तमिल फिल्मों के विवादित अभिनेता कमल हासन (Kamal Haasan) की आगामी फिल्म ‘विक्रम’ को लेकर बवाल हो गया है। हाल ही में रिलीज हुई इसके गाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। आरोप है कि कमल हासन ने फिल्म ‘विक्रम’ के गाने ‘पत्थला पत्थाला’ में केंद्र सरकार की आलोचना की है। इसको लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है।
3 जून को रिलीज होने वाली फिल्म ‘विक्रम’ का यह गाना 12 मई को रिलीज हुआ था। गाने की कुछ पंक्तियों को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सेल्वम ने एतराज हुए इसे हटाने की माँग की है। सेल्वम ने कहा कि गाने की पंक्ति ‘गज्जनाले कासिले कल्लालैयुम कासिले कैचल जोरम नेरैया वरुधु थिल्ललंगाडी थिल्लाले ओन्ड्रियाथिन थापले ओन्नियुम इल्ला इप्पले सावी इपो थिरुदन कैला थिल्लंगाडी थिल्लाले’ उपयुक्त नहीं है।
उपरोक्त वाक्य है हिंदी में अर्थ है, “कोषागार में पैसा नहीं बचा है। ऐसे समय में जब बुखार और बीमारियां बढ़ रही हैं। केंद्र (केंद्र सरकार) की गलतियों के कारण अब कुछ नहीं बचा है। चाबी अब चोर के पास है।”
सेल्वम ने 12 मई को चेन्नई के पुलिस आयुक्त कार्यालय में मामला दर्ज कराया है। ‘पत्थला पत्थाला’ गाने में केंद्र सरकार का मजाक उड़ाया जा रहा है। इससे लोगों के बीच खाई भी पैदा होती है। उन्होंने कहा कि अगर उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं होती है तो वे मद्रास हाईकोर्ट हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएँगे और फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की माँग करेंगे।
‘पत्थला पत्थाला’ गाने के कमल हासन ने लिखा है और इसमें आवाज भी उन्होंने खुद दी है, जबकि गाने को संगीतबद्ध अनिरुद्ध रविचंदर ने किया है। इस गाने को सोशल मीडिया पर 1.7 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं। उनकी फिल्म विरुमांडी (2004) और विश्वरूपम I (2013) के रिलीज से पहले भी विवाद खड़ा हो गया था।
कमल हासन के विवादित बोल
इससे पहले, कमल हासन ने नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) को आजाद भारत का पहला आतंकवादी बताकर विवाद खड़ा कर दिया था। साल 2019 में तमिलनाडु के अरवाकुरिची विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था, “मैं ये इसलिए नहीं कह रहा कि यहाँ काफी संख्या में मुसलमान हैं। मैं ये महात्मा गाँधी की मूर्ति के सामने कह रहा हूँ। आजाद भारत में पहला आतंकवादी एक हिंदू था। उसका नाम था- नाथूराम गोडसे।”
उसी साल हासन ने हिन्दी शब्द को मुगलों की देन बताया था। तमिल में किए गए अपने ट्वीट में उन्होंने कहा था कि हिंदी शब्द मुगलों ने दिया और अंग्रेजों ने इसे बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा था कि पहली सदी के तमिल भारत के अलवार (वैष्णव) और नयनार (शैव) परंपरा ने धर्म के लिए हिंदू शब्द का प्रयोग नहीं किया।