बार साफ कर दिया गया था। रेप का आरोप एक सप्ताह बाद लगाया गया था। अगर यह आरोप सच है तो इस तरह से मामले में अहम सबूत खो चुका है।
रिपोर्ट में पीठ और नितंबों पर चार चोट के निशान का उल्लेख है, लेकिन जननांग में कोई चोट नहीं बताई गई है। फोरेंसिक परीक्षा में लेबिया मेजा, लेबिया मिनोरा, मूत्रमार्ग, हाइमन, योनि, चौकोर और पेरिनेम में कोई चोट नहीं पाई गई, जैसा कि द वायर की रिपोर्ट में दावा किया गया है।
रिपोर्ट में शामिल स्पेकुलम परीक्षण का कहना है कि ‘कोई भी असामान्यता का पता नहीं चला है, गर्भाशय ग्रीवा और योनि स्वस्थ है।’
रिपोर्ट में जिन डॉक्टरों द्वारा परीक्षण की बात कही गई है, उनका कहना है, “परीक्षण के आधार पर मेरी राय है कि बलपूर्वक संभोग के संबंध में बल के संकेत हैं लेकिन FLS की रिपोर्ट आनी अभी बाकी हैं।” इन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि रिपोर्ट ने बलात्कार के आरोप के संबंध में राय सुरक्षित रखी है, इसकी पुष्टि नहीं की है, जैसा कि झूठा दावा ‘द वायर’ कर रहा है। राय में ‘बल के संकेत’ का जिक्र लड़की पर होने वाले शारीरिक हमले को संदर्भित करते हैं, क्योंकि रिपोर्ट में किसी भी यौन हमले का उल्लेख नहीं है, और इसमें जननांगों पर कोई चोट नहीं पाई गई है।
यह उल्लेखनीय है कि योनि और पेरिनेल स्वैब को मानक अभ्यास के अनुसार कई अन्य अंगों से स्वैब के अलावा, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में परीक्षण के लिए एकत्र किया गया था। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, FSL रिपोर्ट भी आ गई है, जिसमें बलात्कार के आरोपों से इनकार किया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार अरविंद चौहान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग से एक फाइनल ओपिनियन रिपोर्ट पोस्ट की है, जिसमें कहा गया है कि वेजाइनल/एनल इंटरकोर्स का कोई संकेत नहीं है। रिपोर्ट यह भी कहता है कि शारीरिक हमले के सबूत हैं और गर्दन एवं पीठ पर चोट के निशान हैं, जो जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल द्वारा तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट से मेल खाता है।
Best example of how to concoct and weave in false narrative by twisting the fact. This Hathras case has really exposed many.#soulless_country https://t.co/Hwx30sF8u8
— Arvind Chauhan (@arvindcTOI) October 4, 2020
इस तरह से मामले में बलात्कार का एकमात्र सबूत पीड़िता का बयान ही है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मृत्यु से पहले पीड़िता द्वारा दिया गया बयान महत्वपूर्ण साक्ष्य है, और अदालतें किसी भी अन्य साक्ष्य के अभाव में, सिर्फ इस आधार पर भी अभियुक्तों को दोषी ठहरा सकती हैं। लेकिन तथ्य यह है कि किसी भी मेडिकल या फोरेंसिक रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं हो रही है, जैसा कि द वायर दावा कर रहा है।
JNMCH द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट बलात्कार की पुष्टि नहीं करती है, इसमें केवल पीड़िता का बयान और उसके पिता द्वारा बलात्कार का उल्लेख करने वाला दूसरा बयान शामिल है। द वायर द्वारा कथित तौर पर बलात्कार की पुष्टि करने वाले किसी भी डॉक्टर या किसी भी मेडिकल जाँच रिपोर्ट द्वारा कोई टिप्पणी नहीं की गई है।