अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भले पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने के लिए राजी हो गया हो पर इससे उसकी आर्थिक हालत सुधरने की उम्मीद नहीं है। पाकिस्तान में आर्थिक गतिविधियाँ इस हद तक सुस्त पड़ती जा रही हैं कि खुद आईएमएफ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि उसका भारी-भरकम पैकेज भी पाकिस्तान को नहीं बचा जाएगा। आईएमएफ ने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए तो वहाँ की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो जाएगी। ऐसे में आम लोगों पर महँगाई का बोझ कई गुना बढ़ जाएगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इमरान खान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद से पिछले 10 महीने में पाकिस्तानी रुपए में 30% की गिरावट आई है। पिछले साल 18 अगस्त को पाकिस्तानी रुपया 123.35 पर था, जो 26 मई, 2019 को 160 के पार चला गया। पाकिस्तान के इतिहास में इतनी छोटी अवधि में इतनी बड़ी गिरावट पहली बार हुई है।
नकदी के संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को आईएमएफ 6 अरब डॉलर यानी लगभग 41 हजार करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज देने पर राजी हो गया है। पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और लोगों की जीवन दशा को सुधारने के मकसद से यह कर्ज मंजूर किया गया है।
पाकिस्तान का वजूद विदेश से मिलने वाली सहायता पर ही टिका है। विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान का संकट सिर्फ वित्तीय नहीं, बल्कि सिस्टेमिक और स्ट्रक्चरल भी है। इसके कारण उसके अस्थिर होने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में राहत पैकेज भले ही उसे फौरी संकट से उबार ले, लेकिन इससे आने वाले संकट की जमीन तैयार होगी, जिसे संभालना और मुश्किल होगा।