फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री को उनकी फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ की रिलीज से पहले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पौत्र द्वारा कानूनी नोटिस दिया गया है। विवेक अग्निहोत्री के अनुसार, लाल बहादुरी शास्त्री के पौत्र ने फिल्म को लेकर एक आपत्ति जताई है और इसकी रिलीज रोकने को कहा है।
फिल्म द ताशकंद फाइल्स का 7 अप्रैल को दिल्ली में प्रीमियर हुआ था। जिसे शास्त्री जी के पोते विभाकर शास्त्री और उनके परिवार के 25 लोगों ने देखा था। तब उन सभी को फिल्म पसंद भी आई थी, जबकि अब विभाकर शास्त्री ने लीगल नोटिस भेजा है। विभाकर, लाल बहादुर शास्त्री के बड़े बेटे के पुत्र हैं।
विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन के कई अनछुए पहलुओं पर बनी है। लीगल नोटिस पर विवेक ने कहा, “हमें देर रात फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की माँग करने वाला कानूनी नोटिस मिला। 3 दिन पहले ही हमने दिल्ली में फिल्म की स्क्रीनिंग की थी, जिसमें उन्होंने (शास्त्री के पौत्र) फिल्म देखी थी और उन्हें फिल्म पसंद भी आई थी और उन्होंने उसकी तारीफ भी की थी।”
इसके साथ ही विवेक अग्निहोत्री ने कहा, “मुझे नहीं पता कि क्या हुआ, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार से किसी ने उन्हें हमें कानूनी नोटिस भेजने के लिए उकसाया है। यह कोई प्रोपगेंडा फिल्म नहीं है। मुझे नहीं पता कि लोगों को फिल्म से क्या दिक्कत है।”
विवेक ने कहा कि उन्होंने अभी नोटिस का जवाब नहीं दिया है लेकिन वो संवाददाता सम्मेलन करने की योजना बना रहे हैं। नोटिस में यह आरोप लगाया गया है कि फिल्म अनुचित और अनावश्यक विवाद पैदा करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही फिल्म समाज के एक बड़े वर्ग की भावनाओं को आहत भी करेगी।
लीगल नोटिस मिलने के बाद विवेक अग्निहोत्री ने ऑपइंडिया को एक्सक्लूसिव बयान देते हुए कहा:
“जैसा कि आप जानते हैं, हमारी फ़िल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ 12 अप्रैल को रिलीज होने वाली है। कल रात हमें एक क़ानूनी नोटिस भेजा गया है, जिसमें प्रमुख कॉन्ग्रेस सदस्य और पार्टी के पूर्व सचिव द्वारा फ़िल्म की रिलीज रोकने की माँग की है। नोटिस भेजने वाले कॉन्ग्रेस के सुप्रीम गाँधी परिवार के सहयोगी हैं और रिश्ते में दिवंगत प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते हैं। ये आश्चर्य की बात है क्योंकि 7 अप्रैल को पीवीआर में आयोजित फ़िल्म के दिल्ली प्रीमियर में उन्होंने ‘द ताशकंद फाइल्स’ देखी थी और फ़िल्म की प्रशंसा भी की थी।
उन्होंने मेरे से मुलाक़ात कर व्यक्तिगत रूप से फ़िल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ को सराहा था। मुझे पता चला है कि ये सब कॉन्ग्रेस की सुप्रीम फैमिली द्वारा करवाया जा रहा है। उन्हें ऐसा करने के लिए मज़बूर किया जा रहा है। शास्त्रीजी के पोतों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है, शीर्ष परिवार द्वारा। आख़िर कॉन्ग्रेस नेता ऐसा क्यों कर रहे हैं? आख़िर वो क्यों फ़िल्म की रिलीज रोकना चाहते हैं? आख़िर क्यों वो लोग मुझे चुप कराना चाहते हैं?
मुझे लगातार धमकाया जा रहा है। फ़िल्म की रिलीज बाधित करने की धमकी दी जा रही है। यह एक दुर्लभ फ़िल्म है, जिसमें एक युवा पत्रकार ‘Right To Truth’ की चाह में विजेता बनकर उभरती हैं। वो लोग ऐसी फ़िल्म से क्यों डर रहे हैं जो नागरिकों के ‘Right To Truth’ की आवाज़ को उठाती है? मैं सभी पत्रकारों से निवेदन करता हूँ कि आप उन से पूछो कि उनको इस फ़िल्म से क्या दिक्कत है? इस फ़िल्म में ऐसा क्या है, जो वो इतने डरे हुए हैं?”