दिवाली पर अयोध्या में दीये जलाने का एक नहीं कई विश्व रिकॉर्ड बन रहे, हर साल टूट कर फिर नए रिकॉर्ड गढ़े जा रहे। दीपावली पर अयोध्या का महत्व हर हिंदू के लिए अप्रतीम है। भगवान श्रीराम के साथ इसकी जो कड़ियाँ जुड़ी हैं, वो हम सब को एक साथ जोड़ती है। आज बात लेकिन उस जगह की, जहाँ दिवाली सबसे पहली बार मनी थी, जहाँ भगवान श्री राम ने किया था दीपदान की शुरुआत। दियरा घाट (Diyara Ghat) है वो ऐतिहासिक जगह, अयोध्या से नजदीक ही है!
जहाँ से दीपदान की शुरुआत मानी जाती है, वह दियरा घाट अयोध्या से सटे सुलतानपुर जिले में है। सुलतानपुर का प्राचीन नाम कुशभवनपर था। इसे भगवान राम के सुपुत्र कुश ने बसाया था, इसलिए इसका नाम कुशभवनपुर पड़ा। जिला मुख्यालय से लगभग तीस किलोमीटर दूर ‘आदि गंगा’ कही जाने वाली गोमती नदी के तट पर दियरा घाट स्थित है, जहाँ पर अयोध्या से पहले दीपावली या दिवाली मनाई गई थी।
मान्यताओं के अनुसार रावण और लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद यहाँ पहुँचे भगवान श्रीराम ने ही पहला दीपदान किया था। लंका से श्रीराम, लक्ष्मण, सीता की सकुशल वापसी की खुशी में यहाँ हुए दीपदान में स्थानीय निवासियों के अलावा अयोध्या से अपने भगवान राम की अगवानी करने आए अयोध्यावासी भी दीपदान में शरीक हुए थे। अगल-बगल के ग्रामीण इस बात को लेकर आज भी बड़े गौरवांवित महसूस करते हैं कि दीप पर्व की शुरुआत उनके यहाँ से मानी जाती है।
हरिशयनी में प्रभु ने किया था विश्राम
दीपदान से पहले भगवान श्रीराम ने धोपाप में स्नान किया था। उसके बाद दियरा में दीपदान किया। प्रभु श्रीराम ने इसके बाद हरिशयनी गाँव में विश्राम किया था। मान्यता है कि हरि (श्रीराम) के शयन से ही इस गाँव का नाम पड़ा। इस सबका जिक्र यहाँ के जिला गजेटियर में भी किया गया है। आज भी हरिशयनी गाँव के लोग भगवान राम के मेजबान के तौर पर खुद को किस्मत का धनी समझते हैं।
योगी सरकार आने के बाद बदली सूरत, उम्मीद थोड़ी और की!
दियरा घाट दीपावली की शुरुआत का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। इस घाट के विकास से दीपावली पर्व की भव्यता और लोकप्रियता में और भी वृद्धि होगी। सरकार को इस घाट के विकास के लिए पहल करनी चाहिए।
अयोध्या में दीपावली पर दीपदान के आयोजनों को लेकर सुर्खियाँ बटोरती सरकार पर सुलतानपुर के दियरा घाट की उपेक्षा के आरोप स्थानीय लगाते हैं। हालाँकि योगी सरकार आने के बाद से दियरा के दिन बहुरे तो हैं, लेकिन बहुत सारे काम किए जाने बाकी हैं। आपको बता दें कि दियरा में घाट तक पक्की सड़क बनाई गई है।
दियरा घाट पर आज क्या होता है?
आज भी दियरा घाट पर दीपावली की पूर्व संध्या पर दीपदान का आयोजन किया जाता है। हालाँकि, यह आयोजन बहुत ही साधारण होता है। स्थानीय लोग यहाँ पर इकट्ठा होकर दीपदान करते हैं और भगवान श्री राम की पूजा करते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इस स्थल के विकास के लिए पहल करनी चाहिए ताकि यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सके। लोगों का कहना है कि इस स्थल पर एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए। साथ ही यहाँ एक दीपदान स्थल भी बनाया जाना चाहिए, इससे दीपावली पर्व को और भी भव्य तरीके से मनाया जा सकेगा।