Friday, April 26, 2024
Homeदेश-समाजकत्लेआम और 1 लाख हिन्दुओं को घर से भगाने वाले का समर्थन: जामिया की...

कत्लेआम और 1 लाख हिन्दुओं को घर से भगाने वाले का समर्थन: जामिया की Shero और बरखा दत्त की हकीकत

बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भी अपनी पुस्तक में इस घटना की चर्चा की है। उस वक़्त खिलाफत आंदोलन के नेताओं ने मोपला दंगे की प्रशंसा करते हुए इसे मजहब का एक अंग करार दिया था।

आयशा रेना और लदीदा फरज़ाना को जामिया मिलिया इस्लामिया के आंदोलन का चेहरा बना कर पेश करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें न सिर्फ़ मीडिया और कुछ बड़े पत्रकार बल्कि, राजनेता और अकादमिक लोग भी शामिल हैं। हमने अपने एक लेख में इसका जिक्र किया था कि कैसे एक पूर्व-नियोजित साज़िश के तहत हिन्दुविरोधी और इस्लामी कट्टरपंथी विचार रखने वाली दोनों महिलाओं को अरब आंदोलन के नायिकाओं की तरह पेश किया जा रहा है। अब लदीदा के बारे में नया खुलासा हुआ है। लदीदा का जो नया फेसबुक पोस्ट सामने आया है, उसमें उन्होंने हिन्दुओं के नरसंहार का समर्थन किया है।

लदीदा ने जो फेसबुक पोस्ट डाला है, उसमें कई ऐसी बातें लिखी हुई हैं कि भारत के टिपिकल सेक्युलर लोग भी उस पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। 14 दिसंबर को शेयर किए गए फेसबुक पोस्ट में लदीदा ने लिखा है:

“कल के आंदोलन के बाद कुछ लोग मेरे से कह रहे हैं कि हमें ‘इंशाअल्लाह’ और ‘अल्लाहु अकबर’ जैसे नारे नहीं लगाने चाहिए। मैं उन लोगों को बता दूँ कि हमने अपने आप को अपने अल्लाह के समक्ष समर्पित कर दिया है। हमने तुम लोगों के सेक्युलर नारों को कब का छोड़ दिया है। सुन लो, हमने जो नारे लगाए वो तुम्हें बार-बार सुनने को मिलेंगे। याद रखो, ये नारे हमारी सोच को दिखाते हैं, हमारी आत्मा हैं। ये नारे हमारे अस्तित्व को उभारते हैं। अरे, तुम अपनी सेक्युलर पहचान बनाने के लिए बेताब होंगे, हम नहीं हैं।”

लदीदा ने अपने फेसबुक पोस्ट में इस्लामी कट्टरपंथी उन्माद की नई मिसाल पेश की

दरअसल, इस फेसबुक पोस्ट में लदीदा इस्लाम से जुड़े मजहबी नारों का बचाव कर रही हैं और बाकी नारों को सेक्युलर बता कर उन्हें छोड़ने की बात कर रही हैं। इसी क्रम में वो आगे लिखती हैं:

“हम हर जगह, हर पल मालकम एक्स, अली मुस्लीयर और वरियंकुन्नथ के बेटे-बेटियों और पोते-पोतियों के रूप में उपस्थित रहेंगे। वो सभी नारे हमारी आत्मा हैं और हमने अपने पूर्वजों से ही सीखा है कि राजनीति कैसे की जाती है? तुम लोगों के लिए भले ही वो नारे बस नारे ही हो लेकिन हमारे लिए वो हमारी पहचान हैं, जो हमें औरों से अलग करती है। हम पर ऐसा कोई दबाव नहीं है कि हमें तुम्हारे सेक्युलर नारों का ही इस्तेमाल करना है। मैं स्पष्ट कर दूँ कि हम तुमसे बिलकुल अलग हैं, हमारे तौर-तरीके अलग हैं और हमारा आधार अलग है। इसीलिए, हमें सिखाने की कोशिश मत करो। हमारे बाप मत बनो।”

लदीदा के इस फेसबुक पोस्ट को पढ़ कर आप समझ ही गए होंगे कि ये महिला किस कदर इस्लामी कट्टरपंथ की मदांधता में डूबी हुई है। अब हम आपको इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात बताते हैं। लदीदा इस पोस्ट में ख़ुद को और ‘अपने’ लोगों को जिस अली मुस्लीयर की बेटी बताती हैं, वो केरल के मोपला दंगों का साज़िश करता है, जिसके हाथ हिन्दुओं के ख़ून से रंगे हुए हैं। अली मुस्लीयर, खिलाफत आंदोलन का वो भड़काऊ चेहरा है, जिसने देश के बँटवारे के लिए हिंसा की।

उन दंगों के कारण केरल से 1 लाख हिन्दुओं को भाग कर अपनी जान बचानी पड़ी थी। कॉन्ग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रहीं एनी बेसेंट ने इस बारे में अपनी पुस्तक में एक घटना का जिक्र करते हुए लिखा है कि हिन्दुओं का बुरी तरह से कत्लेआम किया गया। जिन्होंने भी इस्लाम अपनाने से इनकार किया, उन्हें या तो मार डाला गया, या फिर उन्हें भाग कर जान बचानी पड़ी। इस घटना ने बेसेंट को इतना झकझोड़ दिया था कि उन्होंने इस्लामिक शासन का विरोध किया और कहा कि खिलाफत क्या होता है, ये इस घटना से पता चल जाता है।

बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भी अपनी पुस्तक में इस घटना की चर्चा की है। उस वक़्त खिलाफत आंदोलन के नेताओं ने मोपला दंगे की प्रशंसा करते हुए इसे मजहब का एक अंग करार दिया था। लदीदा ने मुस्लीयर के दोस्त चक्कीपारामबम हाजी का भी नाम लिया है, जो ख़ुद को सुल्तान मानता था और जिसने मोपला के दंगों का नेतृत्व किया था। हिन्दुओं के नरसंहार में उसने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था।

‘मस्जिदों से ऐलान हुआ, पहले से पता था कि क्या करना है’ – दिल्ली में उपद्रव और दंगों के पीछे मुल्ला-मौलवी?

याकूब समर्थक आयशा और जिहाद का ऐलान करने वाली लदीदा: पहले से तैयार है जामिया का स्क्रिप्ट?

जामिया में मजहबी नारे ‘नारा-ए-तकबीर’, ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ क्यों लग रहे? विरोध तो सरकार का है न?

जामिया में मिले 750 फ़र्ज़ी आईडी कार्ड: महीनों से रची जा रही थी साज़िश, अचानक नहीं हुई हिंसा

‘लीगल एक्सपर्ट’ जावेद अख्तर की बोलती बंद, जामिया पर IPS अधिकारी ने पूछा- हमें भी बताएँ एक्ट

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बंगाल के मेदिनीपुर में भाजपा कार्यकर्ता के बेटे की लाश लटकी हुई, TMC कार्यकर्ताओं-BJP प्रदेश अध्यक्ष के बीच तनातनी: मर चुकी है राज्य सरकार...

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बीच बंगाल भाजपा ने आरोप लगाया है कि TMC के गुंडे चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं।

नहीं होगा VVPAT पर्चियों का 100% मिलान, EVM से ही होगा चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सारी याचिकाएँ, बैलट पेपर की माँग भी...

सुप्रीम कोर्ट ने वीवीपैट वेरिफिकेशन की माँग से जुड़ी सारी याचिकाएँ 26 अप्रैल को खारिज कर दीं। कोर्ट ने बैलट पेपर को लेकर की गई माँग वाली याचिका भी रद्द कीं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe