Saturday, November 16, 2024
Homeदेश-समाजराम जन्मभूमि पर जमीयत ने उगला जहर, कहा- हिंदुओं को मंदिर के लिए कहीं...

राम जन्मभूमि पर जमीयत ने उगला जहर, कहा- हिंदुओं को मंदिर के लिए कहीं और 5 एकड़ जमीन देता सुप्रीम कोर्ट

मौलाना मदनी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सभी सबूत बाईं ओर इशारा करते हैं, जबकि फैसला दाईं ओर जाता है। कोर्ट ने 1992 में मस्जिद के विध्वंस को गैर कानूनी करार दिया। लेकिन, फैसले में जमीन उन लोगों को दे दी जिन्होंने मस्जिद तोड़ी थी।

राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही कई मजहबी संगठन और उसके नेता सवाल उठा रहे हैं। इसमें जमीयत उलेमा-ए-हिंद, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और एआईएमआईएम प्रमुख तथा हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी अगुआ हैं। जमीयत ने एक बार फिर जहर उगलते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को मुस्लिमों की बजाए हिंदुओं को मंदिर बनाने के लिए अलग से जगह देनी चाहिए थी।

शीर्ष अदालत ने दशकों से चल रहे इस विवाद का निपटारा करते हुए 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अदालत ने विवादित जमीन रामलला को सौंपते हुए मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को तीन महीने में ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था। साथ ही, दूसरे पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए थे।

ज्यादातर तबकों ने इस फैसले का स्वागत किया। बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार इकबाल अंसारी भी इनमें हैं। लेकिन, ओवैसी ने फैसले के बाद कहा कि मुस्लिमों को 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए। जमीयत और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात भी कही है। बीते दिनों जमीयत के प्रमुख अरशद मदनी ने कहा था कि उन्हें मालूम है कि समीक्षा याचिका खारिज हो जाएगी। इसके बावजूद वे इसे दाखिल करेंगे।

अब मौलाना मदनी ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले में, सभी सबूत बाईं ओर इशारा करते हैं, जबकि फैसला दाईं ओर जाता है। कोर्ट यह स्वीकार करता है कि मुस्लिमों ने 1857 से 1949 तक वहाँ नमाज अदा की। इस बात को माना गया कि 1934 में मस्जिद को नुकसान पहुँचाया गया था और इसके लिए हिंदुओं पर जुर्माना भी लगाया गया था। यह भी स्वीकार किया गया कि 1949 में वहाँ मूर्तियों की स्थापना गलत थी। साथ ही 1992 में मस्जिद के विध्वंस को भी गैर कानूनी करार दिया।” मदनी ने कहा कि कोर्ट ने यह भी नहीं कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। लेकिन, फैसले में जमीन उन लोगों को दे दी जिन्होंने मस्जिद तोड़ी थी।

यहाँ पर हम आपको बता दें कि सैयद अरशद मदनी ने जो कुछ कहा है, उसमें कई त्रुटियाँ हैं।

1. कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के नीचे की संरचना ‘गैर-इस्लामी’ थी। कोई भी यह नहीं बता सकता कि वो संरचना किस चीज की थी। कोई भी आदमी अपने होश में यह नहीं बता पाएगा कि वह पब था या शॉपिंग मॉल।

2. यह निर्णय स्वीकार करता है कि दूसरे पक्ष ने भी 1857 से 1949 तक नमाज़ अदा की लेकिन अदालत ने यह भी माना है कि यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि 1528 ई से 1857 तक वहाँ नमाज़ अदा की जाती थी। यह वक्फ बोर्ड के वकील द्वारा भी स्वीकार किया गया है।

3. SC का फैसला यह भी कहता है, 1856-57 में, अयोध्या में हिंदुओं और दूसरे समुदाय के बीच हुए दंगों के कारण, तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रांगण में एक रेलिंग स्थापित की। जिसके परिणामस्वरूप प्रांगन का विभाजन हुआ। हिंदुओं ने रामचबूतरा, सीता रसोई और अन्य धार्मिक संरचनाओं के बाहरी प्रांगण में स्थापित होने का सबूत दिया। इसके अलावा अदालत ने कहा कि द्विभाजन का मतलब यह नहीं था कि हिंदुओं ने राम जन्मभूमि पर अपना अधिकार छोड़ दिया।

4. कोर्ट ने कहा कि विध्वंस अवैध था। हालाँकि, यह एक अलग मामला है। यह जमीन के लिए एक टाइटल विवाद था और विध्वंस का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

बता दें कि मदनी ने भ्रामक और झूठे तर्क देने के बाद बाद यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 142 का दुरुपयोग किया है। इसके साथ ही मौलाना ने कहा कि वो अपनी समीक्षा याचिका में तर्क दे रहे हैं कि वैकल्पिक भूमि हिंदुओं को दी जानी चाहिए।

इससे पहले मौलाना अरशद मदनी ने कहा था कि एक बार एक मस्जिद का निर्माण हो जाने के बाद वह हमेशा एक मस्जिद ही रहता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दूसरे पक्ष को दी गई 5 एकड़ जमीन को भी खारिज कर दिया था। पहले मुस्लिम पक्षकारों को मस्जिद के लिए 5 एकड़ राम जन्मभूमि के 67 एकड़ जमीन के भीतर चाहिए था, मगर अब उनकी ये माँग हिंदुओं को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने पर स्थानांतरित हो गई है।

गौरतलब है कि जमीयत वही संगठन है जिसने हिंदुवादी नेता कमलेश तिवारी के हत्यारों को मदद की पेशकश की थी। हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की 18 अक्टूबर को निर्मम हत्या कर दी गई थी।

यह भी पढ़ें:अवैध हैं रामलला, शरीयत के हिसाब से कहीं और मस्जिद नहीं कबूल: मुस्लिम पक्ष फिर जाएगा सुप्रीम कोर्ट

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसान सम्मान निधि में मिले पैसे का इस्तेमाल हथियार खरीदने में कर रहे थे अल कायदा के आतंकी, पैसे वसूलने के लिए कई लोगों...

दिल्ली पुलिस ने खुलासा किया है कि हाल ही में पकड़े गए अल कायदा के आतंकी PM-किसान के पैसे का इस्तेमाल अपने जिहाद के लिए करना चाहते थे।

एक और प्रॉपर्टी पर कब्जे में जुटा कर्नाटक वक्फ बोर्ड, हाई कोर्ट ने लताड़ा: कहा- पहले ट्रिब्यूनल जाओ, संपत्ति के मूल मालिकों ने कोर्ट...

1976 में वक्फ से निजी बनाई गई सम्पत्ति को कर्नाटक का वक्फ बोर्ड दोबारा वक्फ सम्पत्ति में तब्दील करना चाहता है। इसके लिए उसने 2020 में आदेश जारी किया था। अब हाई कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -