कॉन्ग्रेसी लंबे समय से आग में घी डालने का काम करते आ रहे हैं। मणिपुर में हो रही हिंसा भड़काने के लिए कॉन्ग्रेस समर्थकों ने अफवाह फैलाने की कोशिश की है। इसमें उन्हें AAP का भी भरपूर सहयोग मिलता दिखाई दिया। दरअसल, कॉन्ग्रेस और ‘आप’ समर्थकों ने म्यांमार के एक वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया है कि मणिपुर में ईसाइयों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
अफवाह फैलाते हुए कॉन्ग्रेस समर्थक मनीष कुमार ने सोमवार (19 जून, 2023) को ट्वीट किया था। इस ट्वीट में उसने लिखा, ”मणिपुर मोदी और शाह के नियंत्रण से बाहर हो गया है। ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें सशस्त्र नागरिक एक कुक्की ईसाई युवा लड़की को यातना दे रहे हैं और अंत में गोली मार कर उसकी हत्या कर रहे हैं। मणिपुर जल रहा है और मोदी खामोश हैं।” हालाँकि मनीष ने अब यह ट्वीट को डिलीट कर दिया है। इस ट्वीट का आर्काइव वर्जन यहाँ देखा जा सकता है।
आम आदमी पार्टी के समर्थकों ने भी इस वीडियो को कॉन्ग्रेस समर्थकों द्वारा शेयर किए गए टेक्स्ट के साथ शेयर किया। राजस्थान आम आदमी पार्टी के जॉइंट सेकेट्री कैलाश मीणा थानागाजी ने इस वीडियो को शेयर किया है। खबर लिखे जाने तक कैलाश मीणा ने इस फेक वीडियो को डिलीट नहीं किया है। डिलीट होने की स्थिति में इसका आर्काइव वर्जन यहाँ देख सकते हैं।
ट्विटर यूजर @BefittingFacts ने इस वायरल वीडियो को फर्जी बताया। उन्होंने ट्वीट में लिखा, “यह म्यांमार का एक पुराना वीडियो है। चूँकि आप कॉन्ग्रेसी हैं, इसलिए आपको बता दूँ कि म्यांमार भारत में नहीं है।”
This is an old video from Myanmar. As you are a Congressi, let me tell you, Myanmar is not in India.@Uppolice pic.twitter.com/hBG7IUVHXC
— Facts (@BefittingFacts) June 19, 2023
कॉन्ग्रेस और आप समर्थकों द्वारा किए जा रहे दावों की ऑपइंडिया ने जाँच की। इस जाँच में हमने पाया कि यह वीडियो दिसंबर 2022 का है। ‘Mizzima – News in Burmese’ ने 5 दिसंबर, 2022 को इस वीडियो पर एक रिपोर्ट शेयर की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि घटना 3 दिसंबर की शाम को हुई थी। सेना ही तरह वर्दी पहने पुरुषों और महिलाओं के एक समूह को हथकड़ी लगी एक युवती के साथ मारपीट करते देखा जा सकता है।
ကောင်မနာမည်က အေးမာထွန်း၊ ဆရာမမဟုတ်ဘူး၊ပျူခေါင်းဆောင်ရဲ့တူမ၊ပုံထဲက ဟိန်းဝဏ္ဏအောင် လက်နက်ဝယ်ဘို့အသွားမှာ ဖျားယောင်းပြီး အကြမ်းဖက်စကစ လက်ထဲထည့်လိုက်လို့ နားရွက်လှီးပြီးရက်2စက်2အသတ်ခံလိုက်ရတာ၊ ဒါကြောင့် လက်တုန့်ပြန်တာ👇အဲမှာဝင်ဖတ်ကြည့် အသေးစိတ်ပါတယ်။https://t.co/qtu2jyiBOx pic.twitter.com/wIgGcYWZw4
— ¥øøñÑøē$hēîñ (@MannShein1) December 6, 2022
इस खुलासे के बाद, ट्विटर पर लोग मनीष के द्वारा शेयर किए वीडियो को फर्जी बताते हुए स्क्रीनशॉट शेयर कर रहे थे। मनीष ने अंकुर सिंह नामक यूजर को कोट् करते हुए लिखा, “सर, मेरी तस्वीर का दुरुपयोग न करें। मैंने गलत वीडियो ट्वीट किया और उसे डिलीट कर दिया। अब आप मेरी प्राइवेसी में दखल दे रहे हैं। आईटी एक्ट के तहत आप पर केस होगा। आपको मेरी प्रोफ़ाइल का उपयोग नहीं करना चाहिए था।” हालाँकि मनीष ने अब यह ट्वीट भी डिलीट कर दिया है।
कॉन्ग्रेस समर्थक मनीष कुमार ने अपने द्वारा शेयर किए गए फर्जी वीडियो को तो डिलीट कर दिया। लेकिन इस वीडियो से जुड़े रीट्वीट को उन्होंने अब तक नहीं हटाया है।
गौरतलब है कि वामपंथी और लिबरल गिरोह मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हो रही हिंसा में हिंदुओं को दोषी और ईसाइयों को पीड़ित बताने का एजेंडा चला रहे हैं। इस एजेंडे के चलते ही कॉन्ग्रेस और AAP समर्थकों ने फर्जी वीडियो शेयर किया था।
उदाहरण के लिए देखें तो वामपंथी कविता कृष्णन ने ‘द हिंदू’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट को शेयर करते हुए दावा किया, “मेइती महिलाओं ने रास्ता बंद कर दिया ताकि भीड़ बिना किसी रुकावट के कुकी का नरसंहार कर सके। “भले ही प्रभावित ग्रामीण संकट की स्थिति में फोन करते हैं। लेकि सुरक्षा बल पहुँचने में असमर्थ हैं। हिंसक पुरुषों के विपरीत शांति और प्रेम चाहने वाली महिलाओं के बारे में यह कहावत कभी भी सच नहीं हो सकती।
And yes: this report isn't misrepresentation by "mainland media": it's a ground report that also says that Kukis are blockading roads "to obstruct essential supplies coming into the State." But blockades to facilitate ethnic cleansing are in no way comparable to chakka jaams.
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) June 17, 2023
एक अन्य ट्वीट में कविता कृष्णन ने कहा कि इस रिपोर्ट को “मेन लैंड मीडिया” द्वारा गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया है। बल्कि यह एक ग्राउंड रिपोर्ट है। इसमें यह भी बताया गया था कि कुकी “राज्य में आने वाली आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा डालने के लिए सड़कों को जाम कर रहे थे।” हालाँकि उन्होंने कुकी को एक तरह से क्लीन चिट देते हुए कहा, “लेकिन एक जाति के नरसंहार के लिए रास्ते को बंद करने की तुलना किसी भी तरह से चक्का जाम से नहीं की जा सकती।”