कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर बनी फ़िल्म शिकारा रिलीज होने से पहले ही विवादों में घिरती जा रही है। फ़िल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि शिकारा फ़िल्म में कश्मीरी पंडितों के लिए पलायन के लिए एक समुदाय को जिम्मेदार ठहराया गया है, जबकि हक़ीकत में ऐसा नहीं है। इसलिए इस फिल्म को रिलीज होने से रोक दिया जाए। यह फ़िल्म 7 फरवरी को रिलीज हो रही है।
हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वालों में राजनीतिक विश्लेषक मिसगर इफ्तिखार, कश्मीरी पत्रकार माजिद हैदरी और एक स्थानीय वकील इरफान हफीज लोन प्रमुख रूप से शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि फिल्म का ट्रेलर देखने से पता चलता है कि इसमें कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के लिए कश्मीरी कट्टरपंथियों को जिम्मेदार बताया गया है। जबकि सच्चाई यह नहीं है। इस फिल्म के जरिए दो समुदायों में नफरत फैलाने की कोशिश हो रही है। ऐसे समय में यह फ़िल्म पूरे देश के माहौल को ख़राब कर सकती है।
Three people which includes Majid Hyderi, Iftikhar Misger and Irfan Hafiz Lone have moved J&K high court, seeking ban on upcoming bollywood movie ‘Shikara.’ The movie is set to release on Friday. #Kashmir pic.twitter.com/biLFVDtBhA
— Ieshan Wani (@Ieshan_W) February 4, 2020
मिसगर इफ्तिखार का कहना है कि हमने कई बार इस फिल्म के ट्रेलर देखे और और पाया कि उसमें दिखाए गए कंटेंट आपत्तिजनक हैं। फिल्म रिलीज करने का समय भी सही नहीं है। इफ्तिखार ने कहा कि हम नहीं चाहते कि किसी कौम के बीच दरार पैदा हो। अभी तक बहुत कुछ देख चुके हैं और आगे नहीं देखना चाहते। उन्होंने कहा, “कश्मीरी पंडित हमारे भाई हैं, हम चाहते हैं कि वो वापस अपने घरों में आएँ। हम उनके साथ हैं।”
इससे पहले 30 जनवरी को 30 मिनट की विशेष स्क्रीनिंग के दौरान शिकारा फ़िल्म के निर्माता विधु विनोद चोपड़ा ने कहा था कि कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी इस फ़िल्म का मकसद किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। बल्कि यह फ़िल्म दिखाती है कि कश्मीरी पंडितों ने किस तरह त्रासदी का डट कर सामना किया है। उन्होंने यह भी कहा थी कि जनवरी 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई रूह कँपा देने वाली बर्बरता से हम सब वाकिफ हैं।
चोपड़ा ने पत्रकारों से कहा था, “हमारे घर छीन लिए गए थे। यह ऐसी चीज है, जिसको लेकर हमारा रुख अडिग है। इस कहानी को बयाँ करने के लिए हिम्मत चाहिए और वह भी ऐसे अंदाज में बयाँ करने के लिए कि लोग इसे देखने आएँ। दरअसल कश्मीरी पंडितों के पलायन पर बनी फ़िल्म शिकारा 7 फरवरी को रिलीज हो रही है।
वहीं कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचारों के 30 वर्ष पूरे होने पर कश्मीरी पंडितों ने “हम वापस आएँगे” हैश टेग चलाया था, जोकि पूरे दिन ट्विटर पर ट्रेंड करता रहा।
बता दें कि इससे पहले कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वहाँ के हालातों को संभालने के लिए सरकार को कश्मीर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लंबे समय तक इंटरनेट पर पाबंदी लगानी पड़ी थी। वहीं इसके बाद सरकार द्वारा लागू किए गए सीएए को लेकर देश के कई हिस्सों में आज भी विरोध-प्रदर्शन की आड़ में उपद्रव हो रहा है।
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