सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसे झारखंड के हजारीबाग का बताया जा रहा है। इसमें कुछ बच्चों को सड़क पर नमाज पढ़ते देखा जा सकता है। दिन में ही नमाज पढ़ने के कारण वहाँ का ट्रैफिक रुका हुआ है और बाइक सवार से लेकर बस तक वहाँ पर खड़ी होकर उनके नमाज के ख़त्म होने का इंतजार कर रही है। तस्वीर में कई लोगों को वहाँ पर रुका हुआ देखा जा सकता है, क्योंकि खुलेआम नमाज पढ़ने के कारण पूरा ट्रैफिक जाम है।
यह चित्र हजारीबाग में जुमे की नमाज का है,बच्चों को आगे करके सड़क जाम करने का गुण्डई भरा प्रयास।
— Prashant Patel Umrao (@ippatel) March 13, 2021
सड़क जाम करके नमाज पढ़ना इबादत नहीं बल्कि शक्ति प्रदर्शन है।
अब यदि किसी का दिमाग ये नीच हरकत देखकर सटक जाए और इनकी पिटाई हो जाए तो असहिष्णुता बढ़ जाएगी और कहेंगे कि हिन्दू दंगाई है। pic.twitter.com/qje71sRMeS
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत पटेल उमराँव ने लिखा, “यह चित्र जुमे की नमाज का है। बच्चों को आगे करके सड़क जाम करने का गुंडई भरा प्रयास। सड़क जाम करके नमाज पढ़ना इबादत नहीं बल्कि शक्ति प्रदर्शन है। अब यदि किसी का दिमाग ये नीच हरकत देखकर सटक जाए और इनकी पिटाई हो जाए तो असहिष्णुता बढ़ जाएगी और कहेंगे कि हिन्दू दंगाई है।”
लेखिका तस्लीमा नसरीन ने लिखा, “इन बच्चों को दंड न दें। उन दुष्टों को दण्डित करें, जिन्होंने इन बच्चों को ऐसा करने के लिए भेजा है।”
अगर केवल इबादत करनी होती तो किनारे पर भी हो सकती थी,, किन्तु मार्ग अवरुद्ध कर मध्य में बैठना, सीधा चुनौती है “गज़वा ए हिंद” की#जागो_हिन्दू_साथियों_जागो
— श्रीष त्रिपाठी 🇮🇳 (@Shrish_1987) March 13, 2021
उन्होंने लिखा कि किसी भी मजहब को मानवता में व्यवधान पहुँचाने का हक़ नहीं है। इसी तरह कई अन्य लोगों ने इसे झारखंड की तस्वीर बताते हुए हेमंत सोरेन की सरकार के प्रति आक्रोश जताया। श्रीष त्रिपाठी ने लिखा, “सिर्फ दर्जन भर बच्चों ने ट्रैफिक रोक दी। हजारीबाग में ऐसी सैकड़ों मस्जिदें हैं।”
साकेत सूर्येश ने लिखा, “बच्चों को अचानक सड़क पर नमाज आ गई तो इसमें सरकार क्या कर सकती है? वैसे ये टेस्टिंग है कि मज़हब को कहाँ तक निर्विरोध सार्वजनिक क्षेत्र में फैलाया जा सकता है।”
Don’t punish these children, punish the evil man who sent children to block the road. No religion should be allowed to disturb humanity. pic.twitter.com/98RO0TgVAu
— taslima nasreen (@taslimanasreen) March 13, 2021
‘हम लोग We The People’ नामक ट्विटर हैंडल ने इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा, “क्या इसका कोई जस्टिफिकेशन हो सकता है? जस्टिफिकेशन की कोशिश करने वाला भी एक मनोरोगी ही होगा। यह सीधे-सीधे क़ानून-व्यवस्था की समस्या है। यह मानसिकता बेहद ख़तरनाक भविष्य की ओर इशारा कर रही है।”
कुछ लोगों ने कहा कि झारखंड सरकार कोई कार्रवाई नहीं करेगी। लोगों ने आशंका जताई कि बच्चों को जानबूझ कर भेजा गया है।
बच्चों को अचानक सड़क पर नमाज़ आ गयी तो इसमें सरकार क्या कर सकती है? वैसे ये टेस्टिंग है कि मज़हब को कहाँ तक निर्विरोध सार्वजनिक क्षेत्र में फैलाया जा सकता है। https://t.co/G0ohyNUUwU
— saket साकेत ಸಾಕೇತ್ 🇮🇳 (@saket71) March 13, 2021
अब आपको बताते हैं कि इस तस्वीर की सच्चाई क्या है। असल में लोगों का दावा सही है और ये झारखंड के हजारीबाग की ही तस्वीर है। खुद हजारीबाग के भाजपा विधायक मनीष जायसवाल ने इस घटना की पुष्टि करते हुए इस पर हैरानी जताई है और कहा है कि छोटे बच्चों को सामने कर सड़क पर नमाज पढ़ने के पीछे छोटी मानसिकता वाले लोग हैं। उन्होंने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है और उन्होंने जिला प्रशासन से बात कर के कार्रवाई की माँग की है।
ये मामला पेलावल ओपी क्षेत्र स्थित हजारीबाग-कटकमसांडी मार्ग का है। तस्वीर शुक्रवार (मार्च 12, 2021) को जुमे के दिन का बताया जा रहा है और नमाज पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 8-10 के करीब है। इस विषय में पुलिस ने संज्ञान लेते हुए पेलावल क्षेत्र के इब्राहीमी मस्जिद कमिटी से जवाब माँगा है।
शनिवार की शाम इस पर चर्चा के लिए DSP राजीव कुमार की अध्यक्षता में शांति समिति की बैठक भी हुई। निष्कर्ष ये है कि बीच सड़क पर बच्चों के नमाज पढ़ने की बात सही है और प्रशासन कार्रवाई करने की बात भी कह रहा है।
‘दैनिक जागरण’ की खबर के अनुसार, बैठक में जिला परिषद प्रतिनिधि मिस्बाहुल इस्लाम ने कहा कि इस्लाम में नमाज के दौरान किसी भी इंसान को तकलीफ़ हो, तो वह नमाज नहीं होगी। साथ ही ये भी कहा कि बच्चों को आगे बढ़ाकर समाज में जहर फैलाने की कोशिश की गई है। मार्च और अप्रैल में होली व रामनवमी के त्योहार भी आने वाले हैं, ऐसे में इस तरह की हरकतों का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। पुलिस ने फोटो वायरल करने वाले को भी ‘चिह्नित’ कर लिया है।