सोशल मीडिया पर आए दिन फर्जी खबरों के चक्रव्यूह में इस बार फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन भी फँस गए। वो भी तब, जब कि मुंबई में खतरनाक बारिश जारी है। दरअसल, अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के झाँसे में आ गए। इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि NASA ने बारिश वाले बादल बनाने की मशीन विकसित की है जिसकी मदद से बारिश करवाई जा सकती है।
ट्विटर पर @JayasreeVijayan नाम के एक यूजर ने भारी-भरकम मशीन से निकलते धुएँ का एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, “NASA ने बारिश वाले बादल बनाने वाला इंजन विकसित कर लिया है। देखिए, दुनिया कहाँ जा रही है। अद्भुत!” इस ट्वीट में कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर को भी टैग किया गया है। यही ट्वीट बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन की नजरों में आया और उन्होंने इसे रीट्वीट करते हुए इच्छा जताई कि हमें भी ऐसी ही एक बादल बनाने वाली मशीन की जरूरत है।
… can we get one in India .. I mean right now .. RIGHT NOW .. PLEASE !!?????? https://t.co/pTRI8r4VsK
— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) June 26, 2019
अमिताभ बच्चन से एक कदम आगे जाते हुए कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें ऐसी तकनीक भारत में तो चाहिए ही, साथ ही उन्हें इसरो से भी शिकायत है कि आखिर वो कब ऐसे बारिश करने वाले यंत्रों का आविष्कार करेंगे?
Rain Clouds Generator Engine Developed by #NASA
— B* Meravali (@mervalidodamni) June 28, 2019
Whn dis type engine developed ISRO? pic.twitter.com/QGiN8KDzDN
Rain clouds generator engine developed by @NASA.
— VijayKrishna (@VijayKris007) June 26, 2019
Is it real!!! @isro should try to get technology… @DRDO_India@PMOIndia@narendramodi pic.twitter.com/3TXHX3BOaF
क्या है सच्चाई?
अमेरिका के नैशनल ऐरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस ऐडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने ऐसी कोई मशीन नहीं बनाई जिससे बारिश करने वाले बादल बन सके। यह दावा पूरी तरह से फर्जी है और इस बात का स्पष्टीकरण फ़ोर्ब्स भी दे चुकी है। लेकिन फिर भी यह वीडियो बड़ी मात्रा में भ्रामक तथ्य के साथ बड़ी मात्रा में शेयर किया जा रहा है।
यह आर्टिकल फ़ोर्ब्स पर अप्रैल, 2018 में प्रकाशित किया गया था और इसे मार्शल शेफर्ड ने लिखा था, जो कि NASA में 12 साल तक रिसर्च मौसम विज्ञानी रह चुके हैं। इस आर्टिकल में शेफर्ड ने बताया है कि कैसे रॉकेट की टेस्टिंग से जलवाष्प पैदा होता है – “RS-25 (रॉकेट) से मुख्य रूप से जल वाष्प निकलता है क्योंकि इंजन लिक्विड हाइड्रोजन और लिक्विड ऑक्सिजन को जलाता है। ओह….सोचिए जब ये दोनों मिलते हैं तो क्या होता है: आपको H2O मिलेगा (जिसे पानी भी कहा जाता है)। इसलिए तस्वीरों और वीडियो में जो आप बादल देख रहे हैं वह एक सरल वैज्ञानिक प्रक्रिया का हिस्सा है।”
RS-25 इंजन लिक्विड-फ्यूल क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन है। नासा ने इसका इस्तेमाल स्पेस शटल में किया था। अब इसका इस्तेमाल नासा के अगले बड़े रॉकेट द स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) में किया जाएगा।
वायरल हो रहा यह वीडियो 2 अलग-अलग रॉकेट इंजन के परीक्षण के वीडियो को जोड़कर तैयार किया गया है। वीडियो के शुरुआती कुछ सेकंड में RS-25 इंजन के परीक्षण की क्लिप है, जबकि बाकी का वीडियो बीबीसी की टीवी सीरीज “स्पीड” का है। 2001 में प्रसारित हुए इस शो को इंग्लिश ब्रॉडकास्टर जेरेमी क्लार्कसन ने होस्ट किया था। फुटेज में RS-68 इंजन का परीक्षण देखा जा सकता है।
इस प्रकार अमिताभ बच्चन और अन्य लोगों द्वारा शेयर किया जा रहा यह वीडियो फर्जी है और नासा ने ऐसी कोई मशीन तैयार नहीं की है, वायरल वीडियो रॉकेट इंजन के परीक्षण का है।
हालाँकि, क्लाउड-सीडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी मदद से सीमित इलाके में कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है। इसके तहत ड्राई आइस जैसे केमिकल्स का छिड़काव पानी वाले बादलों पर किया जाता है, जिससे बारिश होती है। इस प्रक्रिया ने काफी हद तक सफलता प्राप्त की है, लेकिन बारिश करवाने का यह तरीका काफी महँगा है।