Sunday, December 22, 2024
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यौन शोषण के आरोपित पत्रकार अविनाश दास ने फ़ेक न्यूज़ से योगी पर साधा निशाना

अविनाश दास पहले भी फ़ेक ख़बरें फैलाते हुए पकड़े गए हैं। नौकरी के दौरान शारीरिक शोषण और अन्य मामलों के लिए संगठन से निकाले जा चुके हैं।

फिल्म डायरेक्टर और पत्रकार अविनाश दास विगत अक्टूबर माह में एक ऐसी ‘फोटोसॉप्ड’ तस्वीर फैलाते हुए पकड़े गए, जिसमें बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का एक फ़र्ज़ी बयान दिया गया था। खुद संबित पात्रा द्वारा इस ख़बर के फ़ेक होने की पुष्टि करने के बावजूद भी दास ने माफ़ी माँगने से एकदम इनकार कर दिया। बजाय माफ़ी मांगने के,अविनाश दास इसे राजनितिक मोड़ देकर सही साबित करने का प्रयास करते रहे।

उसके बाद भी उनकी कारस्तानियों में बेहतरी नहीं दिखी बल्कि, एक नए काण्ड के साथ वो फिर से चर्चा में आ गए। इस बार अविनाश दास उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक फ़ेक तस्वीर लेकर सामने आए हैं। अविनाश दास योगी आदित्यनाथ की एक ऐसी तस्वीर लेकर आए हैं जो किसी हिंदी अखबार की कटिंग प्रतीत होती है। ख़बर की हेडलाइन में लिखा है, “योगी आदित्यनाथ का एक और ग़ैर जिम्मेदाराना बयान, कहा हमारा काम गाय बचाना है, लड़की नहीं।” जो कि निःसंदेह एक अपमानजनक और भड़काऊ बयान है। साथ ही कैप्शन लिखा था, “बोलो, इस आदमी को जूते पड़ने चाहिए या नहीं?”

लेकिन सच यह है कि योगी आदित्यनाथ ने कभी कोई ऐसा बयान नहीं दिया। जो ख़बर अविनाश दास ने ट्वीट की थी, वो पूरी तरह से फ़ेक थी और सोशल मीडिया पर भड़काऊ समूहों में फैलाई जाती रही है। इस क्लिप के फ़ेक होने का ख़ुलासा कुछ महीनों पहले ही कर दिया जा चुका था।

पिछले साल अप्रैल के महीने ‘दी लल्लन्टॉप’ नाम की एक वेबसाईट ने इस तस्वीर पर ही ‘फैक्ट चेक’ किया था, जो कि उस दौरान वायरल हो गया था। उन्होंने पाया कि यह वास्तव में एक व्यंग्य लेख था जो बहुत से लोगों द्वारा वास्तविक ख़बर समझ कर शेयर किया जा रहा था। मूलरूप से यह व्यंग्य वेबसाइट rhumortimes.com पर प्रकाशित किया गया था। यह ‘डोमेन’ अब वैधता समाप्त होने के कारण काम नहीं कर रहा है। इस वेबसाईट का ‘हमारे बारे में’ पेज पर स्पष्ट रूप से दिया गया है कि यह एक व्यंग्य वेबसाईट है, जिसका स्क्रीनशॉट ‘दी लल्लनटॉप’ द्वारा लिया गया था।


rhumortimes.com के मूल व्यंग्य का स्क्रीनशॉट

फ़ेक न्यूज़ फैलाने के अलावा अविनाश दास पर यौन उत्पीड़न और अन्य जुर्मों के लिए भी आरोप लगे हैं। पहले वो NDTV, दैनिक भाष्कर, प्रभात ख़बर, और कुछ अन्य मीडिया संगठनों के साथ काम कर चुके हैं। NDTV के साथ अविनाश दास आउटपुट एडिटर के रूप कई वर्षों तक काम कर चुके हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, NDTV के ब्रांड्स का इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत हितों के लिए करने के कारण दास को संगठन से निकाल दिया गया था।

इसके बाद अविनाश दास ‘डीबी स्टार’ से बतौर एडिटर जुड़े, जो कि हिंदी दैनिक भाष्कर का टैबलॉयड है। वहाँ काम करते हुए जर्नलिज्म और मास क्मुनिकेशन की एक महिला विद्यार्थी ने उनके खिलाफ यौन शोषण की लिखित शिकायत की थी। अविनाश अतिथि शिक्षक के रूप में भोपाल की माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में पढ़ाने के लिए जाते थे। विश्वविद्यालय के एक दल द्वारा मामले की जाँच किए जाने पर आरोप सही पाए गए थे और अविनाश दास को दैनिक भाष्कर द्वारा उनकी नौकरी से निकाल दिया गया था।

इसके अलावा जर्नलिस्ट श्रीपाल सक्तावत ने भी दास के ख़िलाफ़ एक मानहानि का केस दायर किया था। इसमें दावा किया था कि दास ने सक्तावत के ब्लॉग पर उनके ख़िलाफ़ कई झूठे और आपत्तिजनक स्टेटमेंट पोस्ट किए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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