गुजरात के हड़प्पा काल के शहर धोलावीरा को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है। संयुक्त राष्ट्र के संगठन ने मंगलवार (जुलाई 27, 2021) को इसकी जानकारी ट्विटर पर दी। वर्ल्ड हेरीटेज कमेटी ने ऑनलाइन आयोजित अपने 44 वें सत्र के दौरान UNESCO की विश्व धरोहर स्थल सूची में गुजरात के धोलावीरा को अंकित किया। यह शहर कच्छ के रण के खादिर द्वीप में स्थित है।
ट्विटर पर यूनेस्को ने लिखा, “ब्रेकिंग! धोलावीरा: हरप्पन शहर अभी-अभी वर्ल्ड हेरीटेज लिस्ट में शामिल किया गया है। मुबारक हो।” इससे पहले काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना को भी यूनेस्को की सूची में अंकित किया गया था। इन दो विरासत स्थलों के शामिल होने से भारत के विश्व धरोहर स्थलों की संख्या बढ़कर 40 हो गई है।
इस बाबत संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी ट्वीट किया। उन्होंने कहा ‘‘अपने साथी भारतीयों के साथ यह साझा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि धोलावीरा अब भारत का 40वाँ खजाना है, जिसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल शिलालेख की सूची में शामिल किया गया है।’’ अपने ट्वीट में रेड्डी ने पीएम मोदी का भी आभार जताया कि वह निरंतर भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।
साल 2014 के बाद से, इस लिस्ट में भारत ने 10 नए विश्व धरोहर स्थलों को जोड़ा है, जो लिस्ट में शामिल कुल साइटों का एक चौथाई है। इस खबर के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा, “इस खबर को सुनकर बेहद खुश हूँ। धोलावीरा एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था और अतीत से हमारा लिंक है। यहाँ जरूर जाना चाहिए, खासकर इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व में दिलचस्पी रखने वालों को।”
आगे पीएम ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, “मैं अपने छात्र जीवन में धोलावीरा घूमने गया था और इस जगह को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया था। बतौर मुख्यमंत्री मुझे इस धरोहर के संरक्षण और जीर्णोद्धार से जुड़े कामों के अवसर मिले। हमारी टीम ने यहाँ पर्यटन को बढ़ाना देने वाला इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया था।”
बता दें कि धोलावीरा शहर की खुदाई 1985 में आरएस बिष्ट द्वारा की गई थी, यहाँ पूर्ण अनुपात, सड़क-पैटर्न और एक कुशल जल संरक्षण प्रणाली के साथ नगर नियोजन की एक उच्च संगठित प्रणाली को देखा जा सकता है। इस जगह को लेकर दावा है कि यहाँ 1200 वर्ष तक जीवन रहा। यहाँ की संरचना इसे सिंधु घाटी सभ्यता के अन्य महानगरों से अलग करती है।
उल्लेखनीय है कि धोलावीरा के अलावा गुजरात में तीन अन्य वर्ल्ड हेरीटेज साइट्स हैं। इनमें एक अहमदाबाद का ऐतिहासिक नगर है जिसकी खोज 1411 में गुजरात की राजधानी के तौर पर हुई थी। इसे पहले आशा भील की आशाल के नाम से जाना जाता था। इसके बाद दूसरी जगह रानी की वाव है। साल 2014 में ये जगह यूनेस्को की सूची में अंकित हुई थी। इसके बाद चंपानेर-पावागढ़ पुरातत्व उद्यान है, जो लिस्ट में 2004 से मौजूद है।