कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने रायपुर धर्म संसद में महात्मा गाँधी के खिलाफ बयान देने पर स्पष्टीकरण जारी किया है। अपने YouTube चैनल पर जारी किए गए वीडियो में ‘ॐ काली’ के साथ अपनी बात शुरू करते हुए उन्होंने कहा है कि महात्मा गाँधी के लिए कहे गए अपशब्दों का उन्हें कोई पश्चाताप नहीं है। उन्होंने पूछा कि महात्मा गाँधी ने हिन्दुओं के लिए किया ही क्या है? उन्होंने बताया कि किस तरह 14 वोट प्रधानमंत्री पद के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल को मिले, लेकिन शून्य वोट वाले जवाहरलाल नेहरू को पीएम बना कर उन्होंने वंशवाद फैलाया।
उन्होंने कहा कि अगर सरदार पटेल के हाथों में भारत की सत्ता गई होती तो हमारा देश आज जगद्गुरु होता और अमेरिका से भी आगे होता, लेकिन जनता के साथ विश्वासघात हुआ। उन्होंने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे प्रतिभावान लोगों को कॉन्ग्रेस में इसी कारण काम करने का अवसर नहीं मिला। उन्होंने कहा कि ‘साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, दे दी आज़ादी हमें बिना खडग बिना ढाल’ गाना लिखने वाले को जूती मारने चाहिए। उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद करते हुए पूछा कि क्या इन्होंने देश के लिए कुछ नहीं किया?
उन्होंने बताया कि किस तरह जिन क्रांतिकारियों को फाँसी पड़ी, जिनमें 80% सिख दे, ये गाना लिखने वालों ने उन्हें श्रेय नहीं दिया। उन्होंने पूछा कि क्या कभी महात्मा गाँधी ने एक लाठी भी खाई? उन्होंने कहा कि गाँधी चाहते तो भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फाँसी रुकवा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने गाँधी का तिरस्कार करने की बात करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपनी लाश पर भारत का बँटवारा होने की बात कही थी, लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश बन गया।
उन्होंने कहा, “जान बँटवारा हुआ, तब गाँधी ज़िंदा थे। बँटवारे के दंगे में लाखों हिन्दुओं-सिखों को काट डाला गया। 27 लाख हिन्दुओं का नरसंहार हुआ ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ के दिन जिन्ना द्वारा। पाकिस्तान की ट्रेनों से बोर के बोर भर कर हिन्दुओं की लाशें और महिलाओं के सामूहिक बलात्कार के बाद स्तन काट कर भेजे जा रहे थे। गाँधी अनशन कर रहे थे कि पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए दो। जब दंगा पीड़ित सिखों ने ठंड में मस्जिदों का श्री लिया, तब उन्हें बाहर निकाल कर मुस्लिमों को मस्जिदें सौंपने के लिए गाँधी ने अनशन किया। इसीलिए, मैं नफरत करता हूँ गाँधी से।”
उन्होंने कहा कि ‘गजवा-ए-हिन्द’ के तहत भारत के इस्लामीकरण के लिए पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ने वाले हजारों वर्ग किलोमीटर का कॉरिडोर मुस्लिमों ने माँगा और उसे देने के लिए भी गाँधी अनशन करने वाले थे। उन्होंने बताया कि जब स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने हिन्दू वर्ण व्यवस्था को तोड़ कर एक होने की बात कही तो गाँधी ने नकार दिया। उन्होंने कहा कि बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर ने संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की बात कही, तब गाँधी ने इसके लिए अनशन नहीं किया।
कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने पूछा कि जो राष्ट्र करोड़ों वर्षों से है, उसका राष्ट्रपिता कोई 200 वर्ष पहले आया व्यक्ति कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्र का पिता बनाना अनिवार्य ही है तो छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह, आचार्य चाणक्य या महाराणा प्रताप को बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी के महापुरुषों को बनाना है तो राष्ट्र को एक करने वाले सरदार पटेल को बनाया जाना चाहिए, जिन्होंने छोटे-छोटे रियासतों को एक कर के टुकड़ों में बँटे देश को एक किया।
कालीपुत्र कालीचरण महाराज ने कहा, “अगर पाकिस्तान-बांग्लादेश को भारत में कॉरिडोर मिल जाता तो हिंदुस्तान कब का मुस्लिम बन गया होता। महात्मा नाथूराम गोडसे को कोटि-कोटि धन्यवाद है। उनके चरणों में साष्टांग प्रणाम है। उन्होंने अपना बलिदान देकर हिंदुस्तान को मुस्लिम बनने से बचा लिया। ‘गजवा-ए-हिन्द’ फेल कर दिया। सच बोलने की सज़ा मृत्यु है तो स्वीकार है। वीरों ने कुल के लिए बलिदान दे दिया तो मेरे जैसे करोड़ों कालीचरण धर्म के लिए मर सकते हैं। हम हिंदुत्व के लिए मृत्युदंड पाने के लिए भी तैयार हैं।”
बता दें कि छत्तीसगढ़ में संत कालीचरण महाराज के विरुद्द केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि उन्होंने महात्मा गाँधी को लेकर एक धर्म संसद में अपमानजनक बातें कहीं। ये धर्म संसद 26 दिसंबर 2021 को रायपुर के रावण भाटा मैदान में आयोजित की गई थी। उन्होंने मोहनदास करमचंद गाँधी का नाम लेकर उनकी हत्या का जायज ठहराया था। साथ ही गोडसे को नमन किया था। उन्होंने मंच से कॉन्ग्रेस नेताओं की आलोचना करते हुए हिंदू नेता चुनने की बात भी श्रोताओं से कही थी। इसके अलावा उन्होंने इस्लाम को लेकर कहा कि इस्लाम का मकसद राजनीति के जरिए देश पर कब्जा करने का था।