Sunday, November 24, 2024
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मोपला में हजारों हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार हाजी बना मलयाली हीरो, उसे ‘राष्ट्रवादी’ दिखाने के लिए फिल्म की घोषणा

खिलाफत आंदोलन का सक्रिय समर्थक वरियमकुन्नथु ने अपने दोस्त अली मुसलीयर के साथ मिलकर मोपला दंगों का नेतृत्व किया। जिसमें 10,000 हिंदुओं का केरल से सफाया हुआ। जबकि माना जाता है कि इसके बाद करीब 1 लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने पर मजबूर किया गया।

साल 1921 में केरल में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार वरियमकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji ) की जिंदगी पर आधारित फिल्म बनने वाली है। इस फिल्म को बनाने वाले का नाम आशिक अबु है। हाजी का किरदार निभाने वाले एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन हैं। और, फिल्म का टाइटल वरियमकुन्नन (Vaariyamkunnan) हैं। ये सब सूचना स्वयं अभिनेता पृथ्वीराज सुकुमारन ने अपने फेसबुक पर दी है।

उन्होंने अपनी नई फिल्म का ऐलान करते हुए हाजी को ब्रिटिशों के ख़िलाफ़ लड़ने वाली शख्सियत बताया है। साथ ही हाजी को न केवल एक नेता के तौर पर दर्शाया, बल्कि उसे एक फौजी और राष्ट्रवादी भी कहा।

इसके अलावा मालाबार में हुए हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति को पृथ्वीराज ने मालाबार क्रांति का पहला चेहरा लिखा और जानकारी दी कि इसकी फिल्मिंग हाजी की 100वीं बरसी पर शुरू करेंगे।

यहाँ बता दें, इस जानकारी के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक नया विवाद खड़ा हो गया। लोग पूछने लगे कि आखिर हिंदुओं के नरसंहार के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हीरो कैसे हो सकता है? या ये समझें कि ये फिल्म फिर से समुदाय विशेष के कुकर्मों को धोने का एक प्रयास है, जिसके जरिए सच्चाई को छिपाते हुए नया इतिहास समझाने की कोशिश हो रही है।

क्यों है विवाद? दरअसल, साल 2021 में रिलीज होने वाली यह फिल्म मोपला समुदाय के उस मजहबी नेता की जिंदगी पर आधारित है, जिसे साल 1921 में मालाबार में हजारों हिंदुओं के नरसंहार का जिम्मेदार बताया जाता है।

कौन था वरियम कुन्नथु हाजी कुंजाहम्मद हाजी?

वरियमकुन्नथु या चक्कीपरांबन वरियामकुन्नथु कुंजाहम्मद हाजी (Variyam Kunnathu Kunjahammed Haji), वही शख्स है जो खुद को ‘अरनद का सुल्तान’ कहता था। उसी क्षेत्र का सुल्तान जहाँ सैंकड़ों मोपला हिंदुओं का नरसंहार हुआ। जहाँ इस्लामिक ताकतों ने मिलकर लूटपाट की और अंग्रेजों के ख़िलाफ़ विद्रोह की आड़ में हिंदुओं का रक्तपात किया। मगर, फिर भी, उन आतताइयों के उस चेहरे को छिपाने के लिए इतिहास के पन्नों में उन्हें मोपला के विद्रोहियों का नाम दिया गया।

बता दें, मोपला में हिंदुओं का नरसंहार वही घटना है, जब हिंदुओं पर मजहबी भीड़ ने न केवल हमला बोला। बल्कि आगे चलकर पॉलिटिकल नैरेटिव गढ़ने के लिए उस बर्बरता को इतिहास के पन्नों से ही गुम कर दिया या फिर काट-छाँटकर इसपर जानकारी दी गई।

केरल के मालाबार में हिंदुओं पर अत्याचार के उन 4 महीनों ने सैंकड़ों हिंदुओं की जिंदगी तबाह की। बताया जाता है कि मालाबार में ये सब स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर शुरू हुआ। लेकिन जब खत्म होने को आया तो उसका उद्देश्य साफ पता चला कि वरियमकुन्नथु जैसे लोग केवल उत्तरी केरल से हिंदुओं की जनसंख्या कम करना चाहते थे।

खिलाफत आंदोलन का सक्रिय समर्थक वरियमकुन्नथु ने अपने दोस्त अली मुसलीयर के साथ मिलकर मोपला दंगों का नेतृत्व किया। जिसमें 10,000 हिंदुओं का केरल से सफाया हुआ। जबकि माना जाता है कि इसके बाद करीब 1 लाख हिंदुओं को केरल छोड़ने पर मजबूर किया गया।

इस दौरान हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया। जबरन धर्मांतरण हुए और कई प्रकार के ऐसे अत्याचार हिंदुओं पर किए गए, जिन्हें शब्दों में बयान कर पाना लगभग नामुमकिन है।

बाबा साहेब अंबेडकर अपनी किताब में इस नरसंहार का जिक्र करते हैं। वे पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया नाम की अपनी किताब में लिखते हैं कि हिन्दुओं के खिलाफ मालाबार में मोपलाओं द्वारा किए गए खून-खराबे के अत्याचार अवर्णनीय थे। दक्षिणी भारत में हर जगह हिंदुओं के ख़िलाफ़ लहर थी। जिसे खिलाफत नेताओं ने भड़काया था।

इसके अलावा एनी बेसेंट ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब में करते हुए बताया कि कैसे धर्म न त्यागने पर हिंदुओं पर अत्याचार हुए। उन्हें मारा-पीटा गया । उनके घरों में लूटपाट हुई। एनी बेंसेंट ने अपनी किताब में बताया कि करीब लाख से ज्यादा हिंदू लोगों को उस दौरान अपने घरों को तन पर बाकी एक जोड़ी कपड़े के साथ छोड़ना पड़ा था। उन्होंने लिखा, “मालाबार ने हमें सिखाया है कि इस्लामिक शासन का क्या मतलब है, और हम भारत में खिलाफत राज का एक और नमूना नहीं देखना चाहते हैं।”

आज मलयालम फिल्म को प्रोड्यूस करने वाले अधिकतर लोग मालाबार के समुदाय विशेष के लोग हैं। जिन्हें लगता है शायद इस तरह के प्रयासों से वह हिंदुओं पर हुई बर्बरता को लोगों की नजरों में धुँधला कर देंगे और अपनी कोशिशों से एक नया इतिहास नई पीढ़ी के सामने पेश करेंगे।

लेकिन, आपको बता दें, ये पहली बार नहीं है जब हाजी के आतताई चेहरे को नायक में तब्दील करने की कोशिश हुई। इससे पहले भी जामिया प्रदर्शन के समय सुर्खियों में आई बरखा दत्त की शीरो लदीदा ने हाजी का महिमामंडन किया था।

लदीदा ने स्पष्ट तौर पर इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा उजागर करते हुए लिखा था, “हम हर जगह, हर पल मालकम एक्स, अली मुस्लीयर और वरियंकुन्नथ के बेटे-बेटियों और पोते-पोतियों के रूप में उपस्थित रहेंगे। वो सभी नारे हमारी आत्मा हैं और हमने अपने पूर्वजों से ही सीखा है कि राजनीति कैसे की जाती है? तुम लोगों के लिए भले ही वो नारे बस नारे ही हो लेकिन हमारे लिए वो हमारी पहचान हैं, जो हमें औरों से अलग करती है। हम पर ऐसा कोई दबाव नहीं है कि हमें तुम्हारे सेक्युलर नारों का ही इस्तेमाल करना है। मैं स्पष्ट कर दूँ कि हम तुमसे बिलकुल अलग हैं, हमारे तौर-तरीके अलग हैं और हमारा आधार अलग है। इसीलिए, हमें सिखाने की कोशिश मत करो। हमारे बाप मत बनो।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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