देवदत्त पटनायक को आपने अक्सर टीवी पर ‘हिन्दू मिथोलॉजी’ पर बड़े-बड़े भाषण देते हुए देखा होगा और साथ ही लोगों के सवालों का जवाब देते हुए भी। ट्विटर पर अभिनव अग्रवाल ने पटनायक के प्रोपेगेंडा की पोल खोलते हुए उनकी पुस्तकों के कई ऐसे अंश निकाले, जो या तो ग़लत हैं या फिर उन्हें तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। अभिनव अग्रवाल ने पटनायक की पुस्तकों के अंश और ओरिजिनल धर्म-ग्रन्थ से समान विषयों की तुलना कर दिखाया कि पटनायक ने तथ्यों को छेड़छाड़ कर पेश किया है। इसके लिए उन्होंने पटनायक के परामर्श से लिखी गई किताब ‘The Illustrated Mahabharata’ का उदाहरण दिया।
A thread on how shoddy and littered with howlers is Devdutt Pattanaik’s work.
— Abhinav Agarwal (@AbhinavAgarwal) August 17, 2019
I will take just one book as an example – “The Illustrated Mahabharata”, published by @dkbooks
- देवदत्त पटनायक लिखते हैं कि गांधारी ने अपने बच्चे को शरीर से बाहर निकालने के लिए अपनी दासियों को अपने पेट पर लोहे की छड़ से वार करने को कहा लेकिन गीताप्रेस के किसी भी पुस्तक में ऐसा कोई प्रसंग नहीं है। महाभारत के अनुसार, गांधारी ने ख़ुद से अपने पेट पर मारा और क्षणिक गुस्से में ‘Self-Abortion’ किया।
- सत्यवती राजा शांतनु की पत्नी थी। देवदत्त लिखते हैं कि पांडवों और कौरवों के बीच सार्वजनिक रूप से लड़ाई देखने के पश्चात उन्होंने महल छोड़ने के निर्णय लिया। लेकिन, महाभारत की मानें तो सत्यवती ने ऋषि व्यास के कहने पर ऐसा किया। व्यास ने सत्यवती को ऐसा करने को कहा ताकि उन्हें अपने ही वंश की दुर्गति न देखनी पड़े।
- पटनायक ने लिखा है कि इंद्र जैसे ही कर्ण के सम्मुख आए और उसके कवच-कुंडल की माँग की, कर्ण ने तुरंत उन्हें निकाल कर सौंप दिया। जबकि महाभारत की मानें तो कर्ण ने पहले कवच-कुंडल देने से मना कर दिया। बाद में अदला-बदली में उसने इसे दे दिया।
- ययाति और देवयानी के मामले में पटनायक ने तो हद कर दी। उन्होंने लिखा कि ययाति ने देवयानी का हाथ पकड़ लिया और परंपरा के अनुसार उन्हें शादी करने को बाध्य होना पड़ा। देवदत्त ने ‘परंपरा’ की तानाशाही दिखाने के लिए ऐसा लिखा है। जबकि सच्चाई यह है कि देवयानी ख़ुद ययाति से शादी करना चाहती थीं और उन्होंने अपने पिता से साफ़-साफ़ कह दिया था कि उन्हें कोई और व्यक्ति पति के रूप में स्वीकार्य नहीं है।
- देवदत्त पटनायक लिखते हैं कि जयद्रथ वध के बाद द्रोणाचार्य काफ़ी गुस्से में थे और उन्होंने अपनी सेना को सूर्यास्त के बाद भी लड़ते रहने का आदेश दिया। महाभारत के अनुसार, दुर्योधन ने द्रोण को खरी-खोटी सुनाई और इसके बाद द्रोण ने दुर्योधन से पूछा, “तुम सबके आस-पास रहते भी जयद्रथ की मृत्यु कैसे हो गई? तुम लोगों ने तो उसे बचाने की प्रतिज्ञा ली थी और अर्जुन को घेर भी रखा था?”
- देवदत्त पटनायक लिखते हैं कि महाभारत में शिखंडी को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया है। यह झूठ है क्योंकि महाभारत में एक पूरा का पूरा अध्याय शिखंडी के ऊपर है। इसका नाम है अम्बोपाख्यान, जिसमें खुद भीष्म ने कई चीजें बताई हैं। अर्थात, शिखंडी और उसके किरदार के बारे में सब कुछ बताया गया है।
- एक ही पुस्तक में दो अलग-अलग स्थानों पर पटनायक ने विरोधाभाषी बातें लिखी हैं। एक जगह उन्होंने लिखा है कि बुजुर्गों की दुर्दशा ऐसी है कि उनके बच्चे-बच्चियाँ उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते। वहीं दूसरी तरफ ख़ुद को ही काटते हुए पटनायक लिखते हैं कि समाज में बुजुर्गों का प्रभुत्व है।
- परशुराम-भीष्म की लड़ाई पर तथ्यों को ग़लत तरीके से पेश करते हुए पटनायक ने लिखा है कि चूँकि भीष्म को मारना असंभव था, परशुराम ने हार स्वीकार कर ली। जबकि, परशुराम के हार मानने का कारण यह था कि भीष्म ने एक घातक अस्त्र निकाल लिया था, जिसे उन्होंने बाद में देवताओं की सलाह के बाद वापस ले लिया।
And this is from “Jaya” (the book that I hope Devdutt doesn't say he 'DID NOT write')
— Abhinav Agarwal (@AbhinavAgarwal) August 18, 2019
Jaya, Ch 15 – Birth of Gandhari’s Children: “Gandhari ordered her maids to get an iron bar. ‘Now strike me on my belly with it,’ she ordered…."
हालाँकि, देवदत्त पटनायक ने अभिनव अग्रवाल के इस ट्विटर थ्रेड का जवाब देते हुए लिखा कि इस पुस्तक को उनके परामर्श से लिखा गया है लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह लिखा नहीं है। इसके बाद अभिनव ने उनकी अन्य पुस्तकों का हवाला देते हुए बताया कि उन्होंने कई जगह ऐसे ही तथ्यों से छेड़छाड़ की है। उनकी किताब ‘जया’ में भी गांधारी वाले झूठ का वर्णन है। सत्यवती वाली कहानी भी ‘जया’ में हूबहू है।
(यह पूरा का पूरा लेख अभिनव अग्रवाल द्वारा देवदत्त पटनायक की पुस्तक पढ़े जाने के बाद उसमें निकाली गई खामियों पर आधारित है।)