पाँच दिवसीय हिंदू त्योहार तिहार के दूसरे दिन नेपाल के हिंदू भगवान भैरव के साथ जानवरों के जुड़ाव का जश्न मनाने के लिए कुत्तों की पूजा करते हैं। इस दिन पूजा करने वाले कुत्तों को माला पहनाते हैं और उन्हें तिलक लगाते हैं। इन कुत्तों को माँस, दूध, अंडे समेत उनके पसंदीदा भोजन कराया जाता है। इस दिन कुत्तों के खिलाफ किसी भी तरह के अपमानजनक कार्य में शामिल होना मना होता है। नेपालियों के बीच यह त्योहार बहुत प्रसिद्ध है। इसे दुनिया भर के आप्रवासी नेपाली भी मनाते हैं। इसके अलावा, कैनाइन अधिकारियों और आवारा कुत्तों को सम्मानित किया जाता है।
Kukura/kukkura teohar at home today. pic.twitter.com/RFdxCsPAsv
— Bibek Debroy (@bibekdebroy) November 3, 2021
इस त्योहार के पौराणिक महत्व
इस त्योहार से जुड़ी दो पौराणिक मान्यताएँ हैं। मान्यता है कि कुत्ते भगवान भैरव की सवारी हैं और भगवान को प्रसन्न करने के लिए कुत्ते की पूजा की जाती है। किंवदंतियों के अनुसार, मृत्यु के देवता भगवान यम के पास श्यामा और शरवर नाम के दो कुत्ते हैं, जो नरक के द्वार की रखवाली करते हैं। उपासकों का मानना है कि कुकुर तिहार के दौरान कुत्तों की पूजा करने से वे नरक की यातनाओं से उन्हें बचा लेंगे। यह मृत्यु को सकारात्मक तरीके से देखने में भी मदद करता है।
We have a festival called “Tihar” in Nepal, where we worship all kind of animals and goddesses. Today is “kukur tihar” where we show gratitude and love towards dogs make them eat delicious treats. 😌🌸 So happy kukur tihar to everyone from a fellow Nepalese army 💃😆💫💕💕 pic.twitter.com/J87jlc1KIJ
— PIKU⁷ soft 💫 (@Peacelife_BTS) November 3, 2021
इसके अलावा, महाभारत की कथा के अंतिम सर्ग में कुत्ते और मनुष्य के बीच संबंधों का उल्लेख किया गया है। कथा के अनुसार, एक कुत्ता पांडवों के साथ स्वर्ग की यात्रा पर गया था। द्रौपदी सहित सभी पांडव यात्रा पूरी नहीं कर सके और केवल युधिष्ठिर और कुत्ता ही स्वर्ग के द्वार पर पहुँचे। जब इन्द्र देव उन्हें स्वर्ग के द्वार पर लेने के लिए आए तो युधिष्ठिर ने कुत्ते को भी अपने साथ स्वर्ग जाने देने के लिए कहा। इस पर इन्द्रदेव ने यह कहते हुए मना कर दिया कि हर कोई स्वर्ग को प्राप्त नहीं कर सकता।
Happy Kukur Tihar.
— PrideAndPrejudice 🌊 (@YashuBnB) November 3, 2021
Furry Friends get extra love that they deserve . pic.twitter.com/gb9fuubTeM
इसके बाद युधिष्ठिर ने यह कहते हुए स्वर्ग जाने से इनकार कर दिया कि कुत्ता ही उनके सुख और दुख का साथी था। इसलिए वह अपने जीवन के अंत में कुत्ते को नहीं छोड़ सकते। किसी भी परिस्थिति में निस्वार्थता और धार्मिकता की भावना के प्रति समर्पण से प्रसन्न होकर कुत्ते को स्वर्ग में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। कहानी में कहा गया है कि कुत्ता वास्तव में स्वयं धर्म के देवता थे, जिन्होंने युधिष्ठिर के कुत्ते को अपने साथ स्वर्ग ले जाने की प्रतिज्ञा पर दृढ़ होने के बाद अपना असली रूप दिखाया। मान्यता यह है कि युधिष्ठिर के साथ स्वर्ग में कुत्ते के रूप में भगवान यम थे।
काग तिहार – होती है कौवे की पूजा
तिहार त्योहार के दौरान कौवे और काग की भी पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कौवे को भगवान यम का दूत माना जाता है। तिहार त्योहार के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है, जिसे काग तिहार के नाम से भी जाना जाता है। त्योहार के दौरान कौवे को माँस और अनाज सहित भोजन दिया जाता है।
इसके अलावा, हिंदू धर्म में कौवे को पितरों का भी दूत माना जाता है। 16 दिनों तक चलने वाले हिंदू श्राद्ध परंपरा के दौरान पितरों की पूजा की जाती है। इस दौरान कौवे को खाना दिया जाता है। पितृ पक्ष में दुनिया भर के हिंदू अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं।
कुत्तों को सबसे पहले नेपाल में पालतू बनाया गया होगा
कुत्तों और नेपाल के लोगों के बीच आपसी बंधन हमें वापस उस प्वाइंट पर ले जाता है, जहाँ कुत्तों को सबसे पहले इंसानों ने पालतू बनाया था। एबीसी साइंस के अनुसार, एक आनुवंशिक अध्ययन से पता चला है कि कुत्तों को मध्य एशिया, वर्तमान में नेपाल और मंगोलिया में, सबसे पहले पालतू बनाया गया होगा।
कॉर्नेल विश्वविद्यालय में एडम बॉयको के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 540 से अधिक गाँव के कुत्तों के साथ 165 नस्लों के लगभग 4,600 शुद्ध नस्ल के कुत्तों में 1,85,800 से अधिक आनुवांशिक चिह्नों का अध्ययन किया। यह अध्ययन 38 देशों में किया गया था। वैज्ञानिकों ने इसे “दुनिया भर में कैनाइन आनुवांशिक विविधता का अब तक का सबसे बड़ा सर्वेक्षण” माना है। वैज्ञानिकों ने कहा था, “हमें इस बात के पुख्ता सबूत मिलते हैं कि कुत्तों को मध्य एशिया के वर्तमान नेपाल और मंगोलिया के पास पालतू बनाया जाता था।”
नेपाल भूकंप बचाव कार्यों में कुत्तों की भूमिका
2015 में नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमें शहर का शहर मलबे में तब्दील होने लगा था। उस दौरान कुत्ते गुमनाम नायक बनकर उभरे थे। बचाव कार्यों के दौरान विशेष डॉग इकाइयों को तैनात किया गया था, जो मलबे के नीचे जीवित पीड़ितों को खोजने में मदद करते थे।