Monday, December 23, 2024
Homeविविध विषयभारत की बात40 वर्षों बाद जल-समाधि से निकाले गए भगवान: देश-विदेश से पहुँचे लाखों श्रद्धालु, सिर्फ़...

40 वर्षों बाद जल-समाधि से निकाले गए भगवान: देश-विदेश से पहुँचे लाखों श्रद्धालु, सिर्फ़ 48 दिन होंगे दर्शन

कहते हैं, 16वीं शताब्दी में मुग़ल आक्रमण के दौरान 9 फ़ीट की इस प्रतिमा को तालाब में छिपा दिया गया था। एक बहुत ही प्रचलित कथा है कि माँ सरस्वती यहाँ नाराज़ होकर आई थीं, तब यहाँ अंजीर के जंगल हुआ करते थे। पीछे से.....

भारत विविधताओं का देश है और यहाँ प्राचीन काल से ऐसी-ऐसी परम्पराएँ चली आ रही हैं, जो हर क्षेत्र को अलग-अलग पहचान देती हैं। इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहाँ के मुख्य देवता 40 वर्षों में सिर्फ़ 1 बार दर्शन देते हैं। पिछली बार उन्होंने 1979 में दर्शन दिया था, तब श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी। अब जब 2019 में वह निकले हैं, उनके दर्शन के लिए लाखों लोग पहुँच रहे हैं। हम जिस मंदिर की बात कर हैं, उसका नाम है- भगवान वरदराजा स्वामी मंदिर। यह मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है।

और जिस देवता की बात हम कर रहे हैं, उनका नाम है- भगवान अति वरदार। अति वरदार प्रत्येक 40 वर्षों में 1 बार दर्शन देकर वापस जल समाधि में चले जाते हैं। यहाँ तक कि विदेशों से भी उनके दर्शन के लिए लोग आते हैं। हम उनकी चर्चा अभी इसीलिए कर रहे हैं, क्योंकि अभी वह समय आया है जब भगवान अति वरदराज को जल समाधि से निकाला गया है और इस ख़ुशी में वहाँ ‘कांची अति वरदार महोत्सव’ चल रहा है। 19 अगस्त तक लोग उनके दर्शन कर सकेंगे, जिसके बाद वह वापस मंदिर के पवित्र तालाब में रख दिए जाएँगे।

ताजा महोत्सव के बाद श्रद्धालुओं को दर्शन देने भगवान अति वरदार 40 वर्षों बाद 2059 में ही प्रकट होंगे। इस बार भी जब उनकी मूर्ति को पवित्र तालाब से निकाला गया, तब हज़ारों की संख्या में भक्तगण इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए वहाँ मौजूद थे। तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ख़ुद विशेष पूजा-अर्चना का गवाह बनने के लिए वहाँ उपस्थित थे। प्रतिमा को फूल-माला पहना कर मंदिर प्रांगण में घुमाया गया और फिर वसंत मंडप में स्थापित किया गया।

48 दिनों तक चलने वाली दर्शन की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने पूरी व्यवस्था की है। ढाई हज़ार से भी अधिक पुलिसकर्मियों की देखरेख में महोत्सव चल रहा है। दर्शन के लिए मुफ्त से लेकर अलग-अलग मूल्य तक के टोकन जारी किए गए हैं। हालाँकि, भगवान अति वरदार की 40 वर्षीय जल समाधि के पीछे स्थानीय तौर पर कई कहानियाँ प्रचलित हैं लेकिन इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। भगवान की मूर्ति अंजीर के पेड़ की लकड़ी से बनी हुई है।

कहते हैं, 16वीं शताब्दी में मुग़ल आक्रमण के दौरान 9 फ़ीट की इस प्रतिमा को तालाब में छिपा दिया गया था। एक बहुत ही प्रचलित कथा है कि माँ सरस्वती यहाँ नाराज़ होकर आई थीं, तब यहाँ अंजीर के जंगल हुआ करते थे। पीछे से भगवान ब्रह्मा उन्हें मनाने आए और अश्वमेध यज्ञ किया। सरस्वती ने नदी के रूप में इस यज्ञ को भंग करने का प्रयास किया, तब यज्ञ वेदी की अग्नि से प्रकट हुए भगवान विष्णु (अति वरदराजा) ने उनका क्रोध शांत किया।

मुग़ल आक्रमण का दौर बीतने के बाद इस प्रतिमा को पूजा के लिए वापस निकाला गया था, लेकिन मान्यता है कि प्रतिमा 48 दिनों बाद फिर अपने-आप वापस तालाब में चली गई। मान्यता है कि देवगुरु बृहस्पति तालाब के भीतर विष्णु की आराधना करते हैं। तब से अब तक हर 40 वर्ष बाद ही इस प्रतिमा को दर्शन हेतु निकाला जाता है। मंदिर के पास स्थित वेगवती नदी को ही सरस्वती का रूप माना गया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -