बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण अभिनीत फ़िल्म ‘छपाक’ तमाम विवादों के बीच अपनी तय दिन यानी शुक्रवार (10 जनवरी) को सिनेमाघरों में रिलीज़ तो हो गई, लेकिन इससे जुड़ा विवाद अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल का केस लड़ने वाली वकील को क्रेडिट देने के निचली अदालत के फ़ैसले के एक दिन बाद Fox Studios और फ़िल्म की निर्देशक मेघना गुलज़ार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक अपील दायर की है।
पटियाला हाउस कोर्ट में अपने आपराधिक मुक़दमे में एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल का केस लड़ने वाली अपर्णा भट्ट ने फ़िल्म ‘छपाक’ की रिलीज़ से ठीक पहले उसकी रिलीजिंग पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी।
फ़िल्म में क्रेडिट न दिए जाने को लेकर महिला वकील अपर्णा भट्ट ने फेसबुक पर लिखा था कि कैसे वे इस बात से नाराज़ हैं कि फ़िल्म छपाक के मेकर्स ने उन्हें अपनी फ़िल्म में कोई क्रेडिट नहीं दिया। उन्होंने ये भी कहा था कि वे इस मामले में क़ानून की मदद लेंगी। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया था कि वो दीपिका पादुकोण और बाकी लोगों के बराबरी की नहीं हैं, लेकिन इस मामले में वे चुप नहीं बैठेंगी।
एसिट अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल का केस लड़ने वाली महिला वकील अपर्णा भट्ट की याचिका पर सुनवाई के बाद, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार (9 जनवरी) को छपाक की निर्देशक मेघना गुलज़ार को मूवी में वकील को उचित क्रेडिट देने का आदेश दिया था।
कोर्ट के आदेश में महिला वकील के दावों को वैध पाए जाने का उल्लेख था। कोर्ट का कहना था, “यह आवश्यक है कि वास्तविक फुटेज और चित्र प्रदान करके वकील के योगदान को स्वीकार किया जाए।” साथ ही कोर्ट ने निर्माताओं से फ़िल्म स्क्रीनिंग में लाइन जोड़ने के लिए भी कहा कि “अपर्णा भट्ट महिलाओं के प्रति यौन और शारीरिक उत्पीड़न के मामलों से लड़ती रहती हैं।”
इस आदेश में उल्लेख किया गया था कि अगर अपर्णा भट्ट को क्रेडिट दिए बिना वास्तविक फुटेज और छवियों को फ़िल्म की स्क्रीनिंग दिखाई जाती है, तो यह महिला वकील के साथ एक गंभीर अन्याय होगा और यह भट्ट के योगदान और उनके प्रयासों को जनता तक पहुँचाने से भी रोकेगा।
बॉलीवुड फ़िल्म ‘छपाक’ लगातार विवादों से घिरती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ़ अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने फ़िल्म के प्रमोशन का दाँव खेलते हुए मंगलवार (7 जनवरी) को JNU हिंसा में वामपंथी छात्रों से मिलकर एक और विवाद को हवा दे डाली। दीपिका पादुकोण उन वामपंथी छात्रों के समर्थन में खड़ी थीं, जिन्होंने शीतकालीन सेमेस्टर के लिए पंजीकरण कराने वाले छात्रों के साथ न सिर्फ़ हिंसा की बल्कि सर्वर रूम पर क़ब्ज़ा कर पूरी पंजीकरम व्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था।
पादुकोण ने, छात्रों के साथ अपनी एकजुटता दिखाने के लिए, पंजीकरण की प्रक्रिया के दौरान वामपंथी गुंडों द्वारा पीटे गए असली पीड़ितों की अनदेखी करते हुए आरोपित आइशी घोष और उसके दोस्तों से मुलाक़ात की।
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