Thursday, November 7, 2024
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‘भोजशाला परिसर का हो सर्वे, 6 हफ्ते में दो रिपोर्ट’: जिस मंदिर को ‘कमाल मौला मस्जिद’ बताते हैं मुस्लिम, उसे लेकर हाईकोर्ट का आदेश – आधुनिक तकनीक से पता लगाओ क्या है ये

साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि ये सर्वे किसी भी संरचना, वस्तुओं या मूर्तियों को नुकसान नुकसान पहुँचाए बिना अंजाम दिया जाए। इसके जरिए इस पूरे परिसर की वास्तविक प्रकृति और स्वभाव का पता लगाया जाए।

इंदौर स्थित मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने धार स्थित भोजशाला के ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) सर्वे की अनुमति दे दी है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इसकी जानकारी दी, जो ज्ञानवापी और मथुरा की लड़ाई भी लड़ रहे हैं। भोजशाला एक हिन्दू मंदिर है, जिसे मुस्लिम पक्ष ‘कमाल मौला मस्जिद’ बताता है। अब ASI इसका पूर्ण वैज्ञानिक सर्वे और खुदाई करेगी। इसके लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। भोजशाला परिसर और इसके चारों तरफ 50 मीटर के क्षेत्र में ये सर्वे होगा।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि कार्बन डेटिंग मेथड का इस्तेमाल कर के सर्वे में इस संरचना की उम्र का पता लगाया जाए। जमीन के भीतर और बाहर जो कई संरचनाएँ हैं, उन सबका सर्वे होगा। दीवारों, स्तम्भों, फर्श, छतों और इसके गर्भगृह को भी सर्वे में शामिल किया जाएगा। ASI के वरिष्ठ अधिकारी इस सर्वे में शामिल होंगे और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे। हाईकोर्ट ने एक्सपर्ट कमिटी द्वारा तैयार होने के बाद रिपोर्ट को पेश किए जाने का आदेश दिया है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा है कि ASI के डायरेक्टर जनरल/एडिशनल DG खुद मौजूद रह कर रिपोर्ट सौंपें। इसके लिए 6 हफ्ते का समय दिया गया है। एक्सपर्ट कमिटी में दोनों समुदायों के अधिकारियों को रखे जाने की कोशिश करने के लिए भी आदेश में कहा गया है। जो दरवाजे बंद हैं, उन्हें खोला जाएगा। अंदर जो मूर्तियाँ या अन्य वस्तुएँ मिलेंगी, उन सबके फोटोग्राफ्स लिए जाएँगे। कार्बन डेटिंग के जरिए उन सबकी उम्र का पता लगाया जाएगा।

साथ ही हाईकोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि ये सर्वे किसी भी संरचना, वस्तुओं या मूर्तियों को नुकसान नुकसान पहुँचाए बिना अंजाम दिया जाए। इसके जरिए इस पूरे परिसर की वास्तविक प्रकृति और स्वभाव का पता लगाया जाए। हिंदू संगठन की माँग है कि भोजशाला परिसर में देवी सरस्वती (वाग्देवी) की मूर्ति स्थापित की जाए। ‘भोजशाला’ ज्ञान और बुद्धि की देवी माता सरस्वती को समर्पित एक अनूठा और ऐतिहासिक मंदिर है। इसकी स्थापना राजा भोज ने की थी। राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। वे शिक्षा एवं साहित्य के अनन्य उपासक भी थे। उन्होंने ही धार में इस महाविद्यालय की स्थापना की थी, जिसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा। यहाँ दूर-दूर से छात्र पढ़ाई करने के लिए आते थे।

मुस्लिम जिसे ‘कमाल मौलाना मस्जिद’ कहते हैं, उसे मुस्लिम आक्रांताओं ने तोड़कर बनवाया है। अभी भी इसमें भोजशाला के अवशेष स्पष्ट दिखते हैं। मस्जिद में उपयोग किए गए नक्काशीदार खंभे वही हैं, जो भोजशाला में उपयोग किए गए थे। मस्जिद की दीवारों से चिपके उत्कीर्ण पत्थर के स्लैब में अभी भी मूल्यवान नक्काशी किए हुए हैं। इसमें प्राकृत भाषा में भगवान विष्णु के कूर्मावतार के बारे में दो श्लोक लिखे हुए हैं। एक अन्य अभिलेख में संस्कृति व्याकरण के बारे में जानकारी दी गई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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