क्रिकेट के मैदान की बाहरी दुनिया का चर्चित नाम, हर्ष भोगले। एक बार उन्होंने किसी पार्टी में धोनी से पूछा कि उनका पसंदीदा गाना कौन सा है? धोनी ने कहा – “मैं पल दो पल का शायर हूँ।” इस जवाब को सुन कर हर्ष भोगले ने एक अनुमान लगाया जो आज की तारीख़ में हकीक़त की कसौटी पर सटीक बैठता है।
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान धोनी पर हर्ष भोगले का कोई भी जवाब उठा कर देख लीजिए। उन्होंने सालों पहले ही कह दिया था कि जिस दिन धोनी ने क्रिकेट से संन्यास लिया, वह इस 22 गज की दुनिया से बहुत दूर हो जाएँगे।
कभी धोनी के पसंदीदा गाने और हर्ष भोगले की इस बात पर ज़रा भी संदेह हो तो, यूट्यूब पर ‘धोनी का पसंदीदा गाना’ तलाशिए। केवल दो तरह के वीडियो नज़र आएँगे, पहले जिसमें धोनी ‘मैं पल दो पल का शायर हूँ’ गाते हुए नज़र आएँगे या इस गाने का असल वर्ज़न मिलेगा।
इस तरह का एक वीडियो है, जिसमें धोनी सेना की वर्दी में साक्षात्कार देते हुए नज़र आते हैं। उनसे आग्रह किया जाता है कि वह अपना पसंदीदा गाना गा कर सुनाए, जिस पर उनकी प्रतिक्रिया बहुत कुछ साफ़ कर देती है। धोनी कहते हैं –
“मैं गाना नहीं गाऊँगा, गाना गुनगुना दूँगा। किशोर कुमार मेरे फेवरेट हैं लेकिन यह गाना मुकेश जी का है – मैं पल दो पल का शायर हूँ। यह बेहद रेलेवेंट (प्रासंगिक) भी है अगर आप मेरे खेल को देखें तो इस गाने की जो पंक्तियाँ हैं, बोला जाता है – मैं पल दो पल का शायर हूँ। कल कोई और आएगा जो मुझसे अच्छा खेलेगा, कल दूसरे लोग आएँगे, जो आपसे बेहतर होंगे तो भविष्य में कोई याद करे या न करे, इससे बहुत फर्क नहीं पड़ता।”
इसके बाद धोनी अपने कहे मुताबिक़ ‘मैं पल दो पल का शायर हूँ’ गुनगुनाना शुरू कर देते हैं। ऊपर लिखी हुई बात से यह ज़रूर साफ़ हो जाता है कि धोनी के लिए क्रिकेट के बाद की जिंदगी आसान नहीं है।
साल 2016 में भारत और वेस्ट इंडीज़ के बीच टी-20 वर्ल्ड कप मुकाबले के बाद प्रेस वार्ता हुई। प्रेस वार्ता के दौरान एक विदेशी पत्रकार ने धोनी से पूछा, “संन्यास को लेकर आपकी क्या योजनाएँ हैं, क्या आप इस टूर्नामेंट के बाद भी खेलना बरकरार रखेंगे?”
धोनी ने पत्रकार को अपने पास बुलाया और सभी के सामने उनसे पूछा, “डू यू वांट मी टू रिटायर?” पत्रकार ने कहा नहीं। धोनी ने पत्रकार से फिर पूछा, “क्या मुझे दौड़ते हुए देख कर ऐसा लगता है कि मैं अनफिट हूँ?” पत्रकार ने कहा, नहीं। धोनी ने अंत में फिर पूछा, “क्या आपको लगता है कि मैं 2019 विश्वकप तक खेलता रहूँगा?” पत्रकार ने कहा हाँ, बेशक। धोनी ने कहा, “ठीक है, आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया।”
धोनी एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जो इतने फुर्तीले होने के बावजूद डाइव मारते हुए बहुत कम ही नज़र आए। इसकी एक वजह भी है कि धोनी दौड़ते बहुत तेज़ हैं, जहाँ रन नहीं मिलने की उम्मीद होती है धोनी वहाँ से रन चुरा लेते हैं। बाकी विकेट के पीछे की कहानियाँ तो जैसे अमर ही हैं, ऐसी कहानियाँ जिनकी मिसालें दी जाती हैं।
लेकिन धोनी की एक दौड़ ऐसी थी जो कभी पूरी नहीं हुई, धोनी का अंतिम विश्वकप। जिसमें धोनी कुछ फ्रेम से चूक गए और रन आउट हुए। शायद पहली बार धोनी जैसे कूल कैप्टन की आँखों में दुनिया ने आँसू देखे, आखिर हर चीज़ की कीमत होती है।
धोनी के आलोचकों की एक बड़ी आबादी के लिए धोनी का वह एक रन ही क्रिकेट के मैदान का सबसे बड़ा मापदंड है। धोनी ने अपनी करियर के अंतिम कुछ महीनों में बहुत बड़े शॉट भी नहीं लगाए थे।
लेकिन इन सारी बातों के इतर, धोनी के हिस्से में दीवानगी कभी धुँधली नहीं पड़ने वाली। खेल की दुनिया का कितना महँगा तराजू क्यों न हो, हेलिकॉप्टर शॉट का वज़न किसी भी रन आउट से ज़्यादा ही रहेगा। हर खिलाड़ी अपने देश को कुछ न कुछ देता है और लगभग वैसा ही काम धोनी ने भी किया, 22 गज की पिच पर खूब दौड़ लगाई।
आम खिलाड़ी तो दो विकेटों के बीच ही दौड़ते हैं लेकिन धोनी विकेट के ठीक पीछे भी उतना ही दौड़े, करिश्माई किरदार की तरह। आने वाले सालों में शायद कोई धोनी से बेहतर साबित हो लेकिन धोनी तो एक ही रहने वाला है। जिसके लिए मैदान ही सपना था और आगे चल कर यही सपना उनकी दुनिया बना, जिस दुनिया को धोनी ने अपनी कोशिशों से खूब सींचा और अंतिम समय तक सींचा।