उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट ने एम्स में इलाज के दौरान सोमवार (अप्रैल 20, 2020) को 10 बजकर 40 मिनट पर आखिरी साँस ली। सीएम योगी को जब पिता के मौत की सूचना मिली तो वह कोरोना महामारी से निपटने के लिए मीटिंग कर रहे थे। पिता के निधन की सूचना के बाद भी मुख्यमंत्री करीब 45 मिनट तक बैठक करते रहे।
आनंद सिंह बिष्ट के निधन के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित किताब ‘The Monk Who Became Chief Minister’ लिखने वाले शांतनु गुप्ता ने उनके साथ बिताए गए कुछ खूबसूरत लम्हों को साझा किया है। वो कहते हैं, “जब मैं अप्रैल 2017 में योगी आदित्यनाथ की जीवनी लिखने के लिए रिसर्च कर रहा था, तो इस दौरान मुझे योगी आदित्यनाथ के माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ समय बिताने का सौभाग्य मिला। वे बातचीत इतने सरल, निष्कपट और स्वाभाविक थे कि वो अभी भी मेरे जेहन में ताजा हैं।”
आगे उन्होंने कहा, “अब, जब आनंद जी नहीं रहे, तो मैं उनमें से कुछ वार्तालापों को पाठकों के साथ फिर से जीना और साझा करना चाहता हूँ। यहाँ मैं आनंद जी और उनकी पत्नी सावित्री देवी जी के साथ अपनी बातचीत के कुछ अंश अपनी पुस्तक – ‘The Monk Who Became Chief Minister’ से साझा कर रहा हूँ। इन वार्तालापों के माध्यम से हम आज के योगी के कई लक्षणों और आदतों की झलक देख सकते हैं।”
योगी आदित्यनाथ के बारे में क्या सोचते थे उनके माता-पिता?
शांतनु ने कहा, “मुझसे बात करते हुए आनंद सिंह बिष्ट जी ने बताया कि अजय हमेशा से ही विनम्र और मिलनसार थे। वे काफी कम कम उम्र से ही अखबार पढ़ने के शौकीन थे। बिष्ट जी ने कहा कि यद्यपि वे लगातार पर्यटन पर थे और अक्सर घर से दूर रहते थे, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर काफी दिया। वो अक्सर सरप्राइज विजिट करके बच्चों की पढ़ाई और उनके मेहनत का निरीक्षण करते थे। उन्होंने कहा कि शायद यही वजह है कि आज पंचूर नाम के एक छोटे से गाँव के अजय, उत्तर प्रदेश के 21 वें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बन गए हैं। यहाँ पर ध्यान देना दिलचस्प है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद, योगी और उनके मंत्रियों ने विभिन्न सरकारी सेवाओं के वितरण की ‘औचक जाँच’ की है।”
आनंद बिष्ट एक गौरवान्वित पिता थे जिन्होंने महसूस किया कि यूपी जैसे राज्य को चलाना हर किसी के वश की बात नहीं है और केवल योगी ही इसे नियंत्रित कर सकते हैं क्योंकि उनमें बचपन से ही निर्णय लेने की अच्छी क्षमता है। आनंद बिष्ट ने मुझे यह भी बताया कि सांसद के रूप में योगी ने हमेशा लोगों के लिए काम किया था और उनका काम किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से मुक्त था। इसलिए लोग उनसे प्यार करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों ने उनके बेटे (योगी आदित्यनाथ) के लिए अपनी सिफारिशें भेजनी शुरू कर दीं। उन्होंने कहा कि वह ऐसे लोगों के साथ विनम्रता से पेश आते हैं और उन्हें चाय पर बुलाते हैं। इसके बाद उन्हें काफी विनम्रता से उन्हें बताते हैं कि उनकी कोई सिफारिश नहीं की जाएगी।
