कल सुबह पक्षकार (पत्रकार होने का दावा करने वाले) चैनलों ने जादव जी के सुपूत का बिहार के मुख्यमंत्री पद पर राज्याभिषेक कर दिया। चिड़िया उड़ – कौआ उड़ खेल कर एग्जिट पोल देने वाले विशेषज्ञों ने भी जूनियर जी पर फूलों की बरसात कर दी।
सूत्रों की मानें तो शाम को एक पत्रकार अपने स्टूडियो में “कजरारे – कजरारे” गाने पर डांस भी पेश करने वाले थे। अफवाहों की माने तो रामनाथ गोयंका अवार्ड के साथ-साथ अब पत्रकारों के लिए “नाच नाथ गोयंका” अवार्ड भी जल्द ही शुरू किया जाने वाला है।
खबरी चैनलों के इस ता ता थइय्या-थइय्या कार्यक्रमों के बीच कट्टा व्यापारियों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई। गौरतलब है कि कट्टा व्यापार पिछले कुछ सालों से बिहार में धूल खा रहा है। और ऊपर से कोविड के चलते एकाएक कट्टा किसी को सटा भी दें तो वो कहता है “हमरे जेब में कुच्छो ना बा।”
कट्टा व्यापार पर पड़ी मार का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि पिछले कुछ सालों से प्रकाश झा ने ऐसी कोई फिल्म नहीं बनाई, जिसमें बिहार के गुण्डाराज का रेखा चरित्र हो। कट्टा बनाने के लिए लोहे की माँग दोपहर तक ही इतनी बढ़ गई कि एक गिरोह ने पाँच किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन तक उखाड़ दी।
कट्टा व्यापार संघ के मुखिया जद्दू भईय्या उर्फ़ पान पसेरी ने हमारे पत्रकार से बात करते हुए कहा कि वो बिहार की जनता को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं, जिन्होंने एक बार फिर उन्हें सेवा करने का मौका दिया।
जददू भईय्या ने बिहारवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि वो बिहार में इतना कट्टा पैदा कर देंगे कि आने वाली गर्मी में पेड़ों पर आम की जगह कट्टा लटकता हुआ मिलेगा। जिसे जो चाहे, जब चाहे प्रयोग में लाकर प्रेम विवाह, क़ानूनी विवाद, गृह कलेश और व्यापार में नुकसान से छुट्टी पा सकता है।
जददू भईय्या ने तो कट्टा प्रचार में यहाँ तक कह दिया कि जो काम एक हजार रुपए के कट्टे से हो जाए, उसके लिए पुलिस से लेकर न्यायालय तक क्यों परेशान किया जाए!
सब कुछ ठीक ही चल रहा था कि दोपहर के बाद जूनियर जी का मुख्यमंत्री वाला ताज थोड़ा-थोड़ा खिसकता हुआ दिखाई दिया। पक्षकारों ने कहा की पगड़ी बाँधकर ताज पहनाओ तो ठीक बैठ जाएगा लेकिन अंतिम परिणाम आने तक पगड़ी और ताज दोनों गायब हो गए।
कट्टा व्यापार इस सदमे को झेल नहीं पाया और आधी रात तक जद्दू भईय्या के घर के बाहर इतना कट्टा चला कि सफाई करने वाले ने गोलियों के खाली खोखे बेच कर अमेरिका शिफ्ट होने का प्लान बना लिया है।
कट्टा व्यापार के एक सदस्य ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि जद्दू भईय्या अपना नाम बदल कर राज्यसभा की सीट के जुगाड़ में लग गए हैं और कट्टा व्यापार अब तभी पनप पाएगा जब लोग “वोकल फॉर लोकल” हो जाएँगे।