Monday, December 23, 2024
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‘सम्राट अशोक ने रोबोटों से लड़ा था युद्ध, वैज्ञानिक सोच के मामले में हिन्दू ग्रंथ था विश्व-गुरु’

सम्राट अशोक ने रोबोट सैनिकों से युद्ध किया। इन्हें हराने के बाद इन पर काबू करना सीखा। इसके बाद वे अशोक के आज्ञाकारी हो गए। ये रोबोट बुद्ध के अवशेषों के रक्षक थे।

एड्रियेन मयोर प्राचीन विज्ञान की इतिहासकार हैं, दंतकथाओं में रुचि रखती हैं, और अमेरिका के प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड विश्विद्यालय में शोध छात्रा हैं। सन्डे टाइम्स अख़बार से बात करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे हिन्दू मिथकों में सम्राट अशोक के रोबोटों से युद्ध करने का वर्णन है। अपनी ताज़ा कृति Gods and Robots: Myths, Machines, and Ancient Dreams of Technology में मयोर प्राचीन सभ्यताओं द्वारा भविष्य की तकनीक को कल्पित करने का विश्लेषण करती हैं।

प्रश्न: हिन्दूवादियों का ऐसा मानना है कि प्राचीन भारतीयों ने अंतरिक्षयान से लेकर मिसाइल व इन्टरनेट तक सब कुछ बना रखा था। अपने शोध में आप इसे कैसे देखती हैं?

मयोर: मेरे शोध का मूल विषय प्राचीन मानव में वैज्ञानिक प्रेरणा के उद्गम और प्रथम आभास का है। इस विषय में शोध करते-करते मैं मिथकों के बीच जा पहुंची, जहाँ मैंने पाया कि प्राचीन व्यक्तियों ने कृत्रिम जीवन, यंत्रमानव (रोबोट), मशीनें आदि बनाने के बारे में तब से सोचना शुरू कर दिया था जब वे तकनीकी रूप से इसे निष्पादित करने से कोसों दूर थे। रोबोटों और उन्नत मशीनों की मौखिक कहानियों को लिखित रूप में पहली बार 2700 साल पहले होमर (यूनान) के समय लाया गया था। ऐसी ही कहानियाँ रामायण, महाभारत, आदि में भी मिलतीं हैं- विश्वकर्मा और माया भी ऐसी ही चीजें बनाया करते थे। यूनानियों में यही चीज़ देवता हिफेस्टस और शिल्पकार डेडॉलस करते हैं।

इन कहानियों को मैं विश्व का प्रथम साइंस फिक्शन मानती हूँ। उन्नत तकनीक के प्राचीन सपने किसी एक सभ्यता की बपौती नहीं हैं। आप यूनानी, मिस्री, हिन्दू, इस्लामिक, इट्रस्केन, चीनी या किसी भी अन्य सांस्कृतिक मिथक को देखें जो कृत्रिम जीवन के बारे में है। उनमें यह कल्पना होती है कि यदि किसी व्यक्ति को दैवीय रचनात्मकता और शक्तियाँ मिल जाएँ तो क्या-क्या संभव है। पर उन मिथकों को समकालीन आधुनिक विज्ञान के विकास से सीधे नहीं जोड़ा जा सकता।

प्रश्न: आप कहती हैं कि भारतीय और यूनानी संस्कृतियाँ एक-दूसरे से तकनीकों की कल्पनाएँ उधार लेती हैं। कैसे?

मयोर: भारतीय और यूनानी मतों का एक-दूसरे पर प्रभाव डालना लगभग ईसा से पाँच शताब्दी पूर्व प्रारंभ हुआ, और सिकंदर तथा पुरु के बीच की संधि के बाद यह और भी बढ़ गया। जैन ग्रंथों में लिखा है कि अजातशत्रु के अभियंताओं ने ऐसे रथों का अविष्कार किया, जिनमें घूमते चक्र थे। ऐसा माना जा सकता है कि उत्तरकाल के फारसी रथों में लगी हुई दरांतियाँ इसी से प्रेरित थीं। इसके अलावा मखदूनिया (Macedon) के राजा फिलिप-II के बहुत पहले से अजातशत्रु के पास गुलेल जैसे अस्त्र हुआ करते थे, जिनसे भारी चट्टानों को दुश्मन की सेनाओं पर फेंका जा सकता था।

