टिक-टॉक पर वीडियो बनाकर डालना आजकल बेहद आम हो चुका है। इसका क्रेज आपको छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में देखने को मिल जाएगा। किसी भी पुराने डॉयलॉग और गाने पर आज लोग अपने एक्सप्रेशन और क्रिएटिव आइडिया को साथ मिलाकर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब फेमस हो रहे हैं। लेकिन जैसा कि आप में से अधिकतर लोगों ने देखा ही होगा कि आज मनोरंजन के लिहाज़ से बनाए गए इस ऐप पर कुछ लोग अश्लीलता का प्रचार-प्रसार भी करने लगे हैं। जिसके मद्देनज़र मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच ने इस ऐप की डाउनलोडिंग पर बैन लगाने का निर्देश दे दिया है।
कोर्ट ने इस विषय पर केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या भारत में ऐसा कानून लाया जा सकता है, जैसा अमेरिका में है? अमेरिकी सरकार ने बच्चों को साइबर क्राइम का शिकार होने से बचाने के लिए चिल्ड्रेन्स ऑनलाइन प्राइवेसी प्रोटेक्शन एक्ट के तहत एक कानून बनाया है। सरकार के साथ-साथ कोर्ट ने मीडिया से भी टिक-टॉक पर बने वीडियो का प्रसारण रोकने को कहा। बता दें कि पूरे मामले पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से 16 अप्रैल से पहले जवाब माँगा है।
Madras high court directs Centre to ban downloading of TikTok app, asks media not to telecast videos made with it
— Times of India (@timesofindia) April 3, 2019
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चीन में ‘डुईन’ नाम से प्रसिद्ध हुई इस ऐप की शुरुआत 2016 के सितंबर में चाइना से ही हुई थी। एक साल बाद इसे विदेशी बाजार में टिकटॉक के नाम से उतारा गया था। कुछ ही समय में भारत में इस ऐप के फीचर्स को लेकर क्रेज इतना बढ़ा कि आज देश में 104 मिलियन लोगों द्वारा टिक-टॉक का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अब लोगों ने मनोरंजन के नाम पर इस पर अश्लील हरकतें करते हुए वीडियो बनानी शुरु कर दी। इसका चर्चित उदाहरण- ‘इसमें तेरा घाटा’ गाने पर ‘तीन लड़कियों‘ का वो वीडियो है, जिसने काफ़ी सुर्खियाँ भी बटोरी थीं। इसके बाद उनकी वीडियो के जवाब में आई कई टिक-टॉक वीडियो ने तो सभी हदों को धीरे-धीरे पार कर दिया।
ऐसी वीडियो की संख्या बढ़ने के कारण एक महीने पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की आर्थिक इकाई स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसे रोकने पर चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में चीन के ऐप और कुछ अन्य कंपनियों पर भारत में प्रतिबंध लगाने की माँग की गई थी। एसजेएम की मानें तो देश की सुरक्षा, कारोबार और समाज के लिए इन्हें खतरनाक बताया गया था।
इसके अलावा फरवरी माह में तमिलनाडू के सूचना प्रौद्योगिक मंत्री एम मनिकंदन ने कहा था कि राज्य सरकार केंद्र से इस ऐप को बैन करने की माँग करेगी। दरअसल इस ऐप पर वे वीडियो जो हमारी संस्कृति को खराब करने का काम कर रहे थे, उन्हें लेकर आपत्ति दर्ज कराई गई थी। साथ ही इन शिकायतों को लेकर कोर्ट में याचिका दायर करके ऐप को बैन करने की माँग की गई थी। यह याचिका मदुरै के वरिष्ठ वकील और सामाजिक कार्यकर्ता मुथु कुमार द्वारा दायर की गई थी। पोर्नोग्राफी, संस्कृति पर खतरा, बाल शोषण, आत्महत्याओं का हवाला देते हुए, मुथु ने अदालत से टिक-टॉक पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। जिसके बाद कोर्ट का यह फैसला आया।
यहाँ बता दें कि टिक-टॉक के भारत में इतने फेमस होने के बाद भी इस जैसे ऐप का भारत में कोई शिकायत निवारण अधिकारी नहीं था। तो स्थितियाँ तो बिगड़नी ही थीं। बड़े-बड़े कलाकार भी इस चीनी ऐप का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते पाए जाते हैं। कुछ लोगों ने तो इसके चलते सोशल मीडिया पर अपनी अच्छी-खासी फैन फॉलोइंग भी बना ली है। कोर्ट द्वारा आया यह फैसला हो सकता है कुछ लोगों को गलत लगे। लेकिन मनोरंजन के नाम पर ऐसी सामग्रियों को प्रसारित करना, जो तकनीक के औचित्य पर सवाल उठाने लगे और जिनके कारण संस्कृति खतरे में पड़ जाए, उनके लिए बेहतर तो यही है कि कोई विशेष कानून बने ताकि सृजनात्मकता को अश्लीलता के दायरे से दूर रखकर मनोरंजन में शामिल किया जा सके।