Thursday, November 14, 2024
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पाकिस्तान की हालत: किया-किया.. क्या किया.. क्या किया रे सनम…

"तौबा-तौबा ! कैसे अज़ीब शौक़ पाल रखे हैं इन भारतियों ने...एक तो मॉर्निंग वॉक के लिए भी विमान से निकलते हैं और ऊपर से टमाटर के बदले बम गिरा कर निकल जाते हैं।"

ये क्या हुआ…? कैसे हुआ…? कब हुआ?” पाकिस्तान के मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर जब सुबह नींद से जागे होंगे तो उन्हें राजेश खन्ना का यह गाना ज़रूर याद आया होगा। अरे, उनके घर में ‘अमर प्रेम’ की पाइरेटेड डीवीडी तो पड़ी ही होगी। आख़िर हो भी क्यों न, पाकिस्तान की पूरी की पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री ही भारतीय फ़िल्मों की पाइरेटेड और हॉल डब्ड सीडीज की बिक्री से चलती है।

पाकिस्तानी मेजर जनरल ने घर में ‘अमर प्रेम’ की पाइरेटेड सीडी तो रखी ही होगी

पाकिस्तानी मेजर जनरल के जवाब में उनके मातहत अधिकारियों ने भी ‘अमर प्रेम’ के इसी गाने के रूप में जवाब भी दिया होगा- “अब क्या सुनाएँ?” हो सकता है इसके बाद मेजर जनरल ने उनसे पूछा होगा- “अरे, तुमने भी अमर प्रेम देख रखी है?” अधिकारियों ने क्या जवाब दिया, इसका पता लगाने के लिए हमारे सूत्र हवाई रास्तों से इस्लामाबाद के लिए निकल गए हैं।

अब मुद्दे पर आते हैं और समझते हैं कि पाकिस्तान के ‘इंटर सर्विस पब्लिक रिलेशन’ के डायरेक्टर जनरल- मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर ने ऐसा क्या किया और कहा जिस से पूरे पाकिस्तान की पोल खुलती नज़र आ रही है। इसके लिए पूरे घटनाक्रम को समझना पड़ेगा। सुबह-सुबह जब कौवों ने भी मल-मूत्र का सेवन नहीं किया था तभी गफ़ूर ने ट्विटर (जो कि पाकिस्तान में प्रतिबंधित नहीं है) खोला और धड़ाधड़ ट्वीट कर बताया कि कैसे भारतीय वायुसेना ने सीमा पार करने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तानी वायुसेना ने उनसे संघर्ष किया तो वह पेलोड जंगल में गिरा कर भाग निकले।

घबराहट में गफ़ूर को पता ही नहीं चला कि उन्होंने कब अपनी ट्वीट में बालाकोट का जिक्र कर दिया। इसके बाद पाकिस्तानी मीडिया में चर्चाएँ तेज हो गई कि अगर भारतीय वायुसेना (IAF) बालाकोट तक घुस गई है तो उन्हें सीमा पर से कैसे भगा दिया गया? ऐसा इसीलिए, क्योंकि बालाकोट तो पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रान्त में है। उन्होंने अपनी ट्वीट्स में मुज़फ़्फ़राबाद और बालाकोट का जिक्र भी कर दिया और साथ ही यह भी कहा कि IAF लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) का उल्लंघन करने के बाद लौट गए। जब डैमेज कण्ट्रोल के रास्ते ही नहीं सूझे तो पाकिस्तान ने गुपचुप आतंकियों की लाशों को ठिकाने लगाने का कार्य शुरू कर दिया।

बौखलाए गफ़ूर को पता ही नहीं चला कि दिन कब बीत गया और शाम को उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत को चेतावनी दी। तब तक यह साफ़ हो चुका था कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुस कर सैकड़ों आतंकियों को मार गिराया है। पाकिस्तानी वायुसेना की भी पोल खुल चुकी थी क्योंकि लोगों को पता चल चुका था कि भारतीय मिराज-2000 लड़ाकू विमानों के फॉर्मेशन को देख कर पाकिस्तानी एफ-16 भाग निकले थे। गफ़ूर ने भारत को धमकी देते हुए कहा:

“प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा आगाह किए जाने के बावजूद भारत ने जो आक्रामकता दिखाई, पाकिस्तान उसका चौंकाने वाला और अलग तरीके से जवाब देगा। गफूर ने कहा कि भारत का मकसद हमारे सैन्य मोर्चे पर हमला करने के बजाय रिहायशी इलाक़ों पर हमला करना था ताकि वह बता सके कि उसकी कार्रवाई दहशतगर्दों के खिलाफ थी।”

जब गफ़ूर से यह पूछा गया कि उनकी सेना ने भारतीय विमानों क्यों नहीं मार गिराया, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से कोई हमला नहीं हुआ। बकौल आसिफ़, हमला तब माना जाता जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाया होता। क्या आसिफ़ ने यह बोल कर इस बात की तस्दीक़ कर दी कि भारत ने पाकिस्तानी सेना को नहीं बल्कि आतंकियों को निशाना बनाया। उन्होंने तो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के आतंकियों के ख़िलाफ़ ‘Pre-emptive Strike’ वाली बात को और बल दे दिया। क्योंकि, भारत ने तो पहले ही कह दिया है कि उसका निशाना न नागरिक थे और न पाकिस्तानी सेना- यह कार्रवाई सिर्फ़ और सिर्फ़ आतंकियों के ख़िलाफ़ थी।

पाकिस्तानियों का हाल बाज़ीगर के इस गाने जैसा है

आसिफ़ ने भारत को चौंकाने की भी बात कही। अगर कुछ हुआ ही नहीं है, भारत ने कुछ किया ही नहीं है, तो पाकिस्तान किस कार्रवाई की जवाब देने की बात कर रहा है? अगर कुछ नहीं हुआ है तो बौखलाहट कैसी? अगर कुछ नहीं हुआ है तो पाकिस्तान में आपात बैठकों का सिलसिला कैसे चल निकला? अगर भारत ने कुछ किया ही नहीं तो फिर ज़ंग की धमकी क्यों? इन सबका अर्थ है कि कुछ ऐसा हुआ है, जिसके घाव काफ़ी गहरे हैं। कुछ ऐसा हुआ है, जो वह न बता सकते हैं और न छिपा सकते हैं।

किसी घर में अगर कोई व्यक्ति बीमार होता है तो उसके इलाज के लिए उसे किसी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है या फिर किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह ली जाती है। लेकिन घर में कोई बीमार ही नहीं हो और घर का मुखिया उसे अस्पताल में दाख़िल कराने की बात करे तो क्या वह पागल नहीं कहलाएगा? तो यहाँ दो स्थितियाँ बनती हैं। या तो भारत ने गहरा वार किया है नहीं तो पाकिस्तान का मुखिया ही पागल है।

क्या पाकिस्तान अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने अपने आतंकियों की परेड करवाएगा ताकि वह भारत के दावों को नकार सके? क्या वह 350 आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के सामने ले जाकर चीख-चीख कर कहेगा- ‘भारत के दावों की पोल खुल गई। लो देखो, हमारे सारे आतंकी अभी भी ज़िंदा हैं।‘ पाकिस्तान का मुखिया पागल नहीं है। वो ऐसा कभी नहीं करेगा। इस से पहली बात की पुष्टि हो जाती है। भारत ने आतंकियों का ऐसा सफाया किया है कि उनके बात-विचार और रुख पल-पल बदल रहे हैं।

पाकिस्तान ने भारतीय फ़िल्मों पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबन्ध लगा कर अपने सिनेमाघरों को वीरान छोड़ दिया है। क्यों? गफ़ूर की माने तो भारतीय विमान पाकिस्तान में रेकी करने गए थे और फिर वापस लौट आए। क्या पाकिस्तान से चार गुना बड़े क्षेत्रफल वाले भारत में एयरस्पेस की कमी हो गई है जो वे सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए पाकिस्तान जाएँगे? गफ़ूर के इस बयान के बाद टमाटर वाला पाकिस्तानी पत्रकार ज़रूर कह रहा होगा- “तौबा-तौबा ! कैसे अज़ीब शौक़ पाल रखे हैं इन भारतियों ने…एक तो मॉर्निंग वॉक के लिए भी विमान से निकलते हैं और ऊपर से टमाटर के बदले बम गिरा कर निकल जाते हैं।

फिलहाल कन्फ्यूज्ड गफ़ूर जवाब का सवाल देने में व्यस्त हैं। वे अपनी डायरी पर लिख-लिख कर मिटा रहे हैं- “वो आए, बालाकोट में बम गिराया और सीमा से ही भाग गए…नहीं-नहीं, वो आए और घूम-फिर कर निकल लिए..ये अच्छा रहेगा- वो आए, हमने संघर्ष किया और वे भाग निकले…या फिर ये- वो आए, कुछ नहीं किया, जो किया उसका करारा जवाब दिया जाएगा। किया, नहीं किया, किया, नहीं किया, कुछ किया, ,जो भी किया उसका जवाब देंगे, किया .. क्या किया…हम करेंगे।” तब तक उनके घर में एक और पाइरेटेड सीडी बज उठी:

“किया-किया…क्या किया…क्या किया रे सनम…!!!!”

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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