पेशावर हाई कोर्ट ने गायब चल रहे पूर्व राष्ट्रपति, सैन्य जनरल और मुल्क को कारगिल की शर्मनाक हार में झोंकने वाले पूर्व तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ़ को मौत की सज़ा सुनाई है। उन पर 3 नवंबर, 2007 को संविधान को निलंबित कर देश में इमरजेंसी थोपने के मामले में देशद्रोह का मुकदमा चल रहा था।
This is the first time in Pakistan’s history that a military chief has been declared guilty of high treason and handed death sentence. The verdict was split 2-1.https://t.co/nK9xGwTVap
— Dawn.com (@dawn_com) December 17, 2019
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह पाकिस्तान में पहली बार हो रहा है कि जम्हूरियत और दस्तूर (लोकतंत्र और संविधान) की ‘हत्या’ के आरोप में किसी सैन्य शासक को फाँसी सुनाई जा रही है। गौरतलब है कि पाकिस्तान ने अपने 70 साल के इतिहास में अधिकांश समय सैन्य तख्तापलट और तानाशाही के बीच ही बिताया है।
2013 में दायर इस मुकदमे में उनका केस तीन जजों की पीठ सुन रही थी। बताया जा रहा है कि इस समय वे दुबई में हैं, जहाँ वह 2016 में इलाज के नाम पर गए थे। इसके पहले 2001 से 2008 तक मुशर्रफ़ पाकिस्तान के राष्ट्रपति रह चुके हैं। इसी महीने उन्होंने अस्पताल के बिस्तर से एक वीडियो संदेश जारी कर अपने खिलाफ मुकदमे को बेबुनियाद बताया था।
Pakistan’s former leader Pervez Musharraf sentenced to death in absentia for treason by Pakistan court https://t.co/vJGj48pb0q
— BBC Breaking News (@BBCBreaking) December 17, 2019
रॉयटर्स ने पाकिस्तानी कानून अधिकारी सलमान नदीम के हवाले से दावा किया है कि परवेज़ मुशर्रफ़ को पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 के उल्लंघन का दोषी पाया गया है। उन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ का तख्ता-पलट कर सत्ता हासिल की थी।
Pakistan court sentences former military ruler Musharraf to death for treason https://t.co/WmWsPt4FlK pic.twitter.com/u2cEEm68YX
— Reuters (@Reuters) December 17, 2019
मुशर्रफ को जिस कानून के तहत मृत्युदण्ड सुनाया गया है, वह 1973 में लागू हुआ था। इसके तहत राष्ट्रद्रोह के मामले में मौत की सज़ा या उम्रकैद ही मिलती है।
Sad day in the history of Pakistan, where a judgment has been given without hearing the defendant. Also, General Musharraf has been singled out in this case shows the Mala fide of Nawaz Sharif and Iftikhar Chaudhary. Justice must be seen to be done! #Musharraf
— Air Marshal Shahid Latif – (Retd) (@AMShahidLatif) December 17, 2019
क़ानूनी उपायों की बात करें तो मुशर्रफ़ के पास सुप्रीम कोर्ट में इस निर्णय को चुनौती देने का रास्ता खुला है। अगर वहाँ से उन्हें निराशा हाथ लगती है तो वे राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के सामने दया याचिका दायर कर सकते हैं।
Death Sentence For #Musharraf ?
— Mir Mohammad Alikhan (@MirMAKOfficial) December 17, 2019
Isn’t corruption against the Constitution ? Isn’t abuse of power against the constitution ? Isn’t giving contracts to family members against the constitution ? Isn’t money laundering against the constitution ?
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