आगे शांतनु ने कहा, “योगी आदित्यनाथ की माँ सावित्री देवी जी ने भी मुझे बताया था कि अजय अच्छे छात्र थे और उन्होंने कभी भी खराब संगति नहीं रखी। उन्होंने कहा कि वह एक साधारण लड़का था। उन्हें कभी इस बात का अहसास नहीं था कि वो इतने बड़े पद पर पहुँच जाएँगे। वो कहती हैं कि उन्हें याद है कि वो उनके कितने करीब थे, क्योंकि उनके पिता की अलग-अलग जगहों पर पोस्टिंग होती रहती थी और वह सख्त भी थे, इसलिए सभी बच्चे उनसे थोड़ा डरते थे।”
अपनी आदतों के बारे में बात करते हुए सावित्री देवी जी ने कहा कि उनके घर में हर कोई हमेशा जल्दी उठता था। यहाँ तक कि लगभग 80 वर्ष (2017 में) की आयु में वह सुबह 4 बजे उठकर घर के सारो कामों को पूरा करती थी और फिर खेतों में जाकर छोटे कृषि फार्मों की देखरेख करती थी। 85 साल (2017 में) की उम्र में अजय के पिता भी हर दिन सुबह 4 बजे उठते थे और पूरे घर और आसपास के परिसर की सफाई करते थे। सावित्री देवी जी ने कहा कि बचपन से ही अजय गायों के शौकीन थे। बिष्ट परिवार के पास घर पर गायें थीं और उन्हें चरने के लिए ले जाना स्कूल के बाद अजय की दिनचर्या का हिस्सा था। पंचूर में उनके घर के आसपास के पेड़ों की ओर इशारा करते हुए, सावित्री देवी जी ने मुझे बताया कि अजय ने इनमें से कई पौधे लगाए थे, जब वह छोटा था।
योगी आदित्यनाथ के पिता से क्यों डरते थे उनके दोस्त
बातचीत के दौरान आनंद बिष्ट ने बताया कि वह एक फॉरेस्ट रेंजर थे और उन्होंने अपने पूरे जीवन में खाकी पोशाक पहनी है। उनकी वर्दी में कंधों पर तीन स्टार थे, जो पुलिस की वर्दी की तरह दिखते थे। और इसके अलावा, उनकी वर्दी में एक UPF (Uttar Pradesh Forest) बैज भी था, जो काफी हद तक UPP (Uttar Pradesh Police) बैज के समान था। और यह कभी-कभी अजय के दोस्तों को डराता था क्योंकि वो गलती से उन्हें पुलिस वाले समझ लेते थे। उन्होंने हँसते हुए कहा कि अब अजय के सीएम बनने के बाद, उनके साथ पूरा समय खाकी पहने बंदूकधारी, असली पुलिसकर्मी, सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत मौजूद रहते हैं।
कोटद्वार में स्नातक करने के बाद अजय ने 1992 में पंडित ललित मोहन शर्मा गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, ऋषिकेश से गणित में मास्टर ऑफ साइंस (MSc) में दाखिला लिया। जब वे एमएससी प्रथम वर्ष में थे, तब उन्होंने गोरखपुर जाकर महंत अवैद्यनाथ से मिलना शुरू किया। एक दो बार मिलने के बाद अजय ने गोरखनाथ मठ में महंत अवैद्यनाथ के पूर्णकालिक शिष्य बनने का फैसला किया। नवंबर 1993 में, अजय ने अपने गाँव, अपने माता-पिता, अपने दोस्तों और अपनी पढ़ाई को छोड़ दिया और परिवार में किसी को भी बताए बिना वह गोरखपुर चले गए। 15 फरवरी, 1994 को अजय का उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ द्वारा नाथ पंथ योगी के रूप में अभिषेक किया गया था।
जब योगी आदित्यनाथ के माता-पिता को उनके संन्यास के बारे में पता चला
कुछ महीने बाद ही अजय के माता-पिता को उनके संन्यास के बारे में अखबार से पता चला। तब तक उनके माता-पिता को लग रहा था कि वह नौकरी की तलाश में गोरखपुर गए हैं। अजय के महंत बनने की बात पता चलने के बाद अजय के माता-पिता अगली ट्रेन से गोरखपुर पहुँचे और मठ में आनंद सिंह बिष्ट, अजय को संन्यासी की पोशाक में देखकर चौंक गए। महंत अवैद्यनाथ उस समय शहर से बाहर थे। अजय ने अपने माता-पिता को शांत कराया और फिर उन्हें अपने गुरु से फोन पर बात करवाई। महंत अवैद्यनाथ ने अजय के पिता से कहा कि उनके बेटे अजय अब योगी आदित्यनाथ हैं।
महंत अवैद्यनाथ ने आनंद सिंह बिष्ट से अनुरोध किया कि उनके चार बेटों में से एक ने उनके साथ राष्ट्र निर्माण और मजबूत राष्ट्रवाद के लिए आने का फैसला किया है। उन्होंने अजय के पिता से उन्हें देश की सेवा करने की अनुमति देने के लिए आग्रह किया। कुछ समय तक विरोध करने के बाद उनके माता-पिता ने इसकी अनुमति दे दी।
कुछ महीनों के बाद योगी आदित्यनाथ संन्यासी परंपरा के तहत अपनी माँ से भिक्षा लेने के लिए उत्तराखंड के पंचूर गाँव में वापस आए। उसके बाद से अजय के माता-पिता गोरखनाथ मठ के योगी आदित्यनाथ से दो-दो बार मुलाकात कर चुके हैं। अब वे उन्हें अन्य लोगों की तरह ‘महाराज जी’ कहकर बुलाते हैं। उनके प्रोटोकॉल और उनकी भूमिका की गरिमा का सम्मान करते हैं। योगी आदित्यनाथ अपने गृहनगर उत्तराखंड में केवल परिवार के कुछ महत्वपूर्ण फंक्शन के लिए ही गए हैं। योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर मठ के प्रशासन के तहत, उत्तराखंड में अपने गाँव के पास, महायोगी गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय की स्थापना की है।
I had a long chat with #YogiAdityanath’s father, Sri Anand Singh Bisht ji during researching for Yogi Ji’s biography. At the end of our discussion, Anand ji said – I have not earned anything much in life, what I hv earned is a honest CM Son. His eyes were teary & I was choked. pic.twitter.com/rQd89mKxNJ
— Shantanu Gupta (@shantanug_) April 20, 2020
ईमानदार मुख्यमंत्री बेटा मेरे जीवन की इकलौती कमाई
शांतनु कहते हैं, “अजय के माता-पिता के साथ चर्चा के दौरान मैंने उल्लेख किया कि उत्तराखंड की पहाड़ियों ने गोविंद बल्लभ पंत, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया है और अब इस घर ने उत्तर प्रदेश के लिए चौथे मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ को मौका दिया है। इस पर सावित्री सविता देवी ने गर्व से पुरानी बातें याद करती हुई कहती हैं कि अजय हमेशा लोगों की सेवा करना चाहते थे और अब वह ठीक यही कर रहे हैं। गीली लेकिन दृढ़ आँखों के साथ, आनंद जी ने कहा कि उन्होंने जीवन में बहुत कुछ नहीं कमाया है। उन्होंने जो कमाया है वह एक ईमानदार मुख्यमंत्री बेटा। उन्होंने कहा कि अजय के माता-पिता के रूप में उनका जीवन धन्य है और आज उन्हें उस भिक्षु पर गर्व है जो इतने बड़े राज्य का मुख्यमंत्री बन गया है। आनंद सिंह बिष्ट जी को मेरा अभिवादन!”
पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुःख एवं शोक है।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) April 20, 2020
वह मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं।
जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं नि:स्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया।
बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ अंतिम बार अपने पिता के दर्शन भी नहीं कर सके। अपने व्यक्तिगत जीवन के ऊपर अपने कर्तव्य को रखते हुए योगी आदित्यनाथ ने फैसला किया है कि वह लॉकडाउन के नियमों का पालन करेंगे और अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने अपने पिता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुःख एवं शोक है। वह मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी, कठोर परिश्रम एवं नि:स्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया।”