Visited the incredible Jagannath Temple in Puri—a nearly 1000-year-old marvel by the Bay of Bengal. Watching priests climb the 65-meter tower for the nightly flag change was truly breathtaking. The streets of Puri with artists preparing for Durga Puja, captures the vibrant spirit… pic.twitter.com/9bEi3Rhver
— U.S. Ambassador Eric Garcetti (@USAmbIndia) September 28, 2024
लोग उनका अनुभव देख खुश थे, लेकिन इस बीच सोशल मीडिया पर बातें होने लगीं कि पुरी मंदिर में तो गैर हिंदुओं का प्रवेश निषेध है, फिर उन्हें कैसे भीतर जाने दिया गया? इस सवाल का जवाब ये है कि एरिक गार्सेटी ने पूरी तरह से जगन्नाथ मंदिर में में प्रवेश नहीं किया। इस मंदिर में गैर हिंदुओं के प्रवेश को लेकर बहुत सख्ती है। यहाँ तक कि इस्कॉन से जुड़े विदेशी श्रद्धालुओं जो हिंदू धर्म नहीं मानते उनको भी मंदिर के भीतर जाने की अनुमति नहीं है।
गार्सेटी ने ओडिशा यात्रा के दौरान जगन्नाथ मंदिर के भव्य ध्वज ‘पतितपावन’ के दर्शन किए। ये एक ध्वज परिवर्तन प्रक्रिया है। इसमें एक सेवायत 1000 साल पुराने मंदिर पर कुशलता से चढ़कर पुराने ध्वज को उतारकर वहाँ नया ध्वज फहराता है। इस रीति को देखने के लिए सैंकड़ों लोग मुख्य मंदिर के बाहर वहाँ इकट्ठा होते हैं।
गार्सेटी जगन्नाथपुरी मंदिर में इसी अनुष्ठान के साक्षी बने न कि वो चतुर्थ मूर्ति के दर्शन के लिए मुख्य मंदिर गए। उन्होंने पतितपावन भव्य ध्वज के दर्शन किए जो भगवान जगन्नाथ का प्रतिनिधित्व करता है।
यहाँ जानना जरूरी है कि ‘चतुर्थ मूर्ति’ के दर्शन का अर्थ है मुख्य मंदिर की आंतरिक संरचना में प्रवेश करना, और भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और सुदर्शन की भव्य मूर्तियों के दर्शन करना। जो लोग मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते, उन्हें केवल रथ यात्रा और स्नान पूर्णिमा के दौरान चतुर्ध मूर्ति के दर्शन का आशीर्वाद मिलता है, जब देवता मंदिर से बाहर निकलते हैं। रथ यात्रा के दौरान किसी भी धर्म या राष्ट्रीयता के लिए ग्रैंड रोड पर प्रवेश की कोई बाधा नहीं है।
गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ के मंदिर जिसे नष्ट करने की साजिश कई बार मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा की गई, लेकिन हर बार वो विफल हुए, वहाँ गैर-हिंदुओं के प्रवेश को लेकर बहुत बार विवाद हो चुका है। यहाँ गैर हिंदुओं को प्रवेश अनुमति न होने की वजह से संत कबीर, बीआर अंबेडकर, भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन, थाईलैंड की पूर्व रानी महाचक्री सिरिधरन और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थीं।
नोट: यह लेख मूल रूप से अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ है। इसे पूरा पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करें।