दक्षिण-पूर्वी भारत के तमिलनाडु में कावेरी और कोल्लिडम नदी के संगम यानी श्रीरंगम आइलैंड पर 2000 साल पुराने रंगनाथ स्वामी मंदिर का परिसर स्थित है। जिसका प्रमुख भाग आज भी उपयोग में हैं। मगर इसके कई पुराने भाग मिट्टी के अंदर दफन हो चुके हैं। जिसका कारण सिर्फ़ वहाँ सदियों से आने वाली बाढ़ नहीं है। बल्कि एक मुस्लिम शासक का भाई भी है, जिसने इस परिसर को एक समय तबाह किया था।
14 वीं सदी में मुस्लिम शासक अलाउदद्दिन खिलजी के भाई अलमस बेग उर्फ उलूग खान ने इस मंदिर के परिसर पर अपना कहर बरपाया था। मगर, अफसोस इस तथ्य के बारे में किसी को भी बहुत कम पता चल पाया। इंटरनेट पर भी देखें तो इसके बारे में कम जानकारी मिलती है। लेकिन, अभी पिछले साल भूवैज्ञानिकों द्वारा यहाँ बाढ़ तलछट परतों के ज्ञान (Knowledge of flood sediment layers ) के साथ निर्देशित साइट पर हुई खुदाई के दौरान उलूग खान का नाम चर्चा में आया। इसके अलावा इस खुदाई से ये भी पता चला कि आखिर उस समय मंदिर के परिसर से क्या-क्या गायब हुआ था।
Excavations at Tamil Nadu’s Srirangam Island uncover parts of 2,000-year-old temple complex destroyed by islamic invader Ulugh Khan.
— Abhijit Chavda (@AbhijitChavda) February 27, 2020
Artifacts such as pendant lamps & statues of Krishna, etc. have been discovered.https://t.co/RB2Pf21pfi pic.twitter.com/CumCSDxdb7
पेरियार विश्वविद्यालय के भूविज्ञानी रामकुमार सहित अन्य शोधकर्ताओं ने उलूग खान द्वारा नष्ट किए गए मंदिर के कुछ हिस्सों को उजागर किया और साथ ही कुछ लटकन लैंपों और देवता गोपालकृष्णन और उनकी पत्नी की मूर्तियों का पता लगाया।
भूभौतिकीय सर्वेक्षण तकनीकों का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिकों ने यह भी पहचान की कि वे धार्मिक विद्वान और शिक्षक श्री मनावाला मामुनिगल की समाधि को क्या मानते हैं। जिन्होंने 14 शताब्दी में उलूग खान द्वारा खंडित मंदिर परिसर को पंद्रहवीं शताब्दी में फिर से बहाल किया।
रंगनाथ मंदिर की खासियत
गौरतलब है कि रंगनाथ स्वामी मंदिर सृष्टि के पालनहार नारायण भगवान के विष्णु के स्वरूप रंगनाथ भगवान का है। भगवान रंगनाथ को विष्णु का ही अवतार माना जाता है। यह मंदिर वैसे तो तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के श्रीरंगम में कावेरी नदी के तट पर स्थित है। लेकिन यहाँ की खासियत है कि यहाँ पर 1000 साल पुरानी ममी भी संरक्षित है। यहाँ के भव्यता और विष्णु भगवान के रंगनाथ रूप के दर्शन के लिए भारत से ही नहीं, बल्कि विश्वभर से लाखों की संख्या से सैलानी आते हैं और यहाँ की खूबसूरती देख मंत्रमुग्ध रह जाते हैं।