भारतीय हमेशा से तेल के दिए जलाते आए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि यूनानियों और रोमनों से बहुत पहले उन्हें मिट्टी के तेल की भी जानकारी रही होगी। यूनान के टियाना के घुमक्कड़ संत अपोलोडोरस ने स्वचालित नौकर और खुद से चलने वाले रथ भारतीय राजाओं के पास देखे। प्राचीन भारत प्राचीन यूरोप से हायड्रॉलिक्स और डिस्टिलेशन (hydraulics and distillation) की तकनीक में सदियों आगे था। तकनीक का आदान-प्रदान किस हद तक हुआ होगा, यह ठीक-ठीक पता नहीं लगाया जा सकता।

प्रश्न: और किन संस्कृतियों में उनके खुद के दिव्यास्त्र, रोबोट, और उड़ते रथ थे?

मयोर: उड़ते रथों और कृत्रिम हंसों, कृत्रिम नौकरों, विशाल रोबोटों, मशीनों जैसे मिथक महाभारत, रामायण, कथासरित्सागर, हरिवंश, और कई अन्य किताबों में मिलते हैं। मिस्री अभिलेखों और होमर की ओडिसी में ऐसे जहाजों का ज़िक्र है, जो अपना रास्ता खुद तलाश लेते थे। होमर के इलियड और चीनी ग्रंथों में मानव-मशीन मिश्रणों (android) और स्वचालित रोबोटों (automatons) का जिक्र है। और भी मिसालें दी जा सकतीं हैं।

प्रश्न: बुद्ध के अवशेषों के रक्षक एंड्राइड लड़ाकों की क्या कहानी है?

मयोर: इसकी सबसे विस्तृत कहानी लोकपनत्ती नामक बर्मी ग्रन्थ में है। कथा है कि गौतम बुद्ध की मृत्यु के पश्चात राजा अजातशत्रु ने उनके शव को एक स्तूप के नीचे गुप्त कमरे में छिपा दिया। उसकी रक्षा भूत वाहन यंत्र (spirit movement machines) कर रहे थे। यह रोबोट लड़ाके थे, जिनके पास तलवारें भी थीं- यह राजा अजातशत्रु के पास मौजूद तलवारों से लैस युद्ध वाहनों और मशीनों की याद दिलाते थे। यूनानी मिथकों में भी इंसानी और पशु रूप में automaton लड़ाकों का जिक्र है, जो महलों और खजानों के रक्षक थे, पर इस कहानी के ऐतिहासिक और तकनीकी विवरण इसे उनसे अलग करते हैं। कहानी के अनुसार इन रोबोटों को बनाने से संबंधित जो स्केच था, उसे गुप्त रूप से रोमा-विषया से पाटलिपुत्र मंगवाया गया था। रोमा-विषया यूनान से प्रभावित एक पाश्चात्य जगत था, और मंगवाने वाला यंत्रकर्ता एक रोबोट बनाने वाला कारीगर था, जो पाटलिपुत्र में जन्मा था।

यह automaton सैनिक बुद्ध के अवशेषों के तब तक रक्षक रहे, जब तक कि सम्राट अशोक को इस गुप्त कमरे के बारे में पता नहीं चल गया। अशोक ने इन सैनिकों से युद्ध किया और इन्हें हराने के बाद इन पर काबू करना सीखा, जिसके बाद वे अशोक के आज्ञाकारी हो गए। ऐतिहासिक रूप से हम यह जानते हैं कि अशोक ने बुद्ध के अवशेषों को तलाशा और पूरे देश में उन्हें बाँटा था।

प्रश्न: क्या किसी ने इन प्राचीन ग्रंथों में कल्पित automatons को बनाया था?

मयोर: ईसा से तीसरी शताब्दी पहले तक यूनान, अलेक्सांद्रिया (मिस्र), अरब, भारत और चीन के शिल्पकारों और अभियंताओं ने स्वचालित वस्तुएँ बनानी प्रारंभ कर दीं थीं। साथ ही वे उड़ते पक्षियों के प्रतिरूप, सजीवित मशीनें, और मिथकों में वर्णित automatons से मिलते-जुलते automatons भी बना रहे थे। कुछ सूक्ष्म थे तो कुछ काफी बड़े थे, कुछ काफी आसानी से बनने वाले थे तो कुछ काफी जटिल थे। उनके शक्ति-स्रोतों में स्प्रिंग, लीवर, पुली से लेकर वायु, ऊष्मा, पानी तक थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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