उत्तरी कश्मीर के सोपोर में बुधवार (जुलाई 01, 2020) सुबह सीआरपीएफ (CRPF) के गश्ती दल पर हुए आतंकी हमले में एक सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल की भी मौत हो गई, जबकि तीन सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। यह हमला एक बाजार में हुआ जहाँ चहल-पहल भी थी। इसी कारण आतंकियों के हमले का शिकार एक नागरिक भी हुए। इसके बाद एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसमें एक तीन साल का बच्चा अपने नाना जी के शव के ऊपर बैठा हुआ देखा गया।
मृतक की पहचान 65 वर्षीय बशीर अहमद (Bashir Ahmad) के रूप में हुई। दरअसल, बशीर अहमद अपने 3 साल के नाती सोहेल को लेकर बाजार गए थे, लेकिन एनकाउंटर के बीच बशीर को आतंकवादियों की गोली लग गई और वह वहीं गिर पड़े। बशीर अहमद मुस्तफा कॉलोनी एचएमटी शहर के रहने वाले थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, सोपोर में आतंकवादी हमले के दौरान गोलियों की चपेट में आने से पुलिस ने एक 3 साल के बच्चे को बचाया है।
इसके बाद सोशल मीडिया के जरिए एक बार फिर भारतीय सेना और सुरक्षाबलों की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से एक फर्जी नैरेटिव रचने का प्रयास किया जा रहा है कि बशीर अहमद की मृत्यु CRPF की गोली लगने से हुई।
एक वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि मृतक बशीर अहमद के बेटे ने अपने पिता की मौत के लिए कथित तौर पर CRPF को जिम्मेदार ठहराया है। जबकि इस वीडियो को देखने और सुनने पर पता चलता है कि उन्होंने अपने पिता की हत्या के लिए CRPF को दोषी नहीं ठहराया है।
इस वीडियो में वह कह रहे हैं – “वो सवेरे छह बजे अपने काम से सोपोर निकले थे। तो वहाँ फायरिंग स्टार्ट हो गई तो सीआरपी ने फायरिंग की, मार डाला।”
Son of 60 year old civilian Bashir Ahmed said his father was brought down from vehicle and killed by CRPF #Kashmir pic.twitter.com/0Dof2iQiKK
— Ashraf Wani اشرف وانی (@ashraf_wani) July 1, 2020
हालाँकि, वीडियो में यह कहीं भी स्पष्ट जिक्र नहीं किया गया है कि मृतक के बेटे ने कहा हो कि CRPF ने उनके पिता को मार डाला। ऐसे में यह भी सम्भव है कि वह कह रहे हों कि CRPF की फायरिंग के बाद उन्हें आतंकियों की गोली ने मार डाला।
ट्विटर पर सोपोर पुलिस के अकाउंट ने इस घटना के बाद बने इस फ़ेक नैरेटिव पर ट्वीट करते हुए लिखा है – “यह खबर कुछ सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सामने आई है कि बशीर अहमद को गाड़ी से उतारकर मार दिया गया। यह पूरी तरह से बेबुनियाद है और तथ्यों से परे है, सोपोर पुलिस खबर का खंडन करती है और झूठी रिपोर्ट और अफवाहों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।” इसके साथ ही इस ट्वीट में कश्मीर पुलिस के ट्विटर अकाउंट को भी टैग किया गया है।
घटनास्थल से तीन साल के बच्चे को सुरक्षित निकालने के बाद सुरक्षाबलों के बयान का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वो बता रहे हैं कि किस प्रकार सामने से होने वाली फायरिंग में नागरिक की मौत के बाद उनकी पहली प्राथमिकता बच्चे को बचाना था। जवान इसमें कह रहे हैं कि उन्होंने बच्चे की सुरक्षा के लिए गोलियों की दिशा को ब्लॉक किया और उसके बाद बच्चे को वहाँ से सुरक्षित निकाल लिया।
जो इस समय ज़बरदस्ती का प्रोपगेंडा फैला रहे हैं उनको ये बात सुननी चाहिए।#CRPF जम्मू कश्मीर पुलिस या भारतीय सेना के जवान इस समय आवाम की रक्षा कर रहे हैं,
— Manish Prasad (@manishindiatv) July 1, 2020
विकास और प्रगति में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
“जीवन देने वाला जान नहीं लेता” https://t.co/sML9XRO3qd pic.twitter.com/nfMcrN64m5
कश्मीर की घटनाओं को इस्लामिक रंग देने के लिए कुख्यात ‘कश्मीर वाला’ वेबसाइट ने तो यहाँ तक कहा है कि मृतक बशीर की पत्नी ने कहा कि सरकार ने खुद उन्हें मारा, फिर बच्चे को उनके शव पर बिठाया।
कुछ लोगों ने एक ऐसे सीक्रेट ग्रुप को भी इस नैरेटिव के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें इस हत्या का इल्जाम CRPF पर डालने का नैरेटिव तैयार करने की बात कही गई है। ट्विटर यूजर्स का कहना है कि उज़ैर नाम का आदमी इस फ़ेक नैरेटिव को फैला रहा है।
The guy named Uzair, he is circulating fake news and propaganda. https://t.co/tCwVLhlpEi
— Oye Bsdk (@oyeBosdk) July 1, 2020
बताया जा रहा है कि आतंकियों ने घात लगाकर पैट्रोलिंग कर रहे जवानों पर खुलेआम फायरिंग कर दी थी। इस दौरान तीन जवानों और एक नागरिक को गोली लग गई। फिलहाल, सुरक्षाबलों की अतिरिक्त टुकड़ी मौके पर पहुँच गई है और पूरे इलाके को घेर लिया गया है।
JKP #rescued a three years old boy from getting hit by bullets during #terrorist #attack in #Sopore. @JmuKmrPolice pic.twitter.com/hzqGGvG7yN
— Kashmir Zone Police (@KashmirPolice) July 1, 2020
आज ही जम्मू कश्मीर पुलिस के एक आईपीएस अधिकारी इम्तियाज हुसैन ने एक खुलासा करते हुए बताया है कि 2001 में उनकी चचेरी बहन की एक आतंकी घटना में मौत होने के बाद उनके परिवार पर लोगों द्वारा दबाव बनाया गया था कि वो इसका आरोप बीएसएफ़ (BSF) पर लगाएँ।