सावन माह में चल रही काँवड़ यात्रा में सबसे अधिक चहल पहल हरिद्वार जाने वाले मार्गों पर दिखाई देती है। इन सभी में गाजियाबाद से मेरठ और मुजफ्फरनगर जाने वाला राजमार्ग मुख्य है। इस बार काँवड़ यात्रा में कुछ ऐसी झाँकियाँ देखने को मिलीं जो अपने आप में अलग और अनोखी हैं। इसमें भारतीय सेना के सम्मान, दिवंगत CDS जनरल बिपिन रावत की स्मृति, राम मंदिर प्रतीक और नूपुर शर्मा के समर्थन की भी झाँकियाँ शामिल हैं। काँवड़ियों को पुलिसकर्मियों के साथ भी दोस्ताना माहौल में घुला-मिला देखा गया।
काँवड़ यात्रा के खिलाफ बोलने वाले कुछ वामपंथी तत्वों की खबरों की सही जानकारी लेने के लिए हम 23 जुलाई, 2022 (शनिवार) को कावड़ियों के बीच मुजफ्फरनगर से हरिद्वार तक बाइक से गए। मुजफ्फरनगर के थाना मंडी क्षेत्र में सेना के वाहनों का काफिला निकला तो काँवड़ियों ने खुद ही अपने जत्थे को रोक दिया। फ़ौज का अंतिम वाहन निकल जाने तक वो ‘भारत माता की जय’ और ‘वन्दे मातरम’ के नारे लगाते रहे।
भारतीय सेना (@adgpi) का वाहन आता देख महादेव भक्त कांवड़ियों ने खुद ही रोक दिया अपना जत्था.
— Rahul Pandey (Journalist) (@STVRahul) July 25, 2022
फौजियों को देख कर लगाने लगे “भारत माता की जय” के नारे..
देश और धर्म से अथाह प्रेम एक ही स्थान पर.
स्थान मुजफ्फरनगर, थाना न्यू मंडी @muzafarnagarpol @DefenceMinIndia @rajnathsingh pic.twitter.com/6J2DvDdivb
दिवंगत CDS बिपिन रावत की झाँकी
थोड़ा आगे चल कर मुजफ्फरनगर के ही छपार थाना क्षेत्र में एक ऐसी झाँकी मिली जिसमें CDS विपिन रावत को श्रद्धांजलि दी गई थी। झाँकी में जनरल रावत की फोटो के साथ एक बलिदानी फौजी का प्रतीकत्मक होर्डिंग बनाया गया था। इसी झाँकी में कोरोना काल में बलिदान हुए डॉक्टरों और पुलिस के जवानों को भी श्रद्धांजलि दी गई थी।
नूपुर शर्मा का समर्थन और कन्हैयालाल को श्रद्धांजलि
थोड़ा आगे बढ़ने पर मुजफ्फरनगर के पुरकाजी थानाक्षेत्र में एक वाहन पर नूपुर शर्मा का बैनर लगा दिखा। वाहन पर कई युवक खड़े हो कर ‘भारत माता की जय’ का नारा भी लगा रहे थे। इस वाहन में उदयपुर में बलिदान हुए कन्हैया लाल का फोटो लगा कर उन्हें हिन्दू वीर बता कर श्रद्धांजलि दी गई थी।
मुजफ्फरनगर के छपार थानाक्षेत्र में गाजियाबाद शिव मंदिर बालाजी धाम के महंत मछेन्द्र पुरी अपने हाथ में नूपुर शर्मा का पोस्टर ले कर चलते दिखाई दिए।
काँवड़ियों ने महिलाओं को दिया पूरा सम्मान
हरिद्वार से लगभग 30 किलोमीटर पहले रुड़की बाईपास पर शाम लगभग 5 बजे हमने लगभग आधे दर्जन महिलाओं को काँवड़ यात्रियों को निःशुल्क खाना खिलाते देखा। उन्होंने हमें बताया, “हम यहीं बगल के गाँव के हैं। सुबह से यहाँ काँवड़ियों को खाना खिला रहे। हमारे आगे से अब तक हजारों भोले (काँवड यात्री) जा चुके। कइयों ने यहाँ खाना भी खाया। उन सभी का व्यवहार हमारे लिए हमारे घर के सदस्यों जैसा रहा। सभी काँवड़िए हमसे शालीनता और सभ्यता से पेश आए।”
काँवड़ियों की भीड़ में हर एम्बुलेंस को मिला रास्ता
हरिद्वार पहुँच कर हमें लाखों काँवड़ियों की भीड़ दिखी। कई सड़कें जाम दिखीं। लेकिन उन्हीं रास्तों से जब भी कोई एम्बुलेंस गुजरी तब हर काँवड़ यात्री ने उसे खुद हट कर राह दी।