मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर का कल से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वे करेगा। यह सर्वे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद किया जा रहा है। यह सर्वे शुक्रवार (22 मार्च, 2024) से चालू होगा। इसके लिए ASI ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है और सर्वे में कोई समस्या ना आए प्रशासन से सुरक्षा के इंतजाम करने को कहा है।
ASI survey to determine the character of 11th Century monument- Bhojshala to begin tomorrow.
— Rahul Shivshankar (@RShivshankar) March 21, 2024
Hindus believe the Bhojshala is a temple to Goddess Saraswati. The Muslim community treats it as Kamal Maula Mosque.
Goddess Saraswati's idol installed by rulers of Dhar was allegedly… pic.twitter.com/QMA5Q21YYP
ASI को इस सर्वे की रिपोर्ट 29 अप्रैल, 2024 के पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को सौंपनी होगी। कल से चालू होने वाले सर्वे में ASI इस भोजशाला परिसर में मौजूद प्रतीकों और अन्य साक्ष्यों का अध्ययन करेगी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 11 मार्च, 2024 को एक निर्णय सुनाते हुए ASI को आदेश दिया था कि वह इस परिसर का सर्वे करके उसे रिपोर्ट सौंपे। अब ASI ने सर्वे की तैयारी पूरी कर ली हैं और उसने पुलिस प्रशासन से सुरक्षा के इंतजाम करने को कह़ा है। कल रमजान का जुमा भी है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कार्बन डेटिंग मेथड का इस्तेमाल कर के सर्वे में इस संरचना की उम्र का पता लगाया जाए। जमीन के भीतर और बाहर जो कई संरचनाएँ हैं, उन सबका सर्वे होगा। दीवारों, स्तम्भों, फर्श, छतों और इसके गर्भगृह को भी सर्वे में शामिल किया जाएगा। ASI के वरिष्ठ अधिकारी इस सर्वे में शामिल होंगे और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे। हाईकोर्ट ने एक्सपर्ट कमिटी द्वारा तैयार होने के बाद रिपोर्ट को पेश किए जाने का आदेश दिया था।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि ASI के डायरेक्टर जनरल/एडिशनल DG खुद मौजूद रह कर रिपोर्ट सौंपें। अब इस सर्वे के लिए इस परिसर में जो दरवाजे बंद हैं, उन्हें खोला जाएगा। अंदर जो मूर्तियाँ या अन्य वस्तुएँ मिलेंगी, उन सबके फोटोग्राफ्स लिए जाएँगे। कार्बन डेटिंग के जरिए उन सबकी उम्र का पता लगाया जाएगा।
साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी आदेश दिया था कि ये सर्वे किसी भी संरचना, वस्तुओं या मूर्तियों को नुकसान नुकसान पहुँचाए बिना अंजाम दिया जाए। इसके जरिए इस पूरे परिसर की वास्तविक प्रकृति और स्वभाव का पता लगाया जाए। हिंदू संगठन की माँग रही है कि भोजशाला परिसर में देवी सरस्वती (वाग्देवी) की मूर्ति स्थापित की जाए।
‘भोजशाला’ ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती को समर्पित एक अनूठा और ऐतिहासिक मंदिर है। इसकी स्थापना राजा भोज ने की थी। राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। वे शिक्षा एवं साहित्य के अनन्य उपासक भी थे। उन्होंने ही धार में इस महाविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा। यहाँ दूर-दूर से छात्र पढ़ाई करने के लिए आते थे।
मुस्लिम जिसे ‘कमाल मौलाना मस्जिद’ कहते हैं, उसे मुस्लिम आक्रांताओं ने तोड़कर बनवाया है। अभी भी इसमें भोजशाला के अवशेष स्पष्ट दिखते हैं। मस्जिद में उपयोग किए गए नक्काशीदार खंभे वही हैं, जो भोजशाला में उपयोग किए गए थे। मस्जिद की दीवारों से चिपके उत्कीर्ण पत्थर के स्लैब में अभी भी मूल्यवान नक्काशी किए हुए हैं।
इसमें प्राकृत भाषा में भगवान विष्णु के कूर्मावतार के बारे में दो श्लोक लिखे हुए हैं। एक अन्य अभिलेख में संस्कृति व्याकरण के बारे में जानकारी दी गई है। अब सर्वे से इस परिसर के बारे में और भी जानकारी सामने आने की उम्मीद है।