पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत के बारे में सवाल उठाने वाली फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ रिलीज के लिए तैयार है। ऐसे में लिबरल मीडिया ने कॉन्ग्रेस के झूठ का नक़ाब उतर जाने और लोकसभा चुनावों में संभावित क्षति को देखते हुए इसे भी प्रोपेगेंडा फिल्म कहना शुरू कर दिया है। ये धुरंधर बहुत तेज हैं, ये हर तरह के सच को प्रोपेगेंडा कह उसे ख़ारिज करने में लग जाते हैं। ये भूल जाते हैं कि प्रोपेगंडा सच दिखाना नहीं, बल्कि छिपा कर नाहक गाल बजाना है।
जानकारी के लिए बता दें कि वामपंथी मीडिया गिरोह ने ठाकरे, द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर, मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झाँसी और उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक जैसी फिल्मों को प्रोपेगेंडा फिल्म कह कर खूब दुष्प्रचार किया। लेकिन फिर भी दाल गलती न देख, कहीं से ढूँढ के कंगना का काठ का घोड़ा उठा लाए। ये साबित करने के लिए कि देखो ये नकली राष्ट्रवाद है।
अब वामपंथियों, लिबरल मीडिया का खतरनाक प्रश्न ये है कि ये फिल्में लोकसभा चुनाव वाले साल में क्यों रिलीज हो रही हैं? जैसे निर्माता-निर्देशकों को फिल्म बनाने से पहले इनसे परमिशन लेना चाहिए? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रबल पक्षकार यहाँ स्वघोषित सेंसर बोर्ड बने बैठे हैं। लेकिन इनकी एक नहीं चल रही। इनका हर झूठ अगले ही पल चिन्दी-चिन्दी हो जा रहा है।
खैर, इस बार निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने प्रोपेगेंडा फिल्म के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि केवल एक ‘बेवकूफ या दोषी व्यक्ति’ ही इसे प्रोपेगेंडा कह सकता है, यह फिल्म तो ‘सच जानने का नागरिक अधिकार’ है। यह उस महान नेता की बहुत बड़ी सेवा है, जिसकी रहस्यमय मौत की पिछले 53 वर्षों में कभी जाँच नहीं की गई। फिल्म एक नागरिक के अधिकार के बारे में है। उस सच के बारे में, जिसे जान बूझकर छिपाया गया।
There are no files, or documents with the Govt. They are all gone. That’s why we researched all over the world for last 3 years, crowd-sourced info, spoke to all concerned – direct/indirect and soon we will reveal the real mystery in our film – #TheTashkentFiles pic.twitter.com/3obytSwKjZ
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) September 25, 2018
अग्निहोत्री ने उन पत्रकारों से ही सवाल पूछ लिया कि यह प्रोपेगेंडा फिल्म कैसे हो सकती है? शास्त्री कॉन्ग्रेस के पीएम थे, तो क्या मैं कॉन्ग्रेस के एजेंडे का प्रचार कर रहा हूँ? पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसे समय में देश का नेतृत्व किया जब भारत नेहरू की ही नीतियों के कारण 1962 में चीन के साथ युद्ध में अपमानजनक हार का सामना कर चुका था। वहाँ से उन्होंने देश को निकालकर पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में न सिर्फ हमें जीत दिलाई बल्कि भारत का मान भी बढ़ाया। अग्निहोत्री ने उनके लिए कहा, “शास्त्री भारत के पहले आर्थिक सुधारक और एक सैन्य पीएम थे। उन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बीच भी हार नहीं मानी। जय जवान,जय किसान का नारा दे देश को सम्बल दिया था।”
Unfold the mysterious story of #LalBahadurShastri releasing on 12th April 2019. Jai Jawan Jai Kisan! #MithunChakraborty #NaseeruddinShah @shweta_official @TripathiiPankaj @pathakvinay @mandybedi @ratheeofficial @ZeeStudios_ @vivekagnihotri #TheTashkentFiles #WhoKilledShastri pic.twitter.com/ogFC8vTo0z
— The Tashkent Files (@TashkentMovie) March 20, 2019
वैसे सार्थक और रियलिस्टिक सिनेमा का बढ़िया दौर चल रहा है। 2019 की शुरुआत पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के जरिए हुई। इसके बाद ठाकरे, ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झाँसी’ और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बन रही बॉयोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ 5 अप्रैल को रिलीज होने जा रही। जिसका ट्रेलर रिलीज़ हो चुका है और दर्शकों ने ज़बरदस्त उत्साह दिखाया है।
इसी कड़ी में 12 अप्रैल को एक और बायोपिक फिल्म रिलीज को तैयार है। यह फिल्म भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बाहदुर शास्त्री की ‘डेथ मिस्ट्री’ पर बनाई गई है। फिल्म का नाम ‘द ताशकंद फाइल्स’ है। इसका ट्रेलर 25 मार्च को रिलीज होगा।
‘द ताशकंद फाइल्स’ भारत के चर्चित और दूसरे प्रधानमंत्री लाल बाहदुर शास्त्री की डेथ मिस्ट्री पर लगभग 3 साल के रिसर्च के बाद बनाई गई है। फिल्म का नाम ‘द ताशकंद फाइल्स’ रखा गया है क्योंकि लाल बाहदुर शास्त्री की मौत ताशकंद में ही हुई थी। शास्त्री जी, उस समय ताशकंद के राजनीतिक दौरे पर थे। दरअसल, 10 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद शहर में भारत और पाकिस्तान के बीच शांति समझौता हुआ था। इस समझौते के एक दिन बाद यानि 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। यह कहा जाता है कि उनकी मृत्यु कार्डियक अरेस्ट से हुई लेकिन उनके परिवार ने हत्या का आरोप लगाया था।
On this day, 10th Jan 1966, in Tashkent a tiny man called Lal Bahadur Shashtri who won a war with Pakistan, soon after a humiliating defeat with China, signed the Tashkent treaty. Hours later he died. A death mystery unsolved till date. Why? pic.twitter.com/azBvX45FeU
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) January 10, 2018
फिल्म-मेकर और फिल्म से जुड़ी टीम पिछले 3 साल से इस घटना पर रिसर्च कर रही है और दुनिया भर से तथ्य जमा किए गए हैं। ऐसा इसलिए भी करना पड़ा कि उस समय कॉन्ग्रेस की सरकार ने उनकी मौत से जुड़ा कोई फाइल नहीं बनाया, न पोस्टमॉर्टम हुआ और न ही इस पर कोई जाँच समिति बैठाई गई। तभी तो सरकार के पास अपने एक पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मौत से जुड़ा कोई डॉक्यूमेंट्स ही नहीं है।
पिछले साल फिल्म के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर फिल्म की टीम ने दर्शकों के साथ ही देश-विदेश के तमाम विद्वानों से शास्त्री जी की मौत से जुड़े तथ्य माँगे थे। उन्होंने लिखा था, “शास्त्री की मौत आज भी रहस्य है अगर आपके पास इससे जुड़ा कोई भी तथ्य है तो हमारे साथ शेयर करिए।”
Know anything about the mysterious death of #LalBahadurShastri? Then please mail the information at [email protected]. #TheTashkentFiles #TheTashkentStory https://t.co/ALjH5gLmso
— The Tashkent Files (@TashkentMovie) February 9, 2018
फ़िलहाल, फिल्म का नया पोस्टर रिलीज हो चुका है जो एक अखबार के कटिंग की तरह दिखाई देता है, जिसमें लिखा है, “पाकिस्तान को हराने के बाद, भारत के प्रधानमंत्री रहस्यमय तरीके से मृत पाए गए।” इसमें शास्त्री जी की तस्वीरों वाला एक डाक टिकट भी है।
The man you know… The mystery you don’t! #TheTashkentFiles
— The Tashkent Files (@TashkentMovie) March 19, 2019
Releasing on 12th April 2019.#MithunChakraborty #NaseeruddinShah @shweta_official @TripathiiPankaj @pathakvinay @mandybedi #PallaviJoshi @ratheeofficial @ZeeStudios_ @vivekagnihotri #LalBahadurShastri #WhoKilledShastri pic.twitter.com/TbhhUhDWSe
निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की यह फिल्म तमाम नेशनल अवॉर्ड विनर कलाकारों से सजी है जिसमें नसीरुद्दीन शाह, मिथुन चक्रवर्ती, श्वेता बासु, पंकज त्रिपाठी, विनय पाठक, मंदिरा बेदी, पल्लवी जोशी, अंकुर राठी और प्रकाश बेलावाड़ी प्रमुख हैं।