भारत के पूर्व स्पिन गेंदबाज बिशन सिंह बेदी का 23 अक्टूबर, 2023 को 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह जाने-माने पूर्व क्रिकेटर थे और अपने समय के प्रख्यात गेंदबाजों में से एक थे। बिशन सिंह बेदी की मृत्यु के साथ ही उनके क्रिकेट करियर के किस्से कहानी भी सामने आ रहे हैं। बिशन सिंह बेदी भारत के कप्तान भी रहे हैं। उनको अपनी टीम के लिए सदैव खड़ा रहने वाला कप्तान माना जाता था। इसी से जुड़ा एक किस्सा उनकी टीम के 1978 के पाकिस्तान दौरे का है जब उन्होंने जीता-जिताया मैच पाकिस्तानी अंपायरों की बेईमानी के चलते छोड़ दिया।
बिशन सिंह बेदी की कप्तानी और अंशुमान गायकवाड़, चेतन चौहान, कपिल देव और मोहिंदर अमरनाथ जैसे सितारों से सजी टीम पाकिस्तान के दौरे पर गई हुई थी। यह तीन एकदिवसीय (ODI) मैचों की एक श्रृंखला थी। पाकिस्तान की टीम में इमरान खान, जावेद मियाँदाद और ज़हीर अब्बास जैसे खलाड़ी शामिल थे।
3 नवम्बर, 1978 को खेला गया यह मुकाबला श्रृंखला का अंतिम मैच था। इससे पहले श्रृंखला 1-1 से बराबर हो चुकी थी। पहला मैच जो कि क्वेटा में खेला गया था वह भारत ने जबकि सियालकोट में खेला गया मैच पाकिस्तान ने जीता था।
तीसरा मुकाबला साहीवाल में हो रहा था। इस मैच में टॉस पाकिस्तान ने जीता और उनके कप्तान मुश्ताक मुहम्मद ने निर्णय लिया कि वह पहले बैटिंग करेंगे। भारतीय बॉलर्स के सामने आसिफ इकबाल (62) और माजिद खान (37) के अलावा अन्य कोई पाकिस्तानी बल्लेबाज चले नहीं।
इन दोनों बल्लेबाजों के अलावा अन्य कोई भी बल्लेबाज 30 रन के आँकड़े को पार नहीं कर सका। भारतीय गेंदबाजों कपिल देव, मोहिंदर अमरनाथ और वेंकटराघवन की कसी हुई गेंदबाजी के कारण तीनों को 2-2 विकेट मिले। इन सब की बदौलत पाकिस्तान 40 ओवर में 205 रन ही बना सका।
भारत के लिए यह लक्ष्य कोई बहुत मुश्किल नहीं था। ओपनर बल्लेबाज चेतन चौहान और अंशुमान गायकवाड़ ने पाकिस्तानी गेंदबाजों को खूब छकाया। अंशुमान गायकवाड़ ने 78 रन बनाए जबकि चेतन चौहान ने दूसरे छोर से उनका साथ देते हुए 23 रन जोड़े। चेतन के विकेटकीपर वसीम बार के हाथों कैच गँवा बैठने पर सुरिंदर अमरनाथ ने 75 गेंदों में 62 रनों की धुआँधार पारी खेली। उनके आउट होने के बाद गुंडप्पा विश्वनाथ आकर खेल रह थे, जब 38वें ओवर की शुरुआत हुई।
तीन ओवर शेष रहने पर भारत को मात्र 23 रन बनाने थे और अंशुमान गायकवाड़ अब भी बल्लेबाजी कर रहे थे और पाकिस्तानी गेंदबाजों की पिटाई कर रहे थे। 38वें ओवर में पाकिस्तानी गेंदबाज सरफराज नवाज गेंदबाजी करने आए। यहीं से पाकिस्तानी बेईमानी चालू हो गई। सरफराज नवाज ने एक बाउंसर फेंका जो कि किसी भी तरीके से वाइड थी। हालाँकि, पाकिस्तानी अंपायरों ने से वाइड करार नहीं दिया।
इसके बाद लगातार अगली तीन गेंदों तक यही हुआ। सरफराज ऊँची गेंद फेंकते, वह बल्लेबाज की पहुँच से बाहर होती और अंपायर उन्हें वाइड मानने से मना कर देता। पाकिस्तानी टीम और अंपायरों की इस बेईमानी को बिशन सिंह बेदी पवेलियन से देख रहे थे।
चार गेंदों के बाद उन्होंने अपने दोनों बल्लेबाज अंशुमान गायकवाड और गुंडप्पा विश्वनाथ को वापस बुला लिया। उन्होंने पाकिस्तानी बेईमानी के विरोध में अपने बल्लेबाज खिलाने से मना कर दिया। यह मैच और सीरीज पाकिस्तान जीत गया लेकिन बिशन सिंह बेदी अपनी टीम के पीछे चट्टान की तरह खड़े रहे।
एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास में यह पहला मौक़ा था जब किसी कप्तान ने मैच ने अपने बल्लेबाज वापस बुला लिए हों। हालाँकि, बिशन सिंह बेदी ही टेस्ट में ऐसा काम पहले कर चुके थे। वर्ष 1976 में बेदी ने वेस्टइंडीज के विरुद्ध किंग्स्टन मैदान पर अपने 5 बल्लेबाजों को दूसरी पारी में उतारने से मना कर दिया था क्योंकि वेस्टइंडीज के गेंदबाज खतरनाक गेंदबाजी कर रहे थे और लगातार उनकी टीम के सदस्य चोटिल हो रहे थे।
बिशन सिंह बेदी को उनकी तगड़ी गेंदबाजी के अलावा इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है। उनकी टीम के पीछे लगातार खड़े रहने की आदत आगे चल कर भारतीय टीम का सूत्र बन गई। बिशन सिंह बेदी की मृत्यु पर तमाम क्रिकेट खिलाड़ियों समेत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी है।