आम आदमी कोरोना वायरस की महामारी से इतने घबराए और सहमे हुए हैं कि इससे बचाव के लिए वह समाचार के विभिन्न स्रोतों से लेकर सोशल मीडिया पर अपने स्तर पर जानकारी जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इस चक्कर में कई लोग यह भूल जाते हैं कि यह घटना वाकई में कोरोना वायरस से जुड़ी हुई है भी या नहीं।
इंडिया टुडे की ऐसी ही एक खबर सोशल मीडिया पर शेयर होती देखी गई, जिसमें बताया गया है कि सऊदी अरब के मुफ्ती अब्दुल अजीज बिन अब्दुल्ला ने फतवा जारी कर कहा है कि भयंकर भूखा होने की हालत में अपनी बीवी को भी मारकर खा सकते हैं। वायरल हो रही रिपोर्ट के मुताबिक, इस फतवे में न केवल बीवी को मारने की बात कही गई है, बल्कि शौहर को यह भी छूट दी गई है कि वह बीवी के शरीर के कुछ हिस्से भी खा सकता है।
क्या है सच्चाई –
इंडिया टुडे द्वारा प्रकाशित इस खबर में सऊदी अरब के शीर्ष मुफ्ती के फतवे का जिक्र किया गया है। लेकिन CNN Arabic की अप्रैल 2015 की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, मुफ्ती ने इस फतवे का खंडन किया था। यह कोई वास्तविक घटना भी नहीं है। असल में मोरक्को के एक ब्लॉगर Israfel al-Maghribi द्वारा अपने ब्लॉग पर प्रकाशित किया गया यह एक व्यंग्य था। हालाँकि, अधिकतर पोर्टल्स ने ब्रिटिश न्यूज पोर्टल mirror.co.uk का हवाला देकर यह खबर चलाई थी। कुछ जगहों पर अचानक से यह खबर शेयर होने लगी है जो कि एक समुदाय के प्रति घृणा बढ़ाने का कुत्सित प्रयास लगती है।
लॉकडाउन के बीच क्यों शेयर की जा रही है फतवे वाली खबर?
दरअसल, तबलीगी जमात के द्वारा संक्रमण के मामलों में आई वृद्धि के बाद उनके सार्वजानिक स्थानों पर थूकने, डॉक्टर्स से अभद्रता करने आदि हरकतों को देखते हुए आम आदमी इतना ज्यादा भयभीत हो चुका है कि वह मुस्लिम समुदाय की कुछ पुरानी वीडियो से लेकर खबरों को भी शेयर कर उसकी सच्चाई जानना चाहता है और दूसरों को भी जागरूक करने का प्रयास करते देखा जा रहा है।
यही कारण है कि हाल ही में स्वघोषित फैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्टन्यूज़ ने भी कुछ पुराने वीडियो को फैक्ट चेक किया! इनमें से एक में उन्होंने बताया कि फलों पर थूक लगाने वाले शेरू मियाँ का वीडियो मार्च नहीं, बल्कि फरवरी का है और उसका कोरोना के संक्रमण से कोई लेना-देना नहीं है।
हालाँकि, ऑल्टन्यूज़ के फैक्ट चेक का फैक्ट चेक करने पर ऑपइंडिया ने पाया कि थूक के जारिए कोरोना के संक्रमण का खतरा फरवरी में भी उतना ही था जितना कि अप्रैल में है, क्योंकि भारत में संक्रमण के मामले जनवरी में ही सामने आने लगे थे।
अपनी ही बीवी को खाने का फतवा जारी करने वाले धर्मगुरु वाला यह व्यंग्य लेख 2015 से भी पहले का हो सकता है। लेकिन कोरोना महामारी के कारण भूखमरी की आशंका को देखते हुए इस खबर को गलत मानसकिता के लोग फैला रहे हैं।
अफवाहों के भय के बीच क्या न करें –
जागरूक नागरिक के तौर पर हमारी जिम्मेदारी बनती है कि संवेदनशील समय में ऐसी गलत खबरों से बचना चाहिए और कम से कम इसे सार्वजनिक करने से पहले इसके स्रोत की जाँच कर लेनी चाहिए।
हमें सिर्फ वास्तविक खबरों को ही, बिना उनका मजहब देखे शेयर करना चाहिए। लेकिन अगर कोई व्यक्ति पाँच साल पुरानी खबर शेयर कर रहा है तो उसके पीछे की सोच गलत होगी, या फिर वो अनभिज्ञता में ऐसा कर रहा होगा। अतः, यह बताना आवश्यक है कि ऐसी खबरें शेयर न करें। यह सिर्फ भय बढ़ाती हैं।