Thursday, November 14, 2024
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गाड़ी को धक्का लगाते भगवान शंकर और महाकाली… हिंदूफोबिया का एक अवतार अनुराग बासु की ‘लूडो’ भी

लूडो में त्रिदेव का उसी शैली में मजाक बनाया गया जैसा हम पीके में देख चुके हैं। फिल्म में तीन लोग ब्रह्मा, विष्णु, महेश का भौंडा सा रूप धरे सड़क पर नाच-कूद कर रहे हैं, जिन्हें देख कर फिल्म का हीरो आदित्य रॉय कपूर वितृष्णा के भाव से मुँह बना रहा है।

हिंदूफोबिया को लेकर चर्चित ओटीटी प्लेटाफॉर्म नेटफ्लिक्स इस समय वेब सीरिज ‘ए सूटेबल बॉय (A Suitable Boy)’ को लेकर विवादों के केंद्र में है। इस वेब सीरीज पर मंदिर प्रांगण में अश्लील दृश्य फिल्माने और लव जिहाद को बढ़ावा देने का आरोप है। इसी प्लेटफॉर्म पर आई अनुराग बासु की फिल्म ‘लूडो’ में भी इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि कैसे हिंदुओं को नीचा दिखाना है और उनकी भावनाओं को आहत करना है। इससे पहले रवींद्रनाथ टैगोर की कहानी काबुलीवाला पर आधारित वेब सीरीज में भी ऐसा कर चुके हैं।

ढाई घंटे की बेसिरपैर की फिल्म ‘लूडो’ का एक ही मकसद है। सीधे-सीधे हिन्दू धर्म का उपहास। सांकेतिक रूप से पूरी फिल्म में हिन्दू संस्कृति को चोट पहुँचाने की कोशिश की गई है।

आए दिन लगभग सभी बॉलीवुड फिल्मों में आपको ऐसा सीन देखने को मिल जाएँगे, जिसे देखकर आपको अंदाजा हो जाएगा कि ये गलती से नहीं हुआ है, अनजाने में नहीं हुआ है। इसे जबरदस्ती डाला गया है। किसी भी वेब सीरीज या फिल्म को बनाने से पहले के पीछे कई महीनों की मेहनत होती है, हरेक सीन पहले से तैयार होता है, हर एक डायलॉग लिखी होती है। ऐसा नहीं है कि कोई भी सीन ऑन द स्पॉट तैयार किया जाता है। यानी कि फिल्म में ऐसे सीन जान-बूझकर डाले जाते हैं, ताकि लोग उस पर ऊँगली उठाएँ और फिल्म या वेब सीरीज को सुर्खियाँ मिल जाए।

‘पीके’ की शैली में बनाया मजाक

ऐसा ही कुछ किया है अनुराग बसु ने। इस फिल्म में हिन्दू त्रिदेवों का बेशर्मी से मजाक बनाया गया है और उसको बिलकुल उस ढंग से ही फिल्माया गया है, जिस ढंग से आमिर खान की ‘पीके’ फिल्म में दिखाया गया था। स्वांग रचने वाले तीन लोग ब्रह्मा, विष्णु, महेश का भौंडा सा रूप धरे सड़क पर नाच-कूद कर रहे हैं, जिन्हें देख कर फिल्म का हीरो आदित्य रॉय कपूर वितृष्णा के भाव से मुँह बना रहा है। एक सीन में तो भगवान शंकर और महाकाली गाड़ी को धक्का भी दे रहे हैं।

जान-बूझकर इस तरह से कुछ हिन्दी फिल्मों में हिन्दुओं के देवी-देवताओं को फूहड़ स्वांग रचा कर पेश किया जा रहा है और उनको तरह-तरह की घटिया हरकतें करते दिखाया जा रहा है जो भारत में हिन्दू धर्म-संस्कृति के विरुद्ध चली आ रही पुरानी फिल्मी साजिश को आगे बढ़ाने की नीच कोशिश है।

एक सीन में हीरो-हीरोइन पर बेड सीन फिल्माया जाता है। इसमें दिखाया गया है कि लड़की के पास उसकी माँ का फोन आता है। माँ पूछती है कि वह कहाँ पर है तो वह कहती है कि वह मंदिर में है। फिल्म में इस डायलॉग को लेकर काफी आलोचना हो रही है। फिल्म में रामलीला और गाय को लेकर भी मजाक बनाया जाता है।

महाभारत के प्रसंग पर बोला झूठ

महाभारत के कौरवों के विषय में कहने की आवश्यकता नहीं, यह सर्वविदित है कि वे नायक नहीं खलनायक थे। इसके विपरीत हिन्दुओं की इस धार्मिक-सांस्कृतिक विरासत को झूठ बोल कर झूठा दिखाने की कोशिश की गई। ऊबड़-खाबड़ और बेसिर-पैर की इस फिल्म के एक सीन में अनुराग बसु और राहुल बग्गा लूडो खेल रहे होते हैं। यही दोनों फिल्म के सूत्रधार हैं। लूडो खेलने के दौरान अनुराग बसु, राहुल को जीवन की फिलॉसफी समझाते हैं। 

वह पाप और पुण्य को समझाते हुए कहते हैं कि इतने लोग कोरोना में मर गए, वो सब के सब पापी थे क्या? वह पाप और पुण्य का समझाने के लिए महाभारत के अंतिम सार का उदाहरण देते हैं। महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद पांडव जब स्वर्ग पहुँचे तो दुर्योधन पहले से ही स्वर्ग में बैठा था। जबकि दुर्योधन दुनिया की नजरों में पापी था। इस तरह उन्होंने कौरवों को नायक और पांडवों को खलनायक सिद्ध किया। अपने इस अ-धार्मिक झूठ के पाँव लगाने के लिए वह एक झूठा प्रसंग भी स्वयं ही गढ़ कर सुना देते हैं।

अर्नब गोस्वामी का मजाक

फिल्म के एक सीन में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी का मजाक उड़ाया गया है। फिल्म में एक जगह पर अर्नब गोस्वामी और उनकी टीम की जमकर बैंड बजाई गई है, जो कि लोगों को रास नहीं आ रहा। आपको याद होगा कि तकरीबन एक महीना पहले कपिल शर्मा के शो में भी अर्नब का मजाक उड़ाया गया था, लेकिन वह मजाक चैनल को काफी भारी पड़ गया। आज तक कपिल शर्मा शो की टीआरपी लगातार गिरती जा रही है।

अब बड़ा सवाल यह है कि अनुराग बसु जैसे बड़े डायरेक्टर को फिल्म में इस तरह के कंटेंट को डालने की क्या जरूरत पड़ गई? वो इस तरह का कंटेंट क्योंं दिखा रहे हैं? क्या इसके अलावा उनके पास ऐसे कंटेंट नहीं हैं, जिससे इन्हें सुर्खियाँ मिले। हिंदुओं की ही भावनाओं को क्यों ठेस पहुँचाया जाता है?

हालाँकि अच्छी बात यह है कि बॉलीवुड के इस निम्न स्तर की मानसिकता के विरुद्ध धीरे-धीरे ही सही जनता में जागरूकता बढ़ी है। उदाहरण के तौर पर पिछले वर्ष सेक्यूलरिज़्म के नाम पर हिंदुओं को अपमानित करने वाली फिल्में जैसे ‘कलंक’, ‘व्हाइ चीट इंडिया’ जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुँह गिरी, तो वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ का प्रदर्शन पहले सीज़न के मुक़ाबले काफी फीका रहा।

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