भोपाल से लगभग 32 किलोमीटर दूर दक्षिण-पूर्व में बेतवा नदी के दाहिने ओर एक ऊँची पहाड़ी पर स्थित है भोजेश्वर मंदिर या भोजपुर मंदिर। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह एक अपूर्ण मंदिर है और इसके अपूर्ण रहने का कारण कोई नहीं जानता है। इसके अलावा मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी अपने आप में अद्वितीय है।
एक रात में बना अधूरा मंदिर
मंदिर के निर्माण का श्रेय मध्य भारत के परमार वंशीय राजा भोजदेव को जाता है। राजा भोजदेव कला, स्थापत्य एवं विद्या के महान संरक्षक एवं महान लेखक भी थे। हालाँकि कई मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण एक रात में पांडवों ने किया था।
कहा जाता है कि पांडव अपने वनवास के दौरान माता कुंती के साथ यहीं आस-पास वनों में निवास कर रहे थे। इस दौरान भीम ने विशाल पत्थरों से ही इस मंदिर का निर्माण किया और शिवलिंग की स्थापना की, जिससे माता कुंती बेतवा नदी में स्नान करके भगवान शिव की पूजा कर सकें।
हालाँकि मंदिर के अपूर्ण होने के पीछे कोई पुख्ता कारण नहीं है लेकिन ऐसी मान्यता है कि संभवतः मंदिर के निर्माण को लेकर कोई संकल्प रहा होगा और उसका निर्माण एक रात में ही होना सुनिश्चित हुआ होगा, लेकिन सुबह हो जाने के कारण मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और मंदिर अंततः अपूर्ण रह गया। मंदिर का निर्माण आज भी अधूरा है और मंदिर के आस-पास स्थित अधूरे पिलर, मूर्तियाँ इस बात की गवाही देते हैं।
मंदिर के पीछे भाग में एक ढलान है, जिसका उपयोग पत्थरों को ऊँचाई तक पहुँचाने के लिए किया गया। पत्थर के विशाल भागों को निर्माण में लाने की ऐसी विधि कहीं और विद्यमान नहीं है। इस ढलान की सहायता से ही लगभग 70,000 किग्रा के पत्थरों को मंदिर निर्माण के लिए पहाड़ी की चोटी तक पहुँचाया गया।
मंदिर की संरचना
मंदिर का द्वार पश्चिम दिशा की ओर है। भोजेश्वर महादेव मंदिर 106 फुट लंबा एवं 77 फुट चौड़ा है। मंदिर 17 फुट ऊँचे एक चबूतरे पर निर्मित किया गया है। मंदिर के गर्भगृह की अपूर्ण छत 40 फुट ऊँचे चार स्तंभों पर टिकी हुई है।
गर्भगृह का विशाल द्वार दो तरफ से गंगा एवं यमुना की प्रतिमाओं से सुसज्जित है। चार स्तंभों में शिव-पार्वती, सीता-राम, लक्ष्मी-नारायण और ब्रह्मा-सावित्री की प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है।
मंदिर की छत गुंबद आकार की है और भारतीय विद्वान इसे प्रथम गुंबदीय छत वाली इमारत मानते हैं। यह मंदिर इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि भारत में गुंबद का निर्माण इस्लाम के आगमन से पहले भी किया जाता रहा है।
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है गर्भगृह में स्थापित 22 फुट ऊँचा शिवलिंग (आधार सहित) जो कि दुनिया के विशालतम शिवलिंगों में से एक है। शिवलिंग का व्यास 7.5 फुट है। शिवलिंग एक ही पत्थर से बनाया गया है और इसे बनाने में चिकने बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है।
कैसे पहुँचे?
मध्य प्रदेश की राजधानी होने के कारण भोपाल सभी प्रकार के परिवहन मार्गों से जुड़ा हुआ है। भोपाल में ही राजा भोज हवाईअड्डा है जो मंदिर से लगभग 38 किमी की दूरी पर स्थित है। हालाँकि मुख्य भोपाल शहर से भोजपुर की दूरी लगभग 32 किमी है लेकिन यातायात के सभी साधन उपलब्ध होने के कारण यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। साथ ही भोपाल रेल एवं सड़क मार्ग से देश के सभी शहरों से जुड़ा हुआ है। भोपाल जंक्शन से भोजपुर स्थित इस शिव मंदिर की दूरी लगभग 30 किमी है।