छद्म धर्मनिरपेक्षता की झंडाबरदार, स्वघोषित ‘निष्पक्ष’ वामपंथी ‘बौद्धिक’ शबाना आज़मी, का आज फिर से एक नया पाखंड सामने आया है। ये पहली बार नहीं है जब शबाना या उनके पति जावेद अख्तर का हिन्दुओं की भावना आहत करने वाला कोई कारनामा बाहर आया हो, ऐसा पहले भी हो चुका है। हालाँकि, सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक इन्फोग्राफिक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, शबाना ने लिखा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा।
वायरल उद्धरण में लिखा है कि इस नवरात्रि, मैं अल्लाह से दुआ करती हूँ कि लक्ष्मी को भीख न माँगना पड़े, कोई दुर्गा गर्भ में न मरे, न पार्वती को दहेज देना पड़े, न सरस्वती को शिक्षा से वंचित किया जाए और न ही किसी काली को ‘फेयर एंड लवली’ की ज़रूरत पड़े। इंशाल्लाह!
मजेदार बात यह कि शबाना आज़मी ने अपनी ‘लिबरल’ साख को ठेस पहुँचाकर साम्प्रदायिक रंग देने के लिए ‘ट्रोल्स’ को जिम्मेदार ठहराया है और कहा कि फर्जी उद्धरण के साथ चुनाव में ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है।
हालाँकि, शबाना को जल्द ही पता चल गया कि सोशल मीडिया के दौर में झूठ बोलकर बच निकलना थोड़ा मुश्किल है। खास तौर पर तब जब यह एक पुराने ‘हिंदूफोबिक’ पोस्ट के बारे में हो।
Dear Hypocrite @AzmiShabana, here’s your tweet where you said it https://t.co/lQB3l2hfbC
— Chowkidar Ankur Singh (@iAnkurSingh) April 9, 2019
Will you now admit that it’s Trolls like you who stoop low to polarise and comunalise the country? pic.twitter.com/gFfAg5tkug
सोशल मीडिया यूजर ने उन्हें जल्द ही यह बता दिया कि यद्यपि उद्धरण में ‘अल्लाह’ शब्द का गलत इस्तेमाल किया गया था, लेकिन शबाना ने वास्तव में 2017 में दुर्गा अष्टमी के अवसर पर बिलकुल ऐसा ही पोस्ट किया था।
शबाना ने ट्वीट किया था, ”इस दुर्गा अष्टमी, आइए हम प्रार्थना करें कि किसी दुर्गा का गर्भपात न हो, किसी भी सरस्वती को स्कूल जाने से न रोका जाए, किसी लक्ष्मी को पति से भीख नहीं माँगनी पड़े, किसी भी पार्वती को दहेज के लिए बलि नहीं दी जाए और न ही किसी काली को फेयरनेस क्रीम के ट्यूब की ज़रूरत पड़े।” बता दें कि 29 सितंबर, 2017 को यह ट्वीट किया गया था।
In case Shabana ji deletes her 2017 tweet that was a veiled attack on Hinduism disguised as a woman empowering appeal, please follow this link to retrieve it. It has been archived:https://t.co/acWcbTfqXy
— Chowkidar Atul Mishra (@TheAtulMishra) April 9, 2019
ट्विटर पर कई लोगों ने शबाना को कायदे से याद दिलाते हुए कहा कि याद करिए आपने कब ऐसा ही ट्वीट पोस्ट किया था, जो महिला सशक्तिकरण की आड़ में हिंदू विश्वास पर घृणित हमला करने की एक बेहूदी कोशिश थी। यह हमला शबाना ने हिंदू देवी-देवताओं के नामों का उपयोग करते हुए नवरात्रि के दुर्गा अष्टमी के अवसर पर बड़ी धूर्तता के साथ हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचाया था।
जब शबाना ने ट्वीट किया था, तो कई लोगों ने उन्हें तब भी ध्यान दिलाया था कि आपने मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय और उत्पीड़न को तो इसमें शामिल नहीं किया और आम सामाजिक बुराइयों के लिए सिर्फ हिंदुओं को शर्मसार करने का प्रयास किया। आप इतना पाखण्ड कर कैसे लेती हैं?
On Eid, let’s hope no Fatima is stoned, no Aisha is sold to 55 yrs sheikh, no Zainab undergoes halala, no 6 yr old Salma has to wear burkha. https://t.co/gyLQdyMoo0
— AnkurJ (@monsternaath) September 30, 2017
हमने फैक्ट चेक में पाया कि यह बात सही है कि नवरात्रि पर शबाना के स्टेटमेंट में अल्लाह और इंशाल्लाह शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया था। शबाना के ट्वीट का अनुवाद करके इंफोग्राफिक बनाने वाले ने ‘lets pray’ से यह निहितार्थ निकाला था और प्रार्थना की जगह ‘अल्लाह से दुआ’ का इस्तेमाल किया था। बाकी सभी बातें (शब्दशः) शबाना ने अपने 2017 के ट्वीट में कही थी। इसलिए शबाना का यह सफाई देना कि ‘I have NEVER said this’ – एक झूठ नहीं बल्कि महाझूठ